तुलसी प्रकृति की अद्भुत देन है। यह उन अनोखी प्राकृतिक औषधियों में से एक है, जिसमें अनेक रोगों के उपचार का गुण विद्यमान है। यह एंटी-बैक्टीरियल, एंटी -फंगल, एंटी-वायरल, एंटी-ऑक्सीडेंटल और आवश्यक तेल सहित अनेक गुणों से भरपूर होता है।

इस औषधि की पत्ती और फूल दोनों हींं उपयोगी होते हैंं और अच्छी बात यह है कि यह सरलता से उपलब्ध हो जाता है। आइए जानें किस तरह तुलसी का प्रयोग अनेक रोगों के उपचार में किया जा सकता है।

हमारी भारतीय संस्कृति और शास्त्रों के अनुसार जिस घर के आंगन में तुलसी का पौधा लगा होता है, वहां पर कभी नकरात्मक शक्तियां प्रवेश नहीं करती. ऐसी मान्यता है तुलसी के पौधे में साक्षात मां लक्ष्मी का वास होता है।

जन्माष्टमी पर तुलसी की परिक्रमा क्यों करे?

देशभर में भगवान श्री कृष्ण के जन्मदिन की तैयारियां बड़े जोरों शोरों से चल रही हैं श्री कृष्ण जी का जन्मोत्सव भाद्रपद मास के कृष्ण पक्ष की अष्टमी तिथि को जन्माष्टमी के रूप में मनाई जाती है।

ऐसा माना जाता है कि यह दिन भगवान कृष्ण जी की कृपा प्राप्त करने के लिए सबसे अच्छा दिन होता है अगर आप इस दिन कुछ आसान से उपाय करते हैं तो आपका बुरा भाग्य बदल जाएगा और आपको भगवान श्री कृष्ण जी का आशीर्वाद प्राप्त होगा आज हम आपको इस लेख के माध्यम से ऐसे कुछ खास उपाय बताने वाले हैं।

जिनको करके आप अपने घर परिवार में सुख समृद्धि बनाए रख सकते हैं और आपके जीवन की सभी परेशानियां दूर होंगी इसके साथ आपका घर परिवार खुशहाल बनेगा। आइए जानते है All Ayurvedic के माध्यम से की जन्माष्टमी पर क्या उपाय करने चाहिए

तुलसी की पूजा : हिंदू धर्म में तुलसी के पौधे को बहुत ही पवित्र माना गया है आप हर हिंदू धर्म को मानने वाले व्यक्ति के घर में तुलसी का पौधा अवश्य देखेंगे भगवान श्री कृष्ण की पूजा में तुलसी का विशेष महत्व होता है इसलिए जन्माष्टमी पर आप तुलसी के पौधे के सामने गाय के घी का दीपक जरूर जलाएं और इसके साथ ही ऊं वासुदेवाय नम: मंत्र का उच्चारण करते हुए तुलसी की 11 परिक्रमा कीजिए यदि आप यह उपाय करते हैं तो इससे आपके घर परिवार में सुख शांति का वास होता है और आपके जीवन में चल रही सभी समस्याएं दूर होती हैं आपके जीवन में किसी भी प्रकार का संकट नहीं आता है।

जरूरतमंदों को करना चाहिए दान : जैसा कि आप लोग जानते होंगे कि भगवान श्री कृष्ण जी को पीतांबरधारी भी कहा जाता है जिसका मतलब होता है पीले रंग के वस्त्र धारण करने वाला, अगर आप जन्माष्टमी पर पीले रंग के वस्त्र पीले फल और पीले अनाज पहले भगवान श्री कृष्ण जी को अर्पित करते हैं और इसके बाद इन सभी चीजों को निर्धनों और जरूरतमंदों में दान करते हैं तो इससे आपको भगवान श्री कृष्ण जी का आशीर्वाद मिलेगा जिससे आपका जीवन खुशहाल बनेगा।

खीर का लगाएं भोग : जिन व्यक्तियों को धन प्राप्ति की इच्छा है उनको जन्माष्टमी के दिन किसी कृष्ण मंदिर में जाना चाहिए और सफेद मिठाई या खीर का भोग लगाना चाहिए परंतु आपको इस बात का ध्यान देना होगा कि उसके अंदर तुलसी के पत्ते अवश्य डालिए ऐसा करने से भगवान श्रीकृष्ण बहुत शीघ्र प्रसन्न होते हैं।

पीपल पर करें जल अर्पित : अगर किसी व्यक्ति के ऊपर अधिक कर्जा हो रखा है और लाख कोशिश करने के बावजूद भी कर्ज चुकाने में सक्षम नहीं हो पा रहा है तो इसके लिए जन्माष्टमी पर किसी पीपल के पेड़ पर जल अर्पित कीजिए और शाम के समय दीपक जलाएं पीपल के पेड़ में भगवान का वास होता है अगर आप यह उपाय करते हैं तो आप बहुत ही जल्दी कर्ज से छुटकारा प्राप्त कर लेंगे।

इन मंत्रों का करें जाप : अपने जीवन से धन से संबंधित परेशानियों को दूर करने के लिए और धन की कामना हेतु आप जन्माष्टमी पर इन मंत्रों का 5 माला जाप कीजिए- ऊं ह्रीं ऐं क्लीं श्री:।

तुलसी के घर में होने से कंगाली दूर होती है। अगर होती भी है तो यह उसे नष्ट कर घर में धन की वृद्धि करती है। लेकिन क्या आप जानते हैं की एक ऐसा कोना है जहां पर कभी तुलसी नहीं लगानी चाहिए, आइए जाने इसके बारे में…

 

घर में तुलसी किस कोने में लगायें और किसमे नही :

पूर्व या उत्तर दिशा : तुलसी के गमले में दूसरा कोई पौधा न लगाएं। तुलसी हमेशा घर के पूर्व या उत्तर दिशा में लगाएं।

दक्षिण में लगना होगा नुक़सान : वास्तु के अनुसार, घर के दक्षिण भाग को छोड़कर कहीं भी तुलसी का पौधा लगाया जा सकता है क्योंकि दक्षिण में लगा पौधा फायदे की बजाय नुकसान पहुंचा सकता है।

शालिग्राम का पूजन : प्राचीन परम्परा से तुलसी का पूजन सद्गृहस्थ परिवार में होता आया है, जिनकी संतान नहीं होती, वे तुलसी विवाह भी कराते हैं। तुलसी पत्र चढ़ाए बिना शालिग्राम का पूजन नहीं होता।

पंचामृत में तुलसी : विष्णु भगवान को चढ़ाए श्राद्ध भोजन में, देव प्रसाद, चरणामृत, पंचामृत में तुलसी पत्र होना आवश्यक है अन्यथा वह प्रसाद भोग देवताओं को नहीं चढ़ता।

मरते हुए प्राणी के अंतिम समय में गंगाजल व तुलसी पत्र : मरते हुए प्राणी के अंतिम समय में गंगाजल व तुलसी पत्र दिया जाता है. तुलसी जितनी धार्मिक मान्यता किसी भी पेड़-पौधे की नहीं है।

तुलसी के औषधीय फायदे :

सर्दी-जुकाम एवं सिरदर्द में: वायरस से लडने की क्षमता होने के कारण तुलसी के पत्तों को प्रतिदिन खाली पेट चबाने से सर्दी-जुकाम और फ्लू आदि से बचा जा सकता है। ऐसी स्थित में कुछ तुलसी पत्रों, काली मिर्च,अजवायन और नमक के मिश्रण को उबालकर तैयार किए काढे का प्रयोग काफी प्रभावी होता है। सिरदर्द होने पर इनकी पत्तियों के पेस्ट और घिसे चंदन को मिलाकर तैयार किए हुए लेप को कपाल पर लगाने से शीघ्र राहत मिलता है।

बुखार में उपयोगी: इस अद्भुत औषधि के एंटी-पायरेटिक गुण के कारण यह बुखार के प्रभाव को कम करने में काफी कारगर होता है।

पथरी का इलाज: जो लोग किडनी की पथरी से ग्रस्त उनके लिए तुलसी एक वरदान से कम नहीं है। एक शोध में पता चला कि इसके इलाज के लिए तुलसी पत्रों के रस एवं शहद के मिश्रण के नियमित सेवन से किडनी की पथरी धीरे-धीरे गलकर मूत्रमार्ग से बाहर निकल जाती है।

डायबिटीज का उपचार: तुलसी अपने औषधीय गुणों में एंटी-अॉक्सीडेंट तथा लाभकारी तेलों के गुण भी समाए हुए है। इसकी पत्तियों का जूस हमारे अग्न्याशय के सुचारू रूप से संचालन में मदद करता है,जिससे शरीर मेंं इंसुलीन,जो ग्लूकोज के पाचनमें सहायक है, के उत्पादन की मात्रा संतुलित करता है। ऐसे रोगियों के लिए तुलसी सर्वोत्तम प्राकृतिक औषधि है।

नावदूर करने में: दिन भर भाग-दौड और कम के प्रेशर से परेशान लोग अक्सरतनाव से ग्रस्त रहते हैंं। ऐसे में सुबह-सुबह तुलसी के पत्ते नियमित रूप से चबाने पर यह हमारे अंदर नई ऊर्जा का संचार करके तनाव से छुटकारा पाने में मदद करता है।

हृदय रोगों से रक्षा: शोध के अनुसार, तुलसी में ‘Eugenol’ नामक एंटी-ऑक्सीडेंट पाया जाता है,जो खराब कॉलेस्ट्रॉल को कम करके रक्तचाप को संतुलित करता है। अतः रोज तुलसी के पत्ते चबाकर खाने से अनेक तरह के हृदय रोगों से बचा जा सकता है।

चर्मरोग का निवारण: तुलसी दल के रस प्रयोग अनेक प्रकार के चर्मरोगों के उपचार में भी कारगर है,क्योंकि इसमें एंटी-फंगल गुण पाया जाता है। इसके साथ हींं यह खुजली और सफेद दाग को ठीक करने में उपयोगी है।

दुर्गंध दूर करे: मुंंह से दुर्गंध की परेशानियों को दूर करने के लिए तुलसी की सूखी पत्तियों का सरसों तेल के साथ पेस्ट बनाकर मसूडों पर मसाज करने से मुंह की दुर्गंध समाप्त हो जाती है। इसके अलावा इस पेस्ट से दांतोंकी सफाई करने पर पायरिया जैसे दंत रोगों से बचा जा सकता है।