बवासीर | अर्श | Bawasir | Piles

बवासीर गुदा मार्ग की बीमारी है। इस रोग के होने का मुख्य कारण कब्ज होता है। अधिक मिर्च मसाले एवं बाहर के भोजन का सेवन करने के कारण पेट में कब्ज उत्पन्न होने लगती है जो मल को अधिक शुष्क एवं कठोर करती है इससे मल करते समय अधिक जोर लगना पड़ता है और अर्श (बवासीर) रोग हो जाता है।

यह कई प्रकार की होती है, जिनमें दो मुख्य हैं- खूनी बवासीर और वादी बवासीर। यदि मल के साथ खून बूंद-बूंद कर आये तो उसे खूनी बवासीर कहते हैं। यदि मलद्वार पर अथवा मलद्वार में सूजन मटर या अंगूर के दाने के समान हो और उससे मल के साथ खून न आए तो उसे वादी बवासीर कहते हैं।

अर्श (बवासीर) रोग में मलद्वार पर मांसांकुर (मस्से) निकल आते हैं और उनमें शोथ (सूजन) और जलन होने पर रोगी को अधिक पीड़ा होती है। रोगी को कहीं बैठने उठने पर मस्से में तेज दर्द होता है। बवासीर की चिकित्सा देर से करने पर मस्से पककर फूट जाते हैं और उनमें से खून, पीव आदि निकलने लगता है।

बवासीर या अर्श के अन्य चमत्कारी घरेलु उपाय | Piles | Bawasir

हारसिंगार : हारसिंगार के 2 ग्राम फूलों को 30 ग्राम पानी में रात को भिगोकर रखें। सुबह फूलों को पानी में मसल कर छान लें और 1 चम्मच खांड़ मिलाकर खाली पेट खायें। रोज 1 सप्ताह खाने से बवासीर मिट जाती है।

हारसिंगार का (बिना छिलके का) बीज 10 ग्राम तथा कालीमिर्च 3 ग्राम को मिलाकर पीस लें और चने के बराबर गोलियां बनाकर खायें। रोजाना 1-1 गोली गुनगुने जल के साथ सुबह-शाम खाने से बवासीर ठीक होती है।

हारसिंगार के बीजों को छील लें। 10 ग्राम बीज में 3 ग्राम कालीमिर्च मिलाकर पीसकर गुदा पर लगाने से बादी बवासीर ठीक होती है।

कपूर : कपूर, रसोत, चाकसू और नीम का फूल सबको 10-10 ग्राम कूट कर पाउडर बनालें। मूली को लम्बाई में बीच से काटकर उसमें सबके पाउडर को भरें और मूली को कपड़े से लपेटे तथा मिट्टी लगाकर आग में भून लें। भुन जाने पर मूली के ऊपर से मिट्टी और कपड़े को उतारकर उसे शिलबट्टे (पत्थर) पर पीस लें और मटर के बराबर गोलियां बना लें। 1 गोली प्रतिदिन सुबह खाली पेट पानी से लेने पर 1 सप्ताह में ही बवासीर ठीक हो जाती है।

वनगोभी : वनगोभी के पत्तों को कूटकर उसका रस निकालकर दिन में तीन से चार बार बवासीर के मस्सों पर लगायें। इसको लगाने से एक सप्ताह में ही मस्सें ठीक हो जाते हैं।

मूली : मूली के 125 मिलीलीटर रस में 100 ग्राम जलेबी को मिलाकर एक घण्टे तक रखें। एक घण्टे बाद जलेबी को खाकर रस को पी लें। इस क्रिया को एक सप्ताह तक करने से बवासीर रोग ठीक हो जाता है।

रीठा या अरीठा : रीठा के छिलके को कूटकर आग पर जला कर कोयला बना लें। इसके कोयले के बराबर मात्रा में पपरिया कत्था मिलाकर चूर्ण बनाकर रखें। लगभग 1 ग्राम का चौथा भाग की मात्रा में लेकर मलाई या मक्खन में मिलाकर प्रतिदिन सुबह-शाम खाने से मस्सों में होने वाली खुजली व जख्म नष्ट होते हैं। या रीठा के छिलके को जलाकर भस्म बनायें और 1 ग्राम शहद के साथ चाटने से बवासीर में खून का गिरना बन्द हो जाता है।

चित्रक : शरीर के जिस भाग में भी दर्द हो अथवा बवासीर का रोग हो, ऐसे में चित्रक के ताजा फूलों का लेप सुबह शाम दर्द वाली जगह पर और बवासीर में मस्सों पर करना चाहिए। दस दिन के प्रयोग से ही बवासीर के मस्से ठीक हो जाएंगे तथा दर्द से मुक्ति मिलेगी।