स्वस्थ शरीर पाने लिए पाचन ठीक होना आवश्यक है। हम जो कुछ भी खाते है उसे पाचन तंत्र शरीर में पहुंचाता है। पाचन तंत्र भोजन को ऊर्जा में बदल कर शरीर को पोषण और शक्ति देता है और हमारी रोग प्रतिरोधक क्षमता को बढ़ता है।

पाचन क्रिया कमजोर हो जाने पर खाया पिया अछे से पचता नहीं और शरीर को आवश्यक पोषक तत्व नहीं मिलते। खराब पाचन से शरीर की इम्यूनिटी कमजोर होने लगती है जिस कारण बीमारियां होने की संभावना बढ़ जाती है।

अनहेल्थी लाइफस्टाइल और खाने पीने की बुरी आदतों का बुरा प्रभाव  हमारे डाइजेशन पर पड़ता है। पाचन शक्ति मजबूत ना होने पर पेट में गैस, क़ब्ज़,अल्सर, मोटापा, दुबलापन, बदहज़मी, पेट और लिवर की बीमारियां होने का खतरा अधिक होता है, इसलिए जरुरी है की पाचन क्रिया ठीक करने के तरीके किये जाये। इस लेख में हम पढ़ेंगे पाचन शक्ति बढ़ाने के उपाय और देसी घरेलू नुस्खे…

कमजोर पाचन क्रिया के कारण :

बेवक़्त खाना, नींद पूरी ना लेना।

तनाव अधिक लेना, फास्ट फुड अधिक खाना।

जल्दी जल्दी भोजन खाना, शारीरिक क्रिया कम होना।

एक ही जगह कई घंटे लगातार बैठ कर काम करना।

कौन से घेरलू उपाय करे :

एक छोटा टुकड़ा अदरक ले और इस पर नींबू का रस डाल कर चूसे, इस घरेलू नुस्खे से पाचन क्रिया बढ़ती है।

काला नमक, जीरा और अजवाइन बराबर मात्रा में ले और मिक्स करके इस मिश्रण का एक चम्मच पानी के ले।

अजवाइन के पानी से भी पाचन मजबूत होता है।

इलायची के बीजों को पीस कर चूर्ण बना ले और बराबर मात्रा में मिश्री मिला ले। तीन ग्राम मात्रा में ये देसी दवा दिन में दो से तीन बार खाए।

आँवले का पाउडर, भूना हुआ जीरा, सौंठ, सेंधा नमक, हींग और काली मिर्च मिलाकर इसकी छोटी छोटी वडी बनाकर सेवन करे। इस उपाय से पाचन शक्ति मजबूत होती है और इससे भूख भी बढ़ती है। इस उपाय से चर्बी  शरीर में जमा नही होती जिससे मोटापे से छुटकारा मिलता है।

पाचन क्रिया कैसे बनाये :

लगातार कई घंटों तक एक ही जगह पर ना बैठे और अगर आपने काम की वजह से आपको एक ही जगह बैठना पड़ता है तो एक दो घंटे में पांच से दस मिनट का ब्रेक ले और कुछ कदम चले।

खाना चबा चबा कर खाए। धूम्रपान, तंबाकू और शराब से दूर रहे।तला हुआ और मसालेदार खाने से परहेज करे।

रात को देर से ना सोए, छह से आठ घंटे की नींद ले। सुबह दोपहर और रात का भोजन सही समय पर करे।

आपके पेट में भोजन पच रहा है या सड़ रहा है.? 

एक कहावत है ‘पहला सुख निरोगी काया’। स्वस्थ शरीर स्वस्थ दिमाग के निर्माण में सहायक होता है। स्वस्थ रहने की पहली शर्त है आपकी पाचन शक्ति का सुदृढ़ होना। भोजन के उचित पाचन के अभाव में शरीर अस्वस्थ हो जाता है, मस्तिष्क शिथिल हो जाता है और कार्यक्षमता को प्रभावित करता है। जिस प्रकार व्यायाम में अनुशासन की आवश्यकता होती है, ठीक उसी प्रकार भोजन में भी अनुशासन महत्वपूर्ण है।

अधिक खाना, अनियमित खाना, देर रात तक जागना, ये सारी स्थितियां आपके पाचन तंत्र को प्रभावित करती हैं। अतः यह आवश्यक हो जाता है कि पाचन शक्ति को दुर्बल होने से बचाएं। पाचन तंत्र की दुर्बलता दूर करने के लिए खाना खाने के बाद पेट मे खाना पचेगा या खाना सड़ेगा ये जानना बहुत जरुरी है।

हमने रोटी खाई, हमने दाल खाई, हमने सब्जी खाई, हमने दही खाया लस्सी पी, दूध, दही छाछ लस्सी फल आदि, ये सब कुछ भोजन के रूप मे हमने ग्रहण किया ये सब कुछ हमको उर्जा देता है और पेट उस उर्जा को आगे ट्रांसफर करता है। पेट मे एक छोटा सा स्थान होता है जिसको हम हिंदी मे कहते है “अमाशय” उसी स्थान का संस्कृत नाम है “जठर”। उसी स्थान को अंग्रेजी मे कहते है ” epigastrium“।

ये एक थेली की तरह होता है और यह जठर हमारे शरीर मे सबसे महत्वपूर्ण है क्योंकि सारा खाना सबसे पहले इसी मे आता है। ये बहुत छोटा सा स्थान है इसमें अधिक से अधिक 350GMS खाना आ सकता है | हम कुछ भी खाते सब ये अमाशय मे आ जाता है| आमाशय मे अग्नि प्रदीप्त होती है उसी को कहते हे”जठराग्न”। ये जठराग्नि है वो अमाशय मे प्रदीप्त होने वाली आग है । ऐसे ही पेट मे होता है जेसे ही आपने खाना खाया की जठराग्नि प्रदीप्त हो गयी।

यह ऑटोमेटिक है, जेसे ही अपने रोटी का पहला टुकड़ा मुँह मे डाला की इधर जठराग्नि प्रदीप्त हो गई| ये अग्नि तब तक जलती हे जब तक खाना पचता है। अब अपने खाते ही गटागट पानी पी लिया और खूब ठंडा पानी पी लिया और कई लोग तो बोतल पे बोतल पी जाते है।

अब जो आग (जठराग्नि) जल रही थी वो बुझ गयी। आग अगर बुझ गयी तो खाने की पचने की जो क्रिया है वो रुक गयी। अब हमेशा याद रखें खाना जाने पर हमारे पेट में दो ही क्रिया होती है, एक क्रिया है जिसको हम कहते हे “Digestion” और दूसरी है “fermentation” फर्मेंटेशन का मतलब है सडन और डायजेशन का मतलब हे पचना।

आयुर्वेद के हिसाब से आग जलेगी तो खाना पचेगा,खाना पचेगा तो उससे रस बनेगा जो रस बनेगा तो उसी रस से मांस, मज्जा, रक्त, हड्डिया, मल-मूत्र और अस्थि बनेगा और सबसे अंत मे मेद बनेगा। ये तभी होगा जब खाना पचेगा। ये तो हुई खाना पचने की बात. खाना नहीं पचने पर बनता है यूरिक एसिड, कोलेस्ट्रोल, LDL-VLDL और यही आपके शरीर को रोगों का घर बनाते है।

पेट मे बनने वाला यही जहर जब ज्यादा बढ़कर खून मे आते है! तो खून दिल की नाड़ियो मे से निकल नहीं पाता और रोज थोड़ा थोड़ा कचरा जो खून मे आया है इकट्ठा होता रहता है और एक दिन नाड़ी को ब्लॉक कर देता है जिसे आप heart attack कहते हैं।

तो हमें जिंदगी मे ध्यान इस बात पर देना है की जो हम खा रहे हे वो शरीर मे ठीक से पचना चाहिए और खाना ठीक से पचना चाहिए इसके लिए पेट मे ठीक से आग (जठराग्नि) प्रदीप्त होनी ही चाहिए| क्योंकि बिना आग के खाना पचता नहीं हे और खाना पकता भी नहीं है।