सभी ग्रहों के न्यायकर्ता शनि देव माने जाते हैं. हर व्यक्ति के द्वारा किये जाने वाले कार्य और उसके फल के पीछे शनि ही हैं. व्यक्ति की आजीविका, रोग और संघर्ष शनि के द्वारा ही निर्धारित होते हैं।

शनि को प्रसन्न करके व्यक्ति जीवन के कष्टों को कम कर सकता है। साथ ही करियर और धन के मामले में सफलता पा सकता है। शनि देव की पूजा अगर समझकर और सावधानी के साथ की जाए तो तुरंत फलदायी होती है।

शनि देव की पूजा में इन बातों का रखें ध्यान

शनि देव की पूजा शनि की मूर्ति के समक्ष न करें। शनि के उसी मंदिर में पूजा आराधना करनी चाहिए जहां वह शिला के रूप में हों। प्रतीक रूप में शमी के या पीपल के वृक्ष की आराधना करनी चाहिए।

शनि देव के समक्ष दीपक जलाना सर्वश्रेष्ठ है, परन्तु तेल उड़ेल कर बर्बाद नहीं करना चाहिए। जो लोग भी शनि देव की पूजा करना चाहते हैं, उनको अपना आचरण और व्यवहार अच्छा रखना चाहिए।

किस प्रकार करें शनि देव की पूजा?

शनिवार के दिन पहले शिव जी की या कृष्ण जी की उपासना करें। उसके बाद सायंकाल शनि देव के मन्त्रों का जाप करें। पीपल के वृक्ष की जड़ में जल डालें,उसके बाद वृक्ष के पास सरसों के तेल का दीपक जलाएं। किसी गरीब व्यक्ति को एक वेला का भोजन जरूर कराएं। इस दिन भूलकर भी तामसिक आहार ग्रहण न करें।

साढ़ेसाती और ढय्या के अशुभ प्रभाव को कम करे

साढ़ेसाती और ढय्या के अशुभ प्रभाव को कम करने के लिए प्रत्येक शनिवार को शनिदेव की पूजा और उनके मंत्रों का जाप करना चाहिए। शनिदेव के 10 नाम वाले मंत्र और उसकी जाप विधि इस प्रकार है।

इस मंत्र का जाप करे –

कोणस्थ पिंगलो बभ्रु: कृष्णो रौद्रोन्तको यम:।
सौरि: शनैश्चरो मंद: पिप्पलादेन संस्तुत:।।

यह हैं शनिदेव के 10 नाम

1. कोणस्थ 2. पिंगल 3. बभ्रु 4. कृष्ण 5. रौद्रान्तक 6. यम 7. सौरि 8. शनैश्चर 9. मंद 10. पिप्पलाद।

इस विधि से करें मंत्र का जाप

शनिवार की सुबह स्नान आदि करने के बाद एक साफ स्थान पर शनिदेव की प्रतिमा या चित्र स्थापित करें। शनिदेव के सामने शुद्ध घी का दीपक जलाएं। ये दीपक पूजा समाप्त होने तक जलते रहना चाहिए।

शनिदेव को नीले फूल अर्पित करें और इसके बाद रुद्राक्ष की माला से इस मंत्र का जाप करें। कम से कम 5 माला जाप अवश्य करें। इस प्रकार शनिदेव की पूजा करने से आपकी परेशानियां दूर हो सकती हैं।

शनिदेव का हमारे जीवन मे प्रभाव और उनको प्रसन्न करने के उपाय

वर्तमान समय में यदि कोई व्यक्ति सबसे ज्यादा किसी ग्रह से डरता है तो वह शनिदेव हैं। सूर्यपुत्र शनि का नाम जेहन में आते ही तमाम तरह के अनिष्ट की आशंका से मन घबराने लगता है।

हालांकि धीमी गति से चलने वाला शनि अत्यंत दार्शनिक एवं आध्यात्मिक प्रवृत्ति के देवता हैं। शनिदेव व्यक्ति को कई तरह की अग्नि परीक्षा से गुजार कर सोने की तरह चमका देते हैं।

कुंडली में शनि के शुभ स्थान पर होने पर वे व्यक्ति को अपार संपत्ति और मान-सम्मान ​की प्राप्ति करवाते हैं. वहीं अशुभ स्थान पर भारी नुकसान पहुंचाते हैं।

कहते हैं कि शनि शुभ हों तो व्यक्ति का मकान बनवा देते हैं, लेकिन अशुभ हों तो मकान तक बिकवा देते हैं. आइए जानते हैं All Ayurvedic के माध्यम से ​शनिदेव के उन महाउपायों को जिन्हें करने व्यक्ति शनि के दोष से मुक्त होता है और उसके सारे कार्य बनने लगते हैं।

माता-पिता का सम्मान करें : शनि की कृपा पानी हो तो सबसे पहले आपको अपने माता-पिता का आदर करना होगा. उनकी सेवा करनी होगी. यदि वे दूर हों तो आप उनके चित्र को प्रणाम करें. फोन करके प्रतिदिन आशीर्वद लें. शनि का यह उपाय आपको चमत्कारिक रूप से लाभ दिलाएगा।

नीलम रत्न धारण करें : यदि आपके ऊपर श​नि की ढैय्या या साढ़ेसाती चल रही है और आप शनि के द्वारा मिल रहे कष्टों से परेशान हैं तो आपको किसी ज्योतिषी से सलाह लेकर नीलम या नीली रत्न धारण करना चाहिए. यदि आप इसे न ले सकें तो शमी की जड़ को काले कपड़े में बांधकर बाजू में धारण करें।

शनि के मंत्र का करें जाप : शनि के दोष को दूर करने के लिए प्रतिदिन शनि के मंत्र ”ॐ प्रां प्रीं प्रौं स: शनिश्चराय नम:” का प्रतिदिन कम से कम तीन माला जप करें।

इन चीजों के दान का है खास महत्व : शनि संबंधी परेशानियों को दूर करने के लिए शनि का दान एक प्रभावी उपाय है. शनि की कृपा पाने के लिए आप लोहा, काला तिल, उड़द, कुलथी, कस्तूरी, काले कपड़े, काले जूते, चाय की पत्ती, आदि दान कर सकते है।

शनिवार के दिन इस नियम का करें पालन : शनिवार के दिन पीपल के पेड़ के चारों ओर सात बार कच्चा सूत लपेटें. सूत लपेटते समय शनि के मंत्र का जाप करते रहें. इसके बाद दीपदान करें. साथ ही शनिवार के दिन में केवल एक बार नमक-मसाला रहित सादा भोजन करें या खिचड़ी बनाकर खाएं।

इस उपाय से शनिदेव होंगे प्रसन्न : प्रत्येक काले कुत्ते को तेल में चुपड़ी रोटी और मिठाई खिलाएं. यदि यह उपाय संभव न हो तो काले कुत्ते को बिस्कुट खिलाएं. इसी तरह काली गाय की सेवा से भी शनिदेव प्रसन्न होते हैं और उनसे होने वाले दोष दूर होते हैं।

शनि के दोषों को दूर करेंगे हनुमान : शनि संबंधी दोषों को दूर करने के लिए हनुमान जी साधना रामबाण साबित होती है. यदि शनि की ढैय्या या साढ़ेसाती से परेशान चल रहे हैं तो प्रतिदिन हनुमान जी की साधना-आराधना करें. मंगलवार और शनिवार के दिन विशेष रूप से सुंदरकांड का पाठ करें और हनुमान जी को सिंदूर का चोला चढ़ाएं।

ॐ प्रां प्रीं प्रौं स: शनिश्चराय नम:

सूर्य पुत्रो दीर्घ देहो विशालाक्ष: शिव प्रिय:।
मंदाचाराह प्रसन्नात्मा पीड़ां दहतु में शनि:।।

भगवान शिव की करें उपासना : शिव की कृपा या उनसे जुड़े दोषों को आप दूर करना चाहते हैं तो इसके लिए एक सिद्ध उपाय शास्त्रों में बताया गया है। शनि के प्रकोप का भय दूर करने से नियमपूर्वक शिव सहस्त्रनाम या शिव के पंचाक्षरी मंत्र का पाठ करें साथ ही इस मंत्र से आपके जीवन की सारी बाधाएं दूर होंगी। शनि द्वारा जो नकारात्मक परिणाम मिलना होता है वह इस उपाय से खत्म हो जाता है।

हनुमान जी की करें पूजा : शनि से जुड़ी दिक्कतें दूर भगवान शिव की तरह उनके अंशावतार बजरंग बली की साधना करने से भी समाप्त होती है। प्रतिदिन हनुमान चालीसा का पाठ करने से कुंडली में शनि से जुड़े दोष भी दूर होते हैं। अगर हो सके तो हर शनिवार सुंदरकांड का पाठ भी करें। अपनी क्षमता के अनुसार हनुमान जी को कुछ मीठा भोग लगाएं।

शमी का वृक्ष घर में लगाएँ : घर में शमी का वृक्ष लगाएं और उसकी पूजा नियमित रूप से रोजाना करें। घर का वास्तुदोष ऐसा करने से दूर होगा साथ ही आप पर हमेशा शनिदेव की कृपा बनी रहती है। शनिदेव की कृपा पाने के लिए पीपल को जल और तेल का दीपक शनिवार को जलाना चाहिए।