21 सितम्बर 2017 से इस बार नवरात्रि शुरू हो रहे हैं. इस बार नवरात्रि गुरूवार से शुरू हो रहे हैं. देश भर में पूरे नौ दिन लोग मां दुर्गा की पूर्ण विधि विधान से पूजा अर्चना करते हैं. मां को खुश करने के लिए पूजा के सभी नियमों का पालन करते हैं. लोग नवरात्रि में नॉनवेज आदि नहीं खाते जो एकदम सही है, लेकिन इसके अलावा भी कुछ ऐसी बड़ी गलतियां है, जिसे लोग नवरात्र में अक्सर कर बैठते हैं. जिसका भविष्य में अशुभ परिणाम भुगतना पड़ता है.इतना ही नहीं नौ दिनों की पूजा पाठ का फल भी प्राप्त नहीं होता।

  • नवरात्रि का व्रत रखने वालों को न ही अपने बाल कटवाने चाहिए और न ही शेविंग नहीं चाहिए. वैसे इस दौरान बच्चों का मुंडन करवाना शुभ होता है।
  • यदि आप इस दौरान कलश की स्‍थापना करते हैं और अखंड ज्योति जला रहे हैं तो इस समय घर को खाली छोड़कर कहीं भी न जाएं।
  • नवरात्रि में नॉन वेज, प्याज, लहसुन आदि की मनाही है, लेकिन क्या आप जानते हैं कि नवरात्र के पूरे नौ दिन तक नींबू काटना अशुभ होता है।
  • विष्‍णु पुराण के अनुसार मां दुर्गा के इन नौ दिनों में दोपहर के समय सोना नहीं चाहिए. इससे व्रत का फल नहीं मिलता।

अखंड ज्‍योति इसलिए जलाते है

  • नवरात्रि के समय अखंड ज्‍योति जलाने से घर में सुख समृद्धि आती है तथा शत्रुओं पर विजय प्राप्‍त होती है।
  • नवरात्रि के समय घर में दीपक‍ जलाने से घर में सुख शांति बनी रहती है साथ ही घर के पितरों को भी शांति मिलती है।
  • जो लोग नवरात्रि के समय घी या सरसों के तेल का अखंड दीप जलाते हैं उन्‍हें तुरंत लाभ मिलता है और उनके सभी कार्य पूरे हो जाते हैं।
  • जो लोग शिक्षा ग्रहण कर रहे हैं, उनके लिए नवरात्रि का समय शुभ माना जाता है. विद्यार्थियों को नवरात्रि के दिनों में घी का दीपक जलाना चाहिए।

ध्‍यान रखें इन बातो का 

  • पुराणों में कहा गया है जिस वक्त तक अखंड ज्योति का संकल्प लें, उससे पूर्व वह खंडित नहीं होनी चाहिए. इसे अमंगल माना जाता हैं।
  • नौ दिन में 2 से 3 किलो शुद्ध देसी घी अथवा सरसों का तेल लगता है. अखंड ज्योति को चिमनी से ढक कर रखें. जिस स्थान पर अखंड ज्योति प्रज्वलित कर रहे हैं उसके आस-पास शौचालय या स्नानगृह नहीं होना चाहि।
  • अखंड ज्योति के जलने का संकल्प समय पूरा हो जाए तो उसे जलने दें. स्वयं शांत होने दें, फूंक मारकर अथवा हाथ से न बुझाएं।
  • जो माता के सामने अखंड ज्योति प्रज्वलित करते हैं उन्हें इसे आग्नेय कोण (पूर्व-दक्षिण) में रखना चाहिए. पूजन के समय मुंह पूर्व या उत्तर दिशा में रखें।
  • चंदन की लकड़ी पर घट स्थापना और ज्योति रखना शुभ होता है. पूजा स्थल के पास सफाई होनी चाहिए. वहां कोई गंदा कपड़ा या वस्तु न रखें।
  • जो लोग नवरात्रों में ध्वजा बदलते हैं. वे ध्वजा को छत पर उत्तर पश्चिम दिशा में लगाएं. पूजा स्थल के सामने थोड़ा स्थान खुला होना चाहिए. जहां बैठकर पूजा और ध्यान लगाया जा सके।

नवरात्र शब्द से नव अहोरात्रों का बोध करता है, नवरात्रि में शक्ति के नव रूपों की उपासना की जाती है, रात्रि शब्द सिद्धि का प्रतीक है. उपासना और सिद्धियों के लिए दिन से अधिक रात्रियों को महत्व दिया जाता है. इसलिए अधिकतर पर्व रात्रियों में ही मनाए जाते हैं. रात्रि में मनाए जाने वाले पर्वों में दीपावली, होलिकादहन, दशहरा शिवरात्रि और नवरात्रि आते हैं. नवरात्रों के नौ दिनों की रात्रियों को मां दुर्गा की पूजा, उपासना और आध्यात्मिक शक्ति प्राप्त करने के लिए प्रयोग करना चाहिए।

कैसा भोजन करें

  • नवरात्रि में हल्का, शुद्ध और सात्विक भोजन सब को करना चाहिए. क्योंकि ये ऋतु परिवर्तन का समय है ऐसे में हल्का भोजन सेहत के लिए अच्छा रहता है. वहीं जो लोग व्रत रखते हैं वो फल और व्रत वाले पदार्थ प्रसाद के रूप में ग्रहण करें।

रात में क्यों करें पूजन

  • भारतीय परंपरा में ध्यान, पूजा और आध्यात्मिक चिंतन के लिए शांत वातावरण को जरूरी माना गया है रात में शांति रहती है प्राकृतिक और भौतिक दोनों प्रकार के बहुत सारे अवरोध रात में शांत हो जाते हैं. ऐसे शांत वातावरण में मां दुर्गा की पूजा, उपासना और मंत्र जाप करने से विशेष लाभ होता है और मां दुर्गा की विशेष कृपा प्राप्त होती है और भक्तों की मनोकामना पूरी होती है।