माता-बहनों में अनियमित मासिक धर्म एक कॉमन प्रॉब्लम है। कई बार यह समस्या बेहद सामान्य होती है और थोड़ी सावधानी व उपचार से ठीक हो जाती है, लेकिन कई मामलों में यह बेहद गंभीर बीमारी बन जाती है।

ऐसे में इरेग्युलर पीरियड्स की समस्या को नजरअंदाज नहीं किया जाना चाहिए। इससे ग्रस्त महिलाओं को कई प्रकार की समस्याएं होने लगती हैं।

इस समस्या के कई लक्षण हैं, जिनसे इसकी पहचान की जा सकती है और समय से इसका इलाज कराकर परेशानी से निजात पाई जा सकती है।

सामान्य तौर पर महिलाओं में पीरियड्स 14 से 50 साल की उम्र के बीच होता है।यह चक्र महीने में एक बार होता है और तीन से पांच दिन तक रहता है। इरेग्युलर पीरियड्स की समस्या इन दिनों महिलाओं को इसलिए भी ज्यादा होती है।

क्योकि जीवन शैली बहुत तेज हो गई और वे न तो खाने-पीने की ठीक से ख्याल रख पाती हैं और न ही पर्याप्त आराम मिल पाता है। यही कारण है कि कई किशोरियों में जल्दी या फिर देर से पीरियड्स शुरू होते हैं।

इस अवस्था को ओलिगोमेनोरिया कहा जाता है। आइए All Ayurvedic के माध्यम से पीरियड्स की अनियमितता के कारण, लक्षण और उपचार के बारे में जानते है।

अनियमित पीरियड्स के कारण 

कई बार हम अपनी उम्मीद से ज्यादा एक्सरसाइज करने लगते है। जब पीरियड्स होते है। जो हार्मोंस में बहुत अधिक बदलाव होता है।

अगर आप नियमित रुप से ज्यादा एक्सरसाइज करेंगे तो आपके शरीर में हार्मोंस संतुलन में बदलाव होते है।

जिसके कारण शरीर में एस्ट्रोजन की संख्या में वृद्धि होती है, जिसके कारण पीरियड्स होने में समस्या आती है।

यह समस्या केवल किशोरियों को जल्दी या देर से पीरियड्स शुरू होने तक सीमित नहीं है बल्कि महिलाओं में अनियमित पीरियड्स की समस्या भी अब काफी बढ़ती जा रही है।

कारण यह है कि 20 से 40 वर्ष की उम्र की महिलाओं पर जिम्मेदारी ज्यादा हैं।

वे भागती-दौड़ती जिंदगी में दफ्तर, घर, बच्चे सभी को संभालने के चक्कर में खुद का ध्यान नहीं रख पाती हैं। कई मामलों में अनियमित पीरियड्स के पीछे हार्मोन भी बड़ा कारण बन जाते हैं।

वैसे आमतौर पर किसी भी स्वस्थ महिला के पीरियड्स की अवधि 21 से 35 दिन के बीच होती है। इससे ज्यादा समय लगता है तो उसे हम अनियमित पीरियड्स कहते हैं। इसे सही उपचार और जीवनशैली और खान-पान में बदलाव से ठीक किया जा सकता है।

अधिक तनाव की वजह से भी अनियमित पीरियड्स की समस्या होती है। तनाव के कारण भी ये समस्या उत्पन्न हो सकती है।

इसका सीधा असर आपके हार्मोंस पर पड़ता है। एस्ट्रोजन और प्रोजेस्टेरोन नामक हॉर्मोन्स पर सीधा असर पड़ने के कारण ब्लीडिंग में अनियमितता आती है।

हमारी All Ayurvedic टीम के आयुर्वेद डॉक्टर Dr. Shashi Kant Rai (Gold Medalist) बताते हैं कि तनाव का सीधा असर एस्ट्रोजन और प्रोजेस्टेरोन हार्मोंस पर पड़ता है। इन हार्मोंस के प्रभावित होने से पीरियड्स में अनियमितता बढ़ जाती है।

महिलाओं के शरीर में एस्ट्रोजन, प्रोजेस्टेरोन और टेस्टोस्टेरोन नाम के तीन हार्मोन होते हैं। इन हार्मोंस का संतुलन बिगड़ना मतलब पीरियड्स में परेशानी शुरू।

लगातार बीमार रहने या थायरॉयड की वजह से भी महिलाओं में अनियमित पीरियड्स की समस्या हो जात है।

ठीक ढंग से खानपान न होने के कारण भी पीरियड्स हने में समस्या होती है। इसके साथ ही ठीक ढंग से डाइट लेना बहुत ही जरुरी है। अगर आप मोटी है और ऐसी डाइट खा रही हैं जो कार्बोहाइड्रेट या वजन बढाने के लिए जाना जाता है तो, शरीर में कुछ तरह के हार्मोन लेवल में परिवर्तन आ सकता है।

अनियमित पीरियड्स के लक्षण

अनियमित मासिक धर्म की पहली पहचान है यूटेरस में दर्द होना। इसके अलावा भूख भी कम लगती हैं। स्त.न, पेट, हाथ-पैर और कमर में दर्द, अधिक थकान, कब्ज, दस्त भी इसके लक्षण हैं। यूटेरस में ब्लड क्लॉट्स का बनना भी इसी का एक लक्षण है।

अनियमित पीरियड्स के रामबाण घरेलू उपाय

मुलेठी और शहद : आधा चम्मच मुलेठी का चूर्ण सुबह-शाम शहद के साथ चाटना चाहिए। लगभग 1 महीने तक मुलहठी का चूर्ण लेने से मासिकस्राव सम्बन्धी सभी रोग दूर हो जाते हैं।

मिश्री, मुलहठी और शहद : 1 चम्मच मुलहठी का चूर्ण थोड़े शहद में मिलाकर चटनी जैसा बनाकर चाटने और ऊपर से मिश्री मिलाकर ठंडा किया हुआ दूध घूंट-घूंटकर पीने से मासिकस्राव नियमित हो जाता है। इसे कम से कम 40 दिन तक सुबह-शाम पीना चाहिए।

यदि गर्मी के कारण मासिकस्राव में खून का अधिक मात्रा में और अधिक दिनों तक जाता (रक्त प्रदर) हो तो 20 ग्राम मुलहठी चूर्ण और 80 ग्राम पिसी मिश्री मिलाकर 10 खुराक बना लें। फिर इसकी एक खुराक शाम को एक कप चावल के पानी के साथ सेवन करें। इससे बहुत लाभ मिलता है।

नोट : मुलहठी को खाते समय तले पदार्थ, गर्म मसाला, लालमिर्च, बेसन के पदार्थ, अण्डा व मांस का सेवन नहीं करना चाहिए।

पुदीना चूर्ण और शहद : पीरियड्स सही टाइम पर शुरू करने के लिए 1 चम्मच पुदीना पाउडर और 1 चम्मच शहद मिला कर दिन में दो से तीन बार इसका सेवन करे।

अनियमित मासिक धर्म को ठीक करने के लिए आयुर्वेदिक चिकित्सक अक्सर इस उपाय की सलाह देते है। कुछ हफ्ते ये नुस्खा करने के बाद सही टाइम पर पीरियड्स आने लगेंगे।

अदरक और शहद : अदरक को शहद के साथ खाएं या आधा कप में पानी थोड़ अदरक मिलाकर 5-7 मिनट के लिए उबाल लें। इसके बाद थोड़ा शहद मिलाएं ओर खाना खाने के बाद इस मिश्रण का दिन में तीन बार सेवन करें।

अदरक की तासीर गर्म होती है, जिससे शरीर का मेटाबॉलिज्म तेज होता है। यह खासतौर से उन महिलाओं के लिए काफी फायदेमंद है, जिनके पीरियड्स देर से हो रहे हैं या बेहद कम समय के लिए हो रहे हैं।

धनिया और दालचीनी : एक कप पानी में 1 चम्मच धनिया के बीज और दालचीनी पाउडर उबालें। जब आधा कप पानी रह जाए तब इसमें आधा चम्मच पाउडर रॉक कैंडी या अनरिफाइंड चीनी मिला लें। इस पानी को दिन में दो बार पिएं।

गाजर का रस : गाजर का जूस हर रोज पीने से भी पीरियड्स मिस होने और देरी से आने की प्रॉब्लम ख़तम होने लगेगी। नियमित मासिक धर्म करने और हार्मोन्स को बैलेंस करने में गाजर का जूस उपयोगी है। इसके इलावा इससे शरीर में खून की कमी भी नहीं होती है।

कृपया इन बातों का ध्यान रखे

मसालेदार, खट्टा और भारी भोजन के सेवन से बचें। हल्का खाना खाएं। चाय, कॉफी और ठंडे पेय पदार्थों से दूर रहें।