आज कल अधिकतर लोग खाज-खुजली से परेशान है। लोग बहुत सारा पैसा खुजली से निजात पाने के लिए खर्च करते हैं लेकिन कोई फायदा नही मिल पाता है। इसलिए इलाज करवाने से पहले यह जानना जरूरी है की इलाज कितना कारगर है।

खुजली और फोड़े-फुंसियों से छूटकारा पाने के लिए आयुर्वेद में एक अतिप्रभावशाली औषधि है जो खाज-खुजली को जड़ से मिटा देता है। इसके साथ ही यह औषधि चेहरे पर होने वाले फोड़े और फुंसियों को भी मिटा देता है।इस रामबाण औषधि का नाम चिरायता है जो सामान्य जड़ी-बूटी के दुकानों में भी आसानी से मिल जाता है।

आयुर्वेद के मतानुसार चिरायता का रस तीखा, गुण में लघु, प्रकृति में गर्म तथा कड़ुवा होता है। चिरायता मन को प्रसन्न करता है। इसके सेवन से पेशाब खुलकर आता है। यह सूजनों को पचाता है। दिल को मजबूत व शक्तिशाली बनाता है।

बीमारियों से बचने के लिए महंगी दवाओं के स्थान पर घरेलू नुस्खे आजमाएं। इन्हीं घरेलू नुस्खों में एक है अनमोल चिरायता। बरसों से हमारी दादी-नानी कड़वे चिरायते से बीमारियों को दूर भगाती रही हैं, आप भी जानें इसके बारे में..

बनाने और सेवन करने के तरिका :

लगभग 5 से 10 ग्राम चिरायता को एक ग्लास पानी में रात को डुबो कर छोड़ दें और सुबह खाली पेट नित्य क्रिया के बाद चिरायता छान कर पानी पी ले।2 से 3 महीने तक लगातार ऐसे ही सुबह-शाम चिरायते का सेवन करने से खाज-खुजली सदा के लिए ख़त्म हो जाता है।तब तक खुजली से राहत के लिए कोई भी फफूंदरोधी मलहम का इस्तमाल कर सकते हैं।

त्वचा सम्बंधी अन्य रोग :

खुजली, फोडे़ फुन्सी जैसे रोगों में चिरायता का लेप लगाना चाहिए। इससे ये सभी रोग नष्ट हो जाते हैं।

रात को पानी में चिरायते की पत्ती को डालकर रख दें। रोजाना सुबह उठते ही इसका पानी पीने से खून साफ हो जाता है और त्वचा के रोग मिट जाते हैं।

1 चम्मच चिरायता 2 कप पानी में रात को भिगोकर सुबह के समय छानकर सेवन करें। इससे फोड़े-फुन्सी, यकृति-विकार, जी मिचलाना, भूख न लगना आदि रोगों में लाभ होता है। यदि कड़वा पानी पिया नहीं जा सके तो स्वादानुसार मिश्री मिलाकर पीते हैं।

चिरायता के अन्य फायदे :

दरअसल यह कड़वा चिरायता एक प्रकार की जड़ीबूटी है जो कुनैन की गोली से अधिक प्रभावी होती है। पहले इस चिरायते को घर में सूखा कर बनाया जाता था लेकिन आजकल यह बाजार में कुटकी चिरायते के रूप में उपलब्ध है।

घर में चिरायता बनाने की विधि – 100 ग्राम सूखी तुलसी के पत्ते का चूर्ण, 100 ग्राम नीम की सूखी पत्तियों का चूर्ण, 100 ग्राम चिरायते की सूखी टहनी का चूर्ण लीजिए। इन तीनों को समान मात्रा में मिलाकर एक बड़े डिब्बे में भर कर रख लीजिए। यह तैयार चूर्ण मलेरिया या अन्य बुखार होने की स्थिति में दिन में तीन बार दूध से सेवन करें।मात्र दो दिन में आश्चर्यजनक लाभ होगा।

बुखार ना होने की स्थिति में इसका एक चम्मच सेवन प्रतिदिन करें। यह चूर्ण किसी भी प्रकार की बीमारी चाहे वह स्वाइन फ्लू ही क्यों ना हो, उसे शरीर से दूर रखता है। इसके सेवन से शरीर से सारे रोगाणु-कीटाणु झड़ जाते हैं। रक्त एवं त्वचा संबंधी समस्त विकार दूर होते हैं।

गर्भवती महिला और कमजोर पाचन शक्ति के लोग विशेषज्ञ से पूछ कर ही इसका सेवन करें। शरीर से हर तरह का विकार निकालता है।