सिंघाड़ा (water Caltrop) : सिंघाड़े के ये अचूक फायदे आपको चौंका देंगे, स्वाद के साथ सेहत भी

आज हम आपको सिंघाड़े खाने के 75 फायदों को All Ayurvedic के माध्यम से बताएँगे। सिंघाडे (Water Caltrops) का वैज्ञानिक नाम Trapa Bispinosa/Natans है। यह त्रिकोने आकार का फल होता है। यह जल में पैदा होने वाला फल है, तिकोने पत्ते और सफ़ेद फूलों वाले इस पौधे में फल भी तिकोने ही लगते हैं।

छोटे छोटे ताल-तलैयों में आपको इस मौसम में भी इसके पत्ते पानी में फैले हुए मिल जायेंगे। शरीर को मैगनीज तत्व की भी जरूरत होती है। आप चाहे जितने टानिक पी लीजिये, ताकत की दवाएं खा लीजिये लेकिन जब तक शरीर में इन तत्वों को पूर्ण रूप से पचाने की क्षमता नहीं होगी, दवाए कोई असर नहीं दिखाएंगी।

अकेला सिघाड़ा एक ऐसा फल है जो शरीर में मैगनीज एब्जार्ब करने की क्षमता बढ़ा देता है और बुढापे में होने वाली अधिकाश बीमारियाँ सिर्फ मैगनीज की कमी के कारण होती हैं।

यह स्वास्थ के लिए पौष्टिक और विटामिन युक्त फल है। सिंघोडे का आटे का प्रयोग भी किया जाता है। सिंघाडे का प्रयोग कच्चा और पका कर दोनों ही रूपों में किया जाता है।

सिंघाडे में विटामिन ए, बी और सी भरपूर मात्रा में पाए जाते हैं। यह खनिज लवण और कार्बोहाइड्रेट युक्त भी होता है। सिंघाडे में छिपे हुए आयुर्वेदिक गुण जो आपके स्वास्थ को लाभ पहुंचा सकते हैं….

सिंघाड़े (Water Caltrops) के गुण :

सिघाड़े में टैनिन, सिट्रिक एसिड, एमिलोज, एमिलोपैक्तीं, कर्बोहाईड्रेट, बीटा-एमिलेज, प्रोटीन, फैट, निकोटेनिक एसिड, फास्फोराइलेज, रीबोफ्लेविन, थायमाइन, विटामिन्स-ए, सी तथा मैगनीज आदि तत्व मौजूद हैं।

सिंघाड़े (Water Caltrops) के 75 चमत्कारी फायदे : आपको नही पता होगा कि सिघाड़ा शरीर के जहरीले पदार्थ को बाहर निकालता है तो मांसपेशियों को मजबूत करता है, ये जवाँ रखने की संजिवनी है

पीलिया के मरीज इसे कच्चा या जूस बनाकर ले सकते हैं। यह शरीर से जहरीले पर्दार्थों को बाहर निकालने में काफी मददगार होता है।

यदि आपकी मांसपेशियां कमजोर हैं या शरीर में दुर्बलता हो तो आप नियमित सिंघाडे का सेवन करें ऐसा करने से शरीर की दुर्बलता और कमजोरी दूर होती है।

जिस व्यक्ति को खरोंध लग जाए और खून बहुत ज्यादा निकल रहा हो तो उसे खूब सिघाडे खाने चाहिए, सिघाडे में रक्त स्तंभक का गुण भी पाया जाता है।

आंखों की रोशनी को बढाने में भी सिंघाडा लाभदायक होता है। क्योंकि इसमें विटामिन ए सही मात्रा में पाया जाता है।

दाद, खाज, खुजली : नीबू के रस में सूखे सिंघाड़े को घिसकर दाद पर प्रतिदिन लगाएं। इससे पहले तो जलन उत्पन्न होती है और फिर ठंडक महसूस होती है। इसका उपयोग कुछ दिनों तक लगातार करने से दाद ठीक हो जाता है।

सिंघाड़ा, सिंगी की जड़, हाऊबेर और भारंगी की जड़ को पीसकर पानी में मिलाकर पीने से दाद, खाज, खुजली दूर होती है।

सिंघाड़ा, भिंगी की जड़, झाऊबेर और भारंगी की जड़ 10-10 ग्राम की मात्रा में लेकर पीस लें और फिर इसमें 10 ग्राम मिश्रण मिलाकर एक कप पानी के साथ उबाल लें। जब पानी उबलकर आधा रह जाए तो इसे छानकर पीएं। इसका सेवन प्रतिदिन 7-8 दिन तक करने से त्वचा की खाज-खुजली दूर होती है।

प्र-दर : सिंघाड़े के आटे का हलवा बनाकर खाने से श्वेत प्र-दर ठीक होता है और सिंघाड़े के आटे की रोटी खाने से रक्त प्र-दर ठीक होता है।

सूखे सिंघाडा का चूर्ण बनाकर 3-3 ग्राम की मात्रा में शहद के साथ प्रतिदिन सुबह-शाम सेवन करने से सभी प्रकार के प्रदर रोग ठीक होते हैं।

25 ग्राम सिंघाड़ा, 10 ग्राम सोना गेरू और 25 ग्राम मिश्री को एक साथ पीसकर 5 ग्राम की मात्रा में प्रतिदिन सुबह-शाम सेवन करें। इससे प्र*दर में लाभ मिलता है।

सिंघाड़ा का रस निकालकर सुबह-शाम सेवन करने से प्र*दर ठीक होता है।

मूत्रकृच्छ : सिंघाड़े का काढ़ा बनाकर सेवन करने से मूत्रकृच्छ (पेशाब करने में परेशानी) दूर होता है।

सूजन : सिंघाड़े की छाल को घिसकर लगाने से दर्द व सूजन खत्म होती है।

पेशाब का रुक जाना : 20 ग्राम ताल मिश्री, 15 ग्राम घी और 30 ग्राम सिंघाड़े को मिलाकर ठण्डे पानी के साथ प्रतिदिन सुबह-शाम खाने से पेशाब की रुकावट दूर होती है।

सोते समय पेशाब निकल जाना : पिसा हुआ सूखा सिंघाड़ा और खांड लगभग 25-25 ग्राम की मात्रा में मिलाकर रख लें। फिर 1-2 ग्राम मिश्रण पानी के साथ सुबह-शाम सेवन करने से रात में सोते समय पेशाब का निकल जाना ठीक होता है।

नकसीर : जिन लोगों को नकसीर (नाक से खून बहना) का रोग हो उन्हें बरसात के मौसम के बाद कच्चे सिंघाड़े खाना चाहिए।

कुष्ठ (कोढ़) : सिंघाड़ा, काकड़सिंगी की जड़, हाऊबेर और भारंगी की जड को बराबर मात्रा में लेकर चूर्ण बना लें। यह चूर्ण 3 से 4 ग्राम की मात्रा में प्रतिदिन पीने से कुष्ठ (कोढ़) रोग ठीक होता है।

फीलपांव (गजचर्म) : सिंघाड़े का काढ़ा बनाकर गाय के पेशाब में मिलाकर पीने से फीलपांव की सूजन दूर होती है।

कमजोरी : कमजोर व्यक्ति को प्रतिदिन सिंघाड़े के आटे का हलवा बनाकर खाना चाहिए। इससे शारीरिक शक्ति बढ़ती है।

टांसिल का बढ़ना : गले में टांसिल होने पर सिंघाड़े को पानी में उबालकर इस पानी से प्रतिदिन कुल्ला करें। इससे टांसिल की सूजन दूर होती है।

गले की गांठ : सिंघाड़े में बहुत ज्यादा आयोडीन होता है जिसको खाने से गले की गांठ ठीक होती है और साथ ही गले के दूसरे रोग जैसे- घेंघा, तालुमूल प्रदाह, तुतलाहट आदि ठीक होता है।

शारीरिक कमजोरी : 2-3 चम्मच सिंघाड़े का आटा खा कर दूध पीने से शारीरिक शक्ति में वृद्धि होती हैं। हर्बल जानकारों के अनुसार सिंघाड़े के आटे में बबूल की गोंद, देशी घी और मिश्री मिलाकर लगभग 30 ग्राम रोजाना दूध के साथ लेने से दुर्बलता को दूर किया जा सकता हैं। यानी की सिंघाड़ा पुरुषो की लाइफ को बेहतर बनाने का काम करता हैं।

इंस्टेंट एनर्जी : सिंघाड़े में कार्बोहाईड्रेट ज्यादा मात्रा में पाए जाते हैं। 100 ग्राम सिंघाड़े में 115 कैलोरी होती हैं, जो हमें एनर्जी प्रदान करता हैं। कच्चे सिंघाड़े को कुचलकर शक्कर और नारियल के साथ मिला कर चबाने से शरीर को जबरदस्त एनर्जी मिलती हैं और इससे बॉडी की स्टैमिना को बढ़ाया जा सकता हैं। तुरंत ऊर्जा की प्राप्ति के लिए इस नुस्खे का जरूर इस्तेमाल करे।

पीलिया : सिंघाड़े में डीटॉक्सिफाइंग गुण पाए जाते हैं। इसलिए पीलिया की बीमारी में इसका सेवन फायदेमंद माना जाता हैं। यह शरीर से ज़हरीले पदार्थो को बाहर निकालता हैं। पीलिया की बीमारी होने पर आप सिंघाड़े का रस निकाल कर जरूर पीजिये, इससे आपको जबरदस्त फायदा होगा।

दाद-खाज खुजली : अगर निम्बू के रस में सूखे सिंघाड़े को घीस कर दाद पर रोजाना लगाया जाये तो दाद से आपको आराम मिलेगा। हालांकि ऐसा करने से दाद वाली जगह पर पहले कुछ जलन महसूस होगी और फिर आपको ठंडक महसूस होने लगेगा। यह दाद को ख़त्म करने का अचूक उपाय हैं।

बच्चे का बिस्तर पेशाब करना : शक्कर और सुखा सिंघाड़ा पीस हुआ 50-50 ग्राम मिला ले और इस चूर्ण की चुटकी भर मात्रा पानी के साथ सुबह-शाम बच्चे को पिलाने से बच्चा बिस्तर में पेशाब करना बंद कर देता हैं।

प्यास : सिंघाड़ा शरीर को ठंडक प्रदान करता हैं और यह प्यास को भी बुझाता हैं। दस्त होने पर इसका सेवन करना फायदेमंद साबित होगा।

वजन बढ़ाये : सिंघाड़े के पाउडर में स्टार्च पाया जाता हैं जो दुबले-पतले लोगो के लिए वजन बढ़ाने में फायदेमंद होता हैं। सिंघाड़े के नियमित सेवन से शरीर मोटा और शक्तिशाली बनता हैं।

घेंघा रोग (Thyroid) : सिंघाड़े में आयोडीन और मैंगनीज जैसे मिनरल्स पाए जाते हैं जो थाइरोइड और घेंघा जैसी बिमारियों को कम करने का काम करते हैं। सिंघाड़े में आयोडीन और मैंगनीज, थॉयरॉइड ग्लैंड की सक्रियता को बूस्ट करने में सहायक हैं।

फटी एडियाँ : शरीर में मैंगनीज की कमी होने पर फटी एडियों की समस्या का सामना करना पड़ता हैं। सिंघाड़े में मैंगनीज प्रचुर मात्रा में पाया जाता हैं। इसलिए सिंघाड़े को नियमित रूप से खाने से फटी एडियाँ ठीक हो जाती हैं।

बुखार : रोजाना10-20 ग्राम सिंघाड़े का रस पीने से बुखार में आराम मिलता हैं।

मूत्र रोग : सिंघाड़े के सेवन से पेशाब से जुड़ी समस्याओं में लाभ होता हैं। पेशाब में जलन, पेशाब का रूक-रूक कर आना जैसी समस्याओं को दूर करने में सिंघाड़े का सेवन करना लाभकारी माना जाता हैं।

बालों का झड़ना : सिंघाड़े में निमैनिक और लोरिक एसिड पाए जाते हैं जो बालो का झड़ना रोकने में मदद करते हैं। इसलिए सिंघाड़े का सेवन आपके बालों के लिए भी फायदेमंद होता हैं।

अनिद्रा : इसमें पोलीफेनॉल्स, फ्लावोनोइड और एंटीऑक्सीडेंट पाए जाते हैं। यह एंटीबैक्टीरियल, एंटीकैंसर और एंटीवायरल गुणों से भी भरपूर होता हैं। इसके सेवन से अनिद्रा यानि की नींद न आने की समस्या को भी दूर किया जा सकता हैं।

टॉन्सिल : सिंघाड़े में आयोडीन पाया जाता हैं जो गले में टॉन्सिल के उपचार में लाभकारी होता हैं। इसके ताज़ा फल या इसका चूर्ण खाना दोनों ही फायदेमंद होते हैं। गले में टॉन्सिल होने पर सिंघाड़े को पानी में उबाल कर इस पानी से रोजाना कुल्ला करने से टॉन्सिल की सूजन दूर होती हैं।

थाइरोइड : कच्चा सिंघाड़ा रोजाना खाने से गोयटर रोग में आराम मिलता हैं। इसके अलावा गोयटर के मरीजों को सिंघाड़े के आटे के पानी से कुल्ला करने पर भी लाभ होता हैं।

नकसीर : अगर आपको नकसीर यानि की नाक से से खून आता हैं तो आप बरसात के मौसम के बाद कच्चा सिंघाड़ा खाना शुरु कर दे, इससे आपको नकसीर से आराम मिलेगा।

गले की खराश : सिंघाड़े में पाए जाने वाले एंटीऑक्सीडेंट गले की खराश और कफ़ को दूर करने में सहायता करते हैं। खांसी के उपचार के लिए यह किसी टॉनिक से कम नहीं हैं।

मा-सिक धर्म : जिन महिलाओं को मा-सिक धर्म में अनियमितता होती हैं उन्हें कच्चे सिंघाड़े का सेवन जरूर करना चाहिए। एक या 2 महीने तक ज्यादा से ज्यादा सिंघाड़ा खाने से मासिक धर्म सामान्य हो जाता हैं।

सूजन और दर्द : सिंघाड़े के छिलके को पीस कर सूजन वाली जगह पर लगाने से सूजन को दूर किया जा सकता हैं। सिंघाड़े में एंटी-ऑक्सीडेंट पाए जाते हैं जो शरीर की सूजन और दर्द को कम करने का काम करते हैं। इसके सेवन से त्वचा की झुर्रियों को भी कम किया जा सकता हैं। यह हमें सूरज की खतरनाक अल्ट्रा वायलेट किरणों से भी बचाता हैं।

माँ और शिशु के लिए फायदेमंद : कमजोरी और पित्त की अधिकता की वजह से जो माता बहने माँ का सुख नही देख पाती उन्हें सिंघाड़ा खाने से फायदा होता हैं। इसके सेवन से भ्रूण को पोषण मिलता हैं और वह स्थिर रहता हैं। 7 महीने की ग-र्भवती महिला को दूध के साथ सिंघाड़े के आटे का हलवा खाने से फायदा होता हैं। सिंघाड़े को नियमित रूप से खाने से होने वाला बच्चा सुंदर और हेल्दी बनता हैं।

एक या दो महीने तक ज्यादा से ज्यादा सिंघाड़े के सेवन से मासिक धर्म सामान्य हो जाता है।

सिघाड़े के तने का रस निकाल कर एक-एक बूंद आँख में डालने से किसी भी प्रकार की आँखों की बीमारी दूर हो जाती है।

जिस व्यक्ति को ज़रा सी खरोंच लग जाए और खून बहुत ज्यादा निकलता हो उसे तो खूब सिघाड़े खाने चाहिए ताकि उसकी ये बीमारी दूर हो जाए। सिघाड़े में रक्त स्तंभक का गुण भी पाया जाता है।

पेशाब में रुकावट महसूस हो रही है तो सिघाड़े का काढा बनाकर दिन में दो बार ले लीजिये।

सिघाड़ा ल्यू*कोरिया, दस्त, खून में खराबी जैसी बीमारियों को भी ठीक करता है।

अस्थमा : जो लोग अस्थमा के रोगी हैं उनके लिए सिंघाड़ा वरदान से कम नहीं है। अस्थमा के रोगीयों को 1 चम्मच सिंघाड़े के आटे को ठंडे पानी में मिलाकर सेवन करना चाहिए। एैसा नियमित करने से अस्थमा रोग में लाभ मिलता है।

बवासीर : बवासीर के रोग में सिंघाड़े के सेवन से लाभ मिलता है। यदि सूखे या खूनी बवासीर हो तो आप नियमित सिंघाड़े का सेवन करें। जल्द ही बवासीर में कमी आयेगी और रक्त आना बंद हो जाएगा।

सिंघाड़े की बेल को पीसकर उसका पेस्ट, शरीर में जलन वाले स्थान पर लगाने से जलन कम हो जाती है। और लाभ मिलता है।

यदि मांसपेशियां कमजोर हैं या शरीर में दुर्बलता हो तो आप नियमित सिंघाड़े का सेवन करें एैसा करने से शरीर की दुर्बलता और कमजोरी दूर होती है।

सिंघाड़ा पित्त और कफ को खत्म करता है। इसलिए सिंघाड़े का नियमित सेवन करना चाहिए।

गले से सबंधी बीमारियों के लिए सिंघाड़ा बहुत ही लाभदायक है। गला खराब होने पर या गला बैठने पर आप सिंघाड़े के आटे में दूध मिलाकर पीयें इससे जल्दी ही लाभ मिलेगा। गले में टांसिल होने पर सिंघाड़ा का सेवन करना न भूलें।

सिंघाडे़ में आयोडीन की प्रर्याप्त मात्रा होने की वजह से यह घेघां रोग में फायदा करता है।

मधुमेह (Diabetes) : सिंघाड़ा में कार्बोहाइड्रेट, मिनरल्स और प्रोटीन होता है। हम आपको बता दें कि सिंघाड़े में भैंस के दूध से 22 प्रतिशत ज्यादा मिनरल्स होते हैं। इससे कई बीमारियों से छुटकारा मिल जाता है। इतना ही नहीं, इसका सेवन करने से डायबटीज, हार्ट की परेशानी या अल्सर की समस्या भी दूर हो जाती है।था

यूरिन इंफेक्शन : अगर आपको यूरिन इंफेक्शन जैसी समस्या हो जाए तो इसे दूर करने में भी सिंघाड़े का सेवन करना चाहिए।

खून बढ़ाना : सिंघाड़े का सेवन करने से हमारे शरीर में खून बनता है, ऐसा इसलिए क्योंकि सिंघाड़े में आयरन की भरपूर मात्रा होती है।

बालों के लिए : सिंघाड़े में कई तरह के पोषक तत्व होते हैं जो कि हमारे शरीर से विषाक्त पदार्थों को बाहर निकालता है। इससे हमारे बालों को खतरा नहीं होता है और इससे हमारे बाल भी अच्छे हो जाते हैं।

आँखों की रौशनी : आखों की रोशनी को बढ़ाने में भी सिंघाडा फायदा करता है क्योंकि इसमें विटामिन ए सही मात्रा में पाया जाता है।

नाक से नकसीर यानी खून बहने पर सिघाड़े के सेवन से फायदा होता है। यह नाक से बहने वाले नकसीर को बंद कर देता है।

प्रसव होने के बाद महिलाओं में कमजोरी आ जाती है। इस कमजोरी को दूर करने के लिए महिलाओं को सिंघाड़े का हलवा खाना चाहिए यह शरीर में होने वाली कमजोरी को दूर करता है।

हड्डीयो की मजबूती : कैल्शियम की सही मात्रा की वजह से सिंघाड़ा हड्डियों और दांतों को मजबूत बनाता है।

दाद : निम्बू के रस में सूखे सिंघाड़े को घिसकर दाद पर प्रतिदिन लगाया जाए तो दाद में आराम मिलता है हलांकि ऐसा करने से दाद वाली जगह पर पहले जलन होती है और फिर ठंडक महसूस होती है।

सिंघाड़े के आटे में बबूल गोंद, देशी घी और मिश्री मिलाकर लगभग 30 ग्राम प्रतिदिन दूध के साथ लेने से शरीर की दुर्बलता दूर होती है।

शक्कर और पिसा हुआ सूखा सिंघाड़ा की समान मात्रा (50-50 ग्राम) लेकर मिला लें। इस चूर्ण को चुटकी भर मात्रा में पानी के साथ सुबह शाम देने से बच्चे बिस्तर में पेशाब करना बंद कर देते है।

गले में टांसिल्स होने पर सिंघाड़े को पानी में उबालकर इस पानी से प्रतिदिन कुल्ला किया जाए तो टांसिल्स की सूजन दूर होती है।

कच्चे सिंघाड़े को कुचलकर शक्कर और नारियल के साथ चबाने से शरीर को जबरदस्त ऊर्जा मिलती है, माना जाता है कि यह नुस्खा शारीरिक स्फूर्ति प्राप्त करने के लिए अचूक है।

यह शरीर से जहरीले पदार्थों को बाहर निकालने में काफी मददगार होता है।

मैग्नीज और आयोडीन की पर्याप्त मात्रा होने के कारण यह थायरॉइड ग्रंथि की कार्यशैली को सुचारू रखने में भी मदद करता है।

सिंघाड़ा सूजन और दर्द में मरहम का काम करता है। शरीर के किसी भी अंग में सूजन होने पर सिंघाड़े के छिलके को पीस कर लगाने से आराम मिलता है।

सिंघाड़ा ऐसा फल है, जिसमें पोषक तत्वों से मैग्नीज ग्रहण करने की क्षमता होती है।

इसके नियमित सेवन से शरीर मोटा और शक्तिशाली बनता है।

बुखार व घबराहट में फायदेमंद रोज 10-20 ग्राम सिंघाड़े के रस का सेवन करने से आराम मिलता है।

पेशाब में जलन, रुक-रुक कर पेशाब आना जैसी बीमारियों में सिंघाड़े का सेवन लाभदायक है।

जिन लोगों की नाक से खून आता है, उन्हें बरसात के मौसम के बाद कच्चे सिंघाड़े खाना फायदेमंद है।

सिंघाड़े (Water Caltrops) खाने में सावधानियाँ :

एक स्वस्थ व्यक्ति को रोजाना 5-10 ग्राम ताजे सिंघाड़े खाने चाहिए। पाचन प्रणाली के लिहाज से सिंघाड़ा भारी होता है, इसलिए ज्यादा खाना नुकसानदायक भी हो सकता है। पेट में भारीपन व गैस बनने की शिकायत हो सकती है। सिंघाड़ा खाकर तुरंत पानी न पिएं। इससे पेट में दर्द हो सकता है। कब्ज हो तो सिंघाड़े कम खाएं।

अगर आप जरूरत से ज्यादा सिंघाड़े का सेवन करते हैं तो इससे पाचनतंत्र खराब हो सकता है।

इतना ही नहीं सिंघाड़ा ज्यादा खाने से आंतों की सुजन और पेट दर्द सही हो जाता है।

सिंघाड़ा खाने के बाद कभी भी पानी का सेवन नहीं करना चाहिए, इससे सर्दी और खांसी भी दूर होती है।

अगर आपको कब्ज है तो ऐसे में आप सिंघाड़े का सेवन करना बंद कर दें, क्योंकि इसका सेवन करने से यह समस्या और भी अधिक बढ़ सकती है।