• फ्रोजेन शोल्डर (अकड़े हुए कंधे), जिसे चिकित्सकीय रूप से आसंजी सम्‍पुट-प्रदाह (कैप्‍सूलाइटिस) कहा जाता है, एक विकार है, जिसमें कंधे का कैप्‍सूल, कंधे के अंसगत तथा प्रगण्डिका संबंधी जोड़ को घेरने वाला संयोजी ऊतक सूजा हुआ एवं कठोर बन जाता है, जो गति को अत्यधिक नियंत्रित कर देता है एवं तीव्र दर्द उत्पन्न करता है।
  • जब मनुष्य अपनी स्मरण या पहचानने की शक्ति खोकर अचानक गिर जाता है, मांसपेशियों में ऐंठन या अकड़न आ जाये और हाथ-पैरों को कड़ा कर दें यह समझ लेना चाहिए कि उस व्यक्ति को आक्षेप रोग हो गया है। 
  • मनुष्य चाहे जागने की स्थिति में हो या सोने की स्थिति में हो यह किसी भी समय हो सकता है। इस रोग में चेहरे पर विभिन्न प्रकार के भाव प्रकट होते हैं। यह वातनाड़ी संस्थान का रोग है।

विभिन्न औषधियों से उपचार :

  1. अजवायन : लगभग 1 ग्राम का चौथा भाग खुरासानी अजवायन सुबह-शाम खाने से आक्षेप, मिर्गी और अनिद्रा में बहुत लाभ प्राप्त होता है।
  2. लहसुन : दूध में लहसुन और वायविडंग को उबालकर सुबह-शाम रोगी को पिलाने से आक्षेप में बहुत लाभ प्राप्त होता है।
  3. सौंफ : 1 भाग सौंफ, 4 भाग जटामांसी, 1 भाग दालचीनी, 1 भाग शीतलचीनी और 8 भाग मिश्री को लेकर इसका चूर्ण बना लें। इस चूर्ण को रोजाना 3 से 9 ग्राम की मात्रा में सुबह-शाम रोगी को देने से उसके शरीर का कंपन खत्म हो जाता है जोकि आक्षेप की स्थिति में होता है।
  4. सहजना (मुनगा) : नाक में सहजना के बीजों से बने चूर्ण को डालने से आक्षेप से बेहोश व्यक्ति जल्दी होश में आ जाता है।
  5. शहद : शहद के साथ लगभग 1 ग्राम का चौथा भाग से लगभग 1 ग्राम सुहागे की खील (लावा) को चटाने से आक्षेप और मिर्गी में बहुत आराम आता है। शहद के साथ लगभग 1 ग्राम का चौथा भाग जटामांसी के चूर्ण को सुबह-शाम रोगी को देने से आक्षेप के दौरे ठीक हो जाते हैं।
  6. अगियारवर : अगियारवर को फेंटकर लगभग 40 ग्राम सुबह-शाम को आक्षेप के रोगी को देने से यह रोग दूर हो जाता है।
  7. उस्तखुदूस : उस्तखुदूस के पचांग (छाल, जड़, रस, पत्ते, फल या फूल) का काढ़ा बनाकर रोगी को पिलाने से उसके आक्षेप के कारण पड़ने वाले दौरे बन्द हो जाते हैं।