आप सभी ने अपने जीवनकाल में कभी न कभी केरला जरूर ही खाया होगा, करेला खाने से हमारे शरीर को बहुत ज्यादा फायदा होता है।

करेले में प्रोटीन, कार्बोहाइड्रेट, कैल्शियम, आयरन, फॉस्फोरस, मैग्नीशियम, विटामिन बी, विटामिन ए और कई विटामिन पाए जाते हैं।

जिसके सेवन से हमारे शरीर को बहुत ही ज्यादा लाभ होता है लेकिन इसके बावजूद भी कुछ लोगों को करेले का सेवन बिल्कुल भी नहीं करना चाहिए, जिसके बारे में आज हम All Ayurvedic के माध्यम से आपको विस्तार से बताने जा रहे हैं।

करेला प्रकृति का वरदान हैं, इसे सेहत के लिए बहुत फायदेमंद माना जाता है। करेले का सेवन डायबिटीज में लाभ, वजन घटाने आदि के लिए किया जाता है। लेकिन हर किसी के लिए करेले का अत्याधिक सेवन सिर्फ फायदों से भरा हो ऐसा जरूरी तो नहीं होता।

शोध के अनुसार करेले का अधिक सेवन करने से कई तरह के नुकसान हो सकते हैं, जैसे प्रेगनेंसी में, बच्चों के लिए, लिवर, दिल की धड़कन आदि के लिए करेला नुकसानदायक हो सकता हैं। तो चलियें जानते हैं करेले के नुकसान…

करेला के हानिकारक प्रभाव

मधुमेह : डायबिटीज के मरीज़ को करेला खाने की सलाह दी जाती हैं. लेकिन इसके प्रयोग करने के संबंध में सावधानी बरतनी चाहिए. क्योंकि करेला शरीर को नुकसान भी पहुचा सकता हैं। डायबिटीज के रोगी यदि अधिक मात्रा में करेले का प्रयोग करते हैं तो यह उनके लिए हानिकारक साबित हो सकता हैं।

करेले के ज़्यादा सेवन से ब्लड प्रेशर कम हो सकता हैं, इसलिए इसके नियमित प्रयोग से पहले डॉक्टर की सलाह ज़रूर ले, यदि ब्लड शुगर लेवल ज्यादा है तो आप डॉक्टर की सलाह पर इसका सेवन नियमित कर सकते है।

हीमोलाइटिक एनीमिया : करेले का अधिक सेवन करने से हीमोलाइटिक एनीमिया की समस्या हो सकती है। इस स्थिति में पेट दर्द, सिर दर्द, बुखार या कोमा की स्तिथि उत्पन्न हो सकती है।

गर्भवती महिलाओं के लिए नुकसानदेह : गर्भवती महिलाओं को करेले का सेवन बिल्कुल भी नहीं करनी चाहिए।  इससे शिशु को नुकसान पहुच सकता हैं. साथ ही जो महिलाए माँ बनने के बारे में सोच रही हैं, उन्हे करेले खाने से बचना चाहिए।

क्योंकि करेले के बीजो में Alpha-momorcharin तत्व होता हैं, जो प्रेग्नेन्सी में बाधक होता हैं। साथ ही ज्यादा मात्रा में करेले का सेवन करने से बच्चा समय से पहले जन्म ले लेता है।

हृदय की धडकन का अनियमित होना : करेले के नुकसान भी हो सकते हैं। शोध के अनुसार इस बात का खुलासा हुआ है कि करेले का अधिक सेवन करने से हृदय की धड़कन अनियमित हो जाती है।

हाइपोग्लाइकेमिया कोमा : करेले के नुकसान में एक नुकसान हाइपोग्लाइकेमिया कोमा नामक मानसिक समस्या का पैदा होना भी है। करेले का अधिक सेवन करने से शुगर कम हो जाती है। यह रक्त में शुगर के स्तर को इतना कम कर देती है कि इससे हाइपोग्लाइकेमिया कोमा की समस्या पैदा हो जाती है।

लिवर और किडनी : अधिक मात्रा में करेले का सेवन लिवर और किडनी इन्फेक्शन का कारण बन सकता हैं। करेला सीधे तौर पर लिवर को नुकसान नही पहुचाता हैं, लेकिन इसके अधिक इस्तेमाल से लिवर एन्ज़ाइम बढ़ते हैं जो धमियो में अकड़न बढ़ा सकते हैं।

बच्चों के लिए : बच्चों को ज्यादा मात्रा में करेले का सेवन नहीं करना चाहिए क्योंकि करेले के बीज को कवर करने वाले लाल तत्व विषाक्त होते हैं, जो बच्चो में उल्टी और डायरिया जैसी बीमारी फैला सकते हैं।

करेले के औषधीय गुण

त्वचा रोग में भी लाभकारी : इसमें मौजूद बिटर्स और एल्केलाइड तत्व रक्त शोधक का काम करते हैं। करेले की सब्जी खाने और मिक्सी में पीस कर बना लेप रात में सोते समय लगाने से फोड़े-फुंसी और त्वचा रोग नहीं होते। दाद, खाज, खुजली, सियोरोसिस जैसे त्वचा रोगों में करेले के रस में नींबू का रस मिलाकर पीना फायदेमंद है।

करेला रक्तशोधक होता है। चर्म रोगी को भी यह लाभकारी है। फोड़े फुंसी तथा अन्य चर्म रोगों पर करेले का रस लगाने से बहुत लाभ होता है। प्रतिदिन सुबह-शाम आधा चम्मच रस बराबर मात्रा में शहद के साथ लेने से खून की खराबियों को दूर करता है तथा खून साफ हो जाता है।

करेला खून की शुध्दि करने में पूरी तरह सक्षम है। यदि त्वचा-रोग हो तो भी रक्त-शुध्दि हेतु करेले का रस कुछ दिनों तक आधा-आधा कप पीना लाभदायक है। इस प्रकार कड़ुवा करेला अनेकों रोगों में औषधि रूप में काम आ सकता है बशर्ते उसे उसी रूप में लिया जाये- रस या सब्जी बनाकर।

रोग प्रतिरोधक क्षमता बढ़ाए : करेले में मौजूद खनिज और विटामिन शरीर में रोग प्रतिरोधक क्षमता बढ़ाते हैं जिससे कैंसर जैसी बीमारी का मुकाबला भी किया जा सकता है।

पाचन शक्ति को बढ़ाता है : करेला हमारी पाचन शक्ति को बढाता है जिसके कारण भूख बढती है। करेले ठंडा होता है, इसलिए यह गर्मी से पैदा हुई बीमारियों के उपचार के‍ लिए फायदेमंद है। यदि पाचन शक्ति कमजोर हो तो किसी भी प्रकार करेले का नित्य सेवन करने से पाचन शक्ति मजबूत होती है।

करेला स्वयं भी शीघ्र पचता है। करेले की तासीर ठंडी होती है। यह पचने में हल्का होता है। यह शरीर में वायु को बढ़ाकर पाचन क्रिया को तेज करता है। इससे पेट साफ होता है।

प्रति 100 ग्राम करेले में लगभग 92 ग्राम नमी होती है। साथ ही इसमें लगभग 4 ग्राम कार्बोहाइडेट, 15 ग्राम प्रोटीन, 20 मिलीग्राम कैल्शियम, 70 मिलीग्राम फास्फोरस, 18 मिलीग्राम, आयरन तथा बहुत थोड़ी मात्रा में वसा भी होती है। इसमें विटामिन ए तथा सी भी होती है जिनकी मात्रा प्रति 100 ग्राम में क्रमश: 126 मिलीग्राम तथा 88 मिलीग्राम होती है।

जोड़ों के दर्द से राहत दे : गठिया या जोड़ों के दर्द में करेले की सब्जी खाने और दर्द वाली जगह पर करेले की पत्तों के रस से मालिश करने से आराम मिलता है। करेले तथा तिल के तेल को बराबर मात्रा में लेकर प्रयोग करने से वात रोगी को आराम मिलता है। इस तेल की मालिश करने से गठिया तथा वात के रोग से लाभ होता है

उल्टी-दस्त में फायदेमंद : करेले के तीन बीज और तीन काली मिर्च को घिसकर पानी मिलाकर पिलाने से उल्टी-दस्त बंद हो जाते हैं। अम्लपित्त के रोगी जिन्हें भोजन से पहले उल्टियां होने की शिकायत रहती है, करेले के पत्तों को सेंककर सेंधा नमक मिलाकर खाने से फायदा होता है। अथवा करेले के रस में थोड़ा पानी और काला नमक मिलाकर सेवन करने से तुरंत लाभ मिलता है।

मोटापा से राहत दिलाए : करेले का रस और एक नींबू का रस मिलाकर सुबह सेवन करने से शरीर में उत्पन्न टॉकसिंस और अनावश्यक वसा कम होती है और मोटापा दूर होता है। करेले के रस को नींबू के रस के साथ पानी में मिलाकर पीने से वजन कम किया जा सकता है। वजन कम करना करेले में एंटीऑक्सीडेंट पाए जाते हैं। यह शरीर के मेटाबोलिज्म और पाचन तंत्र को बेहतर बनाता है, जिससे वजन कम करने में मदद मिलती है।

पथरी रोगियों के लिए अमृत : पथरी रोगियों को दो करेले का रस पीने और करेले की सब्जी खाने से आराम मिलता है। इससे पथरी गलकर बाहर निकल जाती है। 20 ग्राम करेले के रस में शहद मिलाकर पीने से पथरी गल कर पेशाब के रास्ते निकल जाती है। इसके पत्तों के 50 मिलीलीटर रस में थोड़ी-सी हींग मिलाकर पीने से पेशाब खुलकर आता है।

पथरी होने पर करेले का रस नियमित सेवन करना चाहिए। इससे पथरी गलकर निकल जाती है। पथरी गुर्दे की हो या मूत्राशय की, इसे तोड़कर बाहर निकालने की क्षमता करेला रखता है। करेले का रस दिन में दो बार और दोनों समय भोजन में करेले की सब्जी खानी चाहिए।

हैजे में राहत : हैजे के रोगी को करेले के रस में प्याज का रस और कुछ बूंदे नींबू का रस मिलाकर देना लाभदायक है। ताजा करेला कुचलकर, इसमें हल्का, नमक डालकर हैजे के रोगी को दें, 2-3 बार लेने से उल्टी-दस्त बंद हो जाते हैं। खूनी बवासीर में एक बड़ा चम्मच करेले का रस शक्कर मिलाकर सुबह-शाम कुछ दिन तक लें।

खूनी बवासीर में आराम मिलता है : खूनी बवासीर में एक बड़ा चम्मच करेले का रस शक्कर मिलाकर सुबह-शाम कुछ दिन तक लें। करेले और पत्तों का रस एक चम्मच शक्कर मिलाकर पीने से खूनी बवासीर में आराम मिलता है। बवासीर होने पर एक चम्मच करेले के रस में आधा चम्मखच शक्कर मिलाकर एक महीने तक प्रयोग करने से बवासीर की शिकायत समाप्त हो जाती है।

त्वचा रोग में राहत दे : करेले के पत्तों को पत्थर पर घिसकर चटनी जैसा बनाकर लेप लगाने से त्वचा के रोग ठीक हो जाते हैं। इससे आग से जलने से होने वाले घावों में भी आराम मिलता है। नमी अधिक तथा वसा कम मात्रा में होने के कारण यह गर्मियों के लिए बहुत अच्छा है। इसके प्रयोग से त्वचा साफ होती है। इसके इस्तेमाल से किसी प्रकार के फोड़े-फुंसी नहीं होते। यह भूख बढ़ाता है। मल को शरीर से बाहर निकालता है। मूत्र मार्ग को भी यह साफ रखता है।

सिरदर्द में करेले के रस का लेप लगाएं : सिरदर्द होने पर करेले के रस का लेप लगाने से आराम मिलता है।

मुंह में छाले हैं, करेले के रस से कुल्ला करें : मुंह में छाले होने पर करेले के रस का कुल्ला करना फायदेमंद है। मुंह में छाले होने पर करेले के रस को गर्म करके उसमें पिसी हुई फिटकरी डालकर कुल्ला करने से छाले खत्म हो जाते हैं।

रतौंधी में राहत दे : करेले के रस में पिसी काली मिर्च अच्छी तरह मिलाएं। यह लेप आंखों के बाहरी हिस्से पर लगाने से रतौंधी की बीमारी दूर होती है। इसमें विटामिन ए अधिक होने के कारण यह आंखों की रोशनी के लिए बहुत अच्छा होता है। जिन लोगों को रतौंधी की बीमारी होती है उन्हें इसका इस्तेमाल करना चाहिए। इसके पत्तों के रस का लेप थोड़ी सी काली मिर्च मिलाकर लगाना चाहिए।

रतौंधियों में शाम होते ही अचानक दिखना बंद हो जाता है और जैसे ही सुबह सूरज निकलता है आंखें बिल्कुल सामान्य हो जाती है। रतौंधी में करेले का इस्तेमाल काफी फायदेमंद होता है। करेले में विटामिन सी भी भरपूर मात्रा में पायी जाती है। जिस कारण इसका इस्तेमाल शरीर में मॉस्चर बनाये रखता है।

जिगर को ठीक करे : जिन बच्चों का जिगर खराब होता है,पेट साफ नहीं होता और पानी पीने से पेट फूल जाता है। उन्हें आयु के हिसाब से एक या आधा चम्मच करेले का रस में पानी मिलाकर पिलाने से बढ़ा हुआ जिगर ठीक हो जाता है और पेट में भरा पानी साफ हो जाता है।

पेट के कीड़े साफ हो जाएंगे : एक बड़ा चम्मच करेले के पत्तियों के रस को एक गिलास छाछ में मिलाकर लेने से पेट के कीड़ों से छुटकारा मिल सकता है। यह लीवर को ताकत देता है तथा आँतों में कीड़ों से होने वाले विकारों से भी सुरक्षा देता है। पेट में कीड़े होने पर इसका रस रामबाण औषधि है। कीड़े होने पर करेले का रस ग्रहण करना चाहिए।

कब्ज में लाभकारी : करेले में फाइबर के गुण पाए जाते हैं, जो पाचन तंत्र को मजबूत बनाता हैं। साथ ही यह अपच और कब्ज की शिकायत को दूर करता है। कब्ज के रोगियों को चाहिए कि इसकी सब्जी नियमित खायें और इसका रस सेवन करें, कब्ज से छुटकारा होगा। करेले की सब्जी खाने से कभी कब्ज नहीं होती यदि किसी व्यक्ति को पहले से कब्ज हो तो वह भी दूर हो जाती है। इससे एसिडिटी, छाती में जलन और खट्टी डकारों की शिकायत भी दूर हो जाती है।

पीलिया में अचूक : पीलिया और मलेरिया जैसे बुखार में करेले को पीसकर निकाले गए रस को दिन में दो बार पिलाना चाहिए। पीलिया में कच्चा करेला पीसकर खाना फायदेमंद है। लीवर से संबंधित बीमारियों के लिए तो करेला रामबाण औषधि है। जलोदर रोग होने पर आधा कप पानी में 2 चम्मच करेले का रस मिलाकर ठीक होने तक रोजाना तीन-चार बार सेवन करने से फायदा होता है। लीवर को रखे निरोग अगर आपको लीवर की समस्या है तो फिर आप हर दिन एक ग्लास करेले का जूस पीएं। अगर आप एक हफ्ते तक ऐसा करेंगे तो परिणाम खुद नजर आने लगेंगे।

खसरा है, इसे अजमाएं : खसरा होने पर दो चम्मच करेले के रस में एक चम्मच शहद और दो चुटकी हल्दी मिलाकर दिन में दो बार लेना फायदेमंद है।

अस्थमा में आराम दे : एक कप पानी में दो चम्मच करेले का रस, तुलसी के पत्तों का रस और शहद मिलाकर रात में सोते समय पीने से अस्थमा, ब्रोंकाइटिस जैसे रोगों में आराम मिलता है। दमा होने पर बिना मसाले की छौंकी हुई करेले की सब्जी खाने से फायदा होता है।

कफ में आराम दे : कफ की शिकायत होने पर करेले का सेवन करना चाहिए। करेले में फास्फोरस होता है जिसके कारण कफ की शिकायत दूर होती है।

मुहांसे मिटाए : करेले के सेवन से चेहरे के दाग-धब्बों, मुहांसों और स्किन इंफेक्शन से भी छुटकारा मिलता है। हर दिन खाली पेट में करेले के जूस को नींबू के साथ मिलाकर छह महीने तक पीएं। या फिर आप इसे तब तक जारी रखें जब तक कि आपको फायदा न पहुंचने लगे।