मक्के को उगाना अत्यन्त सरल है और इसकी देखभाल भी कम करनी पड़ती है, फिर भी उत्त्पादन अच्छा होता है।  मक्के के टिक्कड़ बनते हैं। मक्के के टिक्कड़ और उड़द के आटे की भुजिया का भोजन में प्रयोग आदिवासी वाले लोग करते हैं।मक्के से पकौडे़ तथा पकवान बनते हैं। मक्के के नर्म हरे भुट्टे सेंककर खाने से उसके दाने बड़े स्वादिष्ट लगते हैं और पौष्टिक भी होते हैं। मक्के के सूखे दाने की खील खाने में अच्छी होती है। मक्का अत्यन्त रूक्षा (रूखा), कफ और पित्तनाशक, रुचि को बढ़ाने वाला, दस्तों को रोकने वाला होता है। 

मक्के के फायदे : 

  • जुकाम : मक्के के भुट्टे को पूरी तरह से जलाकर उसकी राख बना लें, फिर इसमें स्वाद के अनुसार सेंधानमक मिलाकर रोजाना 4 बार फंकी लें। इससे जुकाम ठीक हो जाता है।
  • मूत्ररोग : लगभग 30 ग्राम मक्का के सुनहरी बालों को 250 ग्राम पानी में उबालें और जब 60 ग्राम रह जाये तो छानकर ठंडा करके पी लें इससे पेशाब खुलकर आता है।
  • गुर्दे के रोग : मक्के के भुट्टे के 20 ग्राम बालों को 200 मिलीलीटर पानी में डालकर उबालें। जब 100 मिलीलीटर पानी ही शेष बचे तब छानकर पीने से गुर्दे के रोग ठीक हो जाते हैं।
  • प्रदर रोग : मक्का की छूंछ की राख शहद के साथ सेवन करने से प्रदर रोग में लाभ होता है।
  • दिल की कमजोरी : मक्का के दाने निकली हुई भुट्टे की डण्डी को जलाकर इसकी राख को पीसकर रख लें। इसके आधा ग्राम चूर्ण को ताजा मक्खन के साथ खाने से दिल की कमजोरी दूर होती है।
  •  उल्टी : मक्का के भुट्टे में से दाने निकालकर उन्हें जलाकर राख कर लें, फिर इस राख को आधा ग्राम लेकर शहद के साथ चाटें। इससे कै (उल्टी) आना तुंरत ही बन्द होती है।
  • काली खांसी : मक्का के बीज निकाले हुए भुट्टे को जलाकर राख कर लें। इसके 1-2 ग्राम राख को शहद के साथ दिन में 2 बार सेवन करने से काली खांसी दूर हो जाती है।
  • खांसीकुकर-खांसी और जुकाम : मक्का के भुट्टे को जलाकर उसकी राख पीस लें, इसमें स्वादानुसार सेंधानमक मिला लें, फिर रोजाना 4 बार चौथाई चम्मच लेकर गर्म पानी से फंकी लें। इसके सेवन से लाभ मिलता है।
  • पेशाब में जलन होना : ताजा मक्का के भुट्टे को पानी में उबालकर उस पानी को छानकर मिश्री मिलाकर पीने से पेशाब की जलन और गुर्दों की कमजोरी दूर होती है।
  • यक्ष्मा (टी.बी.) : टी.बी. के रोग से पीड़ित व्यक्ति को मक्का की रोटी खिलाने से लाभ होता है।

कृपया इन बातों का ध्यान रखें : 

  • यह पचने में भारी है। अत: जिसका शरीर बलवान हो और जिसकी जठराग्नि (पाचन शक्ति) तेज हो, उसी को यह पचता है। 
  • कमजोर पाचन-शक्ति वालों के लिए मक्का हानिकारक है। यह शरीर की नसों को शिथिल करता है।