नमस्कार दोस्तों All Ayurvedic के माध्यम से आज की इस पोस्ट में हम आपको मुलेठी के फायदे के बारे में बताएंगे। दोस्तों आप सभी लोगों ने मुलेठी को कभी-कभी तो खाया ही होगा अगर नहीं खाया है तो इसे खाना शुरू कर दीजिए क्योंकि इसके आपको बहुत सारे आयुर्वेदिक लाभ मिलने वाले हैं।

मुलहठी खांसी , जुकाम , उल्टी व पित्त को बंद करती है। मुलहठी अम्लता में कमी व क्षतिग्रस्त व्रणों (जख्मों) में लाभकारी है। अम्लोत्तेजक पदार्थ को खाने पर होने वाली पेट की जलन और दर्द, पेप्टिक अल्सर तथा इससे होने वाली खून की उल्टी में मुलहठी अच्छा प्रभाव छोड़ती है।

मुलहठी का उपयोग कड़वी औषधियों का स्वाद बदलने के लिए किया जाता है। मुलहठी आंखों के लिए लाभदायक, बालों को मुलायम, आवाज को सुरीला बनाने वाली और सूजन में लाभकारी है। मुलहठी विष, खून की बीमारियों , प्यास और क्षय (टी.बी.) को समाप्त करती है। चलिए जानते हैं मुलेठी खाने के फायदों के बारे में।

मुलेठी | मुलहठी  फायदे  | Mulethi ke fayde 

सर्दी, खांसी और जुखाम : अगर आपको सर्दी खांसी जुखाम की समस्या की वजह से आपकी छाती में कफ जमा हो गया है तो यह आपके कफ को निकालने में बहुत मदद करती है।

गले की खराश, गले का बैठ जाना : मुलेठी चबाने से मुंह में लार का स्राव बढ़ता है। और यह आपकी आवाज को भी मधुर बनाती है। और यह शवशन संबंधी रोगों जैसे गले की खराश, गले का बैठ जाना, खांसी आदि में बहुत फायदेमंद होती है।

पेट में एसिड : अगर आपके गले में जलन या सूजन है तो मुलेठी को मुंह में रखकर चुसिए ऐसा करने से गले की जलन और सूजन में आराम मिलेगा और आपके पेट में एसिड के स्तर को भी नियंत्रित करती है।

सीने की जलन और खाना ना पचना : अगर आपके सीने में जलन हैं और खाना भी सही तरीके से नहीं पच रहा है तो मुलेठी को मुंह में रखकर चूसना होगा इससे आपको सीने की जलन और खाना ना पचने की समस्या में राहत मिलेगी।

कफ व खांसी : खांसी होने पर यदि बलगम मीठा व सूखा होता है तो बार-बार खांसने पर बड़ी मुश्किल से निकल पाता है। जब तक गले से बलगम नहीं निकल जाता है, तब तक रोगी खांसता ही रहता है। इसके लिए 2 कप पानी में 5 ग्राम मुलहठी का चूर्ण डालकर इतना उबाल लें कि पानी आधा कप बचे। इस पानी को आधा सुबह और आधा शाम को सोने से पहले पी लें। 3 से 4 दिन तक प्रयोग करने से कफ पतला होकर बड़ी आसानी से निकल जाता है और खांसी, दमा के रोगी को बड़ी राहत मिलती है। यक्ष्मा (टी.बी.) की खांसी में मुलहठी चूसने से लाभ होता है।

पौरुष कमजोरी : रोजाना मुलहठी चूसने से शारीरिक कमजोरी नष्ट हो जाती है। 10 ग्राम मुलहठी का पिसा हुआ चूर्ण, घी और शहद में मिलाकर चाटने से और ऊपर से मिश्री मिले गर्म-गर्म दूध को पीने से  पौरुष कमजोरी के रोग कुछ ही समय में कम हो जाता है।

अम्लपित्त (एसिडिटिज) : खाना खाने के बाद यदि खट्टी डकारें आती हैं, जलन होती है तो मुलहठी चूसने से लाभ होता है। भोजन से पहले मुलहठी के 3 छोटे-छोटे टुकड़े 15 मिनट तक चूसें, फिर भोजन करें।

कब्ज़, आंव : 125 ग्राम पिसी मुलहठी, 3 चम्मच पिसी सोंठ, 2 चम्मच पिसे गुलाब के सूखे फूल को 1 गिलास पानी में उबालें। जब यह ठंडा हो जाए तो इसे छानकर सोते समय रोजाना पीने से पेट में जमा आंव (एक तरह का चिकना सफेद मल) बाहर निकल जाता है। या 5 ग्राम मुलहठी को गुनगुने दूध के साथ सोने से पहले पीने से सुबह शौच साफ आता है और कब्ज दूर हो जाती है।

अनियमित मासिक-धर्म : 1 चम्मच मुलहठी का चूर्ण थोड़े शहद में मिलाकर चटनी जैसा बनाकर चाटने और ऊपर से मिश्री मिलाकर ठंडा किया हुआ दूध घूंट-घूंटकर पीने से मासिकस्राव नियमित हो जाता है। इसे कम से कम 40 दिन तक सुबह-शाम पीना चाहिए। यदि गर्मी के कारण मासिकस्राव में खून का अधिक मात्रा में और अधिक दिनों तक जाता (रक्त प्रदर) हो तो 20 ग्राम मुलहठी चूर्ण और 80 ग्राम पिसी मिश्री मिलाकर 10 खुराक बना लें। फिर इसकी एक खुराक शाम को एक कप चावल के पानी के साथ सेवन करें। इससे बहुत लाभ मिलता है। नोट : मुलहठी को खाते समय तले पदार्थ, गर्म मसाला, लालमिर्च, बेसन के पदार्थ, अण्डा व मांस का सेवन नहीं करना चाहिए।

पेशाब के रोग : पेशाब में जलन, पेशाब रुक-रुककर आना, अधिक आना, घाव और खुजली और पेशाब सम्बंधी समस्त बीमारियों में मुलहठी का प्रयोग लाभदायक है। इसे खाना खाने के बाद रोजाना 4 बार हर 2 घंटे के उंतराल पर चूसते रहना लाभकारी होता है। इसे बच्चे भी आसानी से बिना हिचक ले सकते हैं। या 1 चम्मच मुलहठी का चूर्ण 1 कप दूध के साथ लेने से पेशाब की जलन दूर हो जाती है।

मांसपेशियों का दर्द : मुलहठी स्नायु (नर्वस स्टिम) संस्थान की कमजोरी को दूर करने के साथ मांसपेशियों का दर्द और ऐंठन को भी दूर करती है। मांसपेशियों के दर्द में मुलहठी के साथ शतावरी और अश्वगंधा को समान रूप से मिलाकर लें। स्नायु दुर्बलता में रोजाना एक बार जटामांसी और मुलहठी का काढ़ा बनाकर लेना चाहिए।