पेट व कमर से जुड़ी कोई भी प्रॉब्लम हो ये उपाय रामबाण है :

  • कब्ज, एसीडिटी, समय पर भूख ना लगना, आंत संबंधी बीमारियां, कमर दर्द में से कोई भी समस्या आपको परेशान कर रही हो। इनमें से किसी भी समस्याओं से छुटकारा पाना है तो नियमित रूप से सेतुबंध आसन करें। आसन निश्चित ही आपका एक नई ऊर्जा प्रदान करेगा और इन बीमारियों में राहत देगा। 

सेतुबंधासन करने कि प्रक्रिया : 

  • शुरुआत में अपने पीठ के बल लेट जाएँ।
  • अपने घुटनो को मोड़ लें। घुटनो और पैरों को एक सीध में रखते हुए, दोनों पैरों को एक दुसरे से 10-12 इंच दूर रखते हुए फैला ले।
  • हाथों को शरीर के साथ रख ले। हथेलियाँ ज़मीन पर रहे।

  • साँस लेते हुए, धीरे से अपनी पीठ के निचले, मध्य और फिर सबसे ऊपरी हिस्से को ज़मीन से उठाएँ; धीरे से अपने कन्धों को अंदर की ओर लें। बिना ठोड़ी को हिलाये अपनी छाती को अपनी ठोड़ी के साथ लगाएँ और अपने कन्धों, हाथों व पैरों को अपने वज़न का सहारा दे। शरीर के निचले हिस्से को इस दौरान स्थिर रखें। दोनों जंघा इस दौरान एक साथ रहेंगी।
  • चाहें तो इस दौरान आप अपने हाथों को ज़मीन पर दबाते हुए शरीर के ऊपरी हिस्से को उठा सकते हैं। अपनी कमर को अपने हाथों द्वारा सहारा भी दे सकते हैं।
  • आसन को 1-2 मिनट बनाएँ रखें और साँस छोड़ते हुए  हाथ सीधे कर कमर को नीचे कर लें। पैरों को भी सीधा कर कुछ देर शवासन में विश्राम करें। 

➡ सेतुबंधासन के लाभ : 

  • आसन रीढ़ की सभी कोशिकाओं को अपने सही स्थान पर स्थापित करने में सहायक है।
  • ये आसन कमर दर्द को दूर करने में भी सहायक है. पेट के सभी अंग जैसे लीवर, पेनक्रियाज और आंतों में खिंचाव आता है. कब्ज की समस्या दूर होती है और भूख भी समय पर तथा खुलकर लगती है।
  • पीठ की मासपेशियों को मज़बूत बनाता हैं।
  • पीठ की मासपेशियों को आराम देता हैं।
  • पीठ, छाती व गर्दन में अच्छा खिंचाव पैदा करता है।
  • मन को चिंतामुक्त करता है और तनाव काम करके आराम देता है।
  • फेफड़ों को खोलता है और थाइरोइड से सम्बंधित समस्या को दूर करता है।
  • पाचन क्रिया को ठीक करने में सहायता करता है
  • मासिक धर्म व रजोनिवृति के दौरान मदद करता है।
  • उच्च रक्त चाप, अस्थमा, ऑस्टियोपोरोसिस व साइनस के लिए लाभदायक।

➡ इस दौरान सेतुबंधासन न करें :

  • यदि आपको कमर व गर्दन से संबधित कुछ तकलीफ है तो यह आसन न करें।