जब मनुष्य अपनी स्मरण या पहचानने की शक्ति खोकर अचानक गिर जाता है, मांसपेशियों में ऐंठन या अकड़न आ जाये और हाथ-पैरों को कड़ा कर दें यह समझ लेना चाहिए कि उस व्यक्ति को आक्षेप रोग हो गया है। मनुष्य चाहे जागने की स्थिति में हो या सोने की स्थिति में हो यह किसी भी समय हो सकता है। इस रोग में चेहरे पर विभिन्न प्रकार के भाव प्रकट होते हैं। यह वातनाड़ी संस्थान का रोग है।

✔️भोजन तथा परहेज :

          गाय का दूध, पुराने शाली चावल, मांस के बीज, कुलत्थ, शिग्रु के पत्ते एवं फल, वार्ताक के फल, दाड़िम के फल, ताल के पके हुए फल तथा पका हुआ आम, जम्बीर के फल, मुनक्का, नारंगी, मधूक के फूल, बदर के फल, चिंचा, नारिकेल जल, ताम्बुल के पत्ते, गाय का मूत्र, पुल्टिस, कमर सीधी रहे ऐसी जगह पर सोना, तीतर का मांस आदि को इस रोग में खाया जा सकता है।
         जौ, कारवेल्लक के फल, कमल की जड़ तथा उसकी नाल, स्नूही के बीज, उदुम्बर के फल, हरित-ताल के फल, पूग, जम्बू के फल, शाक, ठंडा पानी, सूखा हुआ मांस आदि को खाने से परहेज करना चाहिए। सवारी करना, आलस्य, रात में देर तक बैठे रहना, गुस्सा, व्रत, स्नान, दांतों को घिसना आदि को छोड़ देना चाहिए।

विभिन्न औषधियों से उपचार-

1. अजवायन : लगभग 1 ग्राम का चौथा भाग खुरासानी अजवायन सुबह-शाम खाने से आक्षेप, मिर्गी और अनिद्रा में बहुत लाभ प्राप्त होता है।

2. लहसुन : दूध में लहसुन और वायविडंग को उबालकर सुबह-शाम रोगी को पिलाने से आक्षेप में बहुत लाभ प्राप्त होता है।

3. शहद : शहद के साथ लगभग 1 ग्राम का चौथा भाग से लगभग 1 ग्राम सुहागे की खील (लावा) को चटाने से आक्षेप और मिर्गी में बहुत आराम आता है।
शहद के साथ लगभग 1 ग्राम का चौथा भाग जटामांसी के चूर्ण को सुबह-शाम रोगी को देने से आक्षेप के दौरे ठीक हो जाते हैं।

4. सौंफ : 1 भाग सौंफ, 4 भाग जटामांसी, 1 भाग दालचीनी, 1 भाग शीतलचीनी और 8 भाग मिश्री को लेकर इसका चूर्ण बना लें। इस चूर्ण को रोजाना 3 से 9 ग्राम की मात्रा में सुबह-शाम रोगी को देने से उसके शरीर का कंपन खत्म हो जाता है जोकि आक्षेप की स्थिति में होता है।

5. सहजना (मुनगा) : नाक में सहजना के बीजों से बने चूर्ण को डालने से आक्षेप से बेहोश व्यक्ति जल्दी होश में आ जाता है।

6. अगियारवर : अगियारवर को फेंटकर लगभग 40 ग्राम सुबह-शाम को आक्षेप के रोगी को देने से यह रोग दूर हो जाता है।

7. उस्तखुदूस : उस्तखुदूस के पचांग (छाल, जड़, रस, पत्ते, फल या फूल) का काढ़ा बनाकर रोगी को पिलाने से उसके आक्षेप के कारण पड़ने वाले दौरे बन्द हो जाते हैं।

8. ऊदसलीब : ऊदसलीब की जड़ का चूर्ण सुबह-शाम 1 से 3 ग्राम की मात्रा में लेने से आक्षेप में बहुत लाभ मिलता है।