➡ आँवला 🍏 (Indian Gooseberry) : 

विटामिन ‘सी’ का गोला है, गोल मटोल आंवला राजा।गुण इसके नहीं मिटते हैं, चाहे सूखा हो या ताजा।

अर्थात : आंवला 🍏 विटामिन-c का भरपूर स्त्रोत होता है।  आंवला 🍏 की यह खास विशेषता है कि वो हरा, ताजा हो या सुखाया हुआ पुराना हो, इसके गुण नष्ट नहीं होते। इसकी अम्लता इसके गुणों की रक्षा करती है।

  • आंवला 🍏 को अलग अलग भाषाओं में अलग नाम से जाना जाता है इसे संस्कृत में  आमलकी और धात्री, हिंदी में आंवला और आमला, मराठी में आंवली और आंवलकां, गुजराती में आंवला और आमला, बंगाली में आमलकी और आमला, तेलगू में असरिकाय और उशी, द्राविड़ी में नेल्लिक्काय् और अमृ, कन्नड़ में निल्लकाय और नेल्ल, अरबी में आमलन् आदि नाम से जाना जाता है। आंवला शीतल अर्थात ठंडी प्रकृति का होता है।  एक अाँवले में विटामिन-‘सी’ चार नारंगी और आठ टमाटर या चार केले के बराबर मिलता है। इसलिए यह शरीर की रोगों से लड़ने की शक्ति में महत्त्वपूर्ण है। विटामिन-‘सी’ की गोलियों की अपेक्षा अाँवले का विटामिन-‘सी’ सरलता से पच जाता है।
  • आंवला 🍏 युवकों को यौवन और बड़ों को युवा जैसी शक्ति प्रदान करता है। एक टॉनिक के रूप में आंवला शरीर और स्वास्थ्य के लिए अमृत के समान है। दिमागी परिश्रम करने वाले व्यक्तियों को वर्ष भर नियमित रूप से किसी भी विधि से आंवले का सेवन करने से दिमाग में तरावट और शक्ति मिलती है। कसैला आंवला खाने के बाद पानी पीने पर मीठा लगता है। आंवले का रस 10 से 20 मिलीलीटर। चूर्ण 5 से 10 ग्राम तथा प्रतिदिन 🍏 1 आंवला खाया जा सकता है। आयुर्वेद में आंवले को बहुत महत्ता प्रदान की गई है, जिससे इसे रसायन माना जाता है। च्यवनप्राश आयुर्वेद का प्रसिद्ध रसायन है, जो टॉनिक के रूप में आम आदमी भी प्रयोग करता है। इसमें आंवले की अधिकता के कारण ही विटामिन `सी´ भरपूर होता है। यह शरीर में आरोग्य शक्ति बढ़ाता है। त्वचा, नेत्र रोग और केश (बालों) के लिए विटामिन बहुत उपयोगी है। संक्रमण से बचाने, मसूढ़ों को स्वस्थ रखने, घाव भरने और खून बनाने में भी विटामिन सी महत्वपूर्ण भूमिका अदा करता है। अाँवले में एक रसायन होता है, जिसका नाम सकसीनिक अम्ल है। सकसीनिक अम्ल बुढ़ापे को रोकता है और इसमें पुन: यौवन प्रदान करने की शक्ति भी होती है। आँवले में विद्यमान विभिन्न रसायन बीमार और जीर्ण कोशिकाओं के पुनर्निर्माण में अपना अच्छा योगदान देते हैं। रोजाना सिर्फ 1 आंवला खाने से आपको 330 अद्भुत फायदे मिल सकते है जिन्हें जान आप दंग रह जायेंगे, बुढ़ापे तक जवां और निरोग रहने की संजीवनी बूटी है आंवला, आइये जानते है इसके फायदों के बारे में।

➡ आंवला 🍏 के 330 चमत्कारिक फायदे :

  1. बालों का सफेद होना : आंवले के चूर्ण का लेप बनाएं। उसे रोजाना सुबह सिर के बालों में अच्छी तरह लगा लें। साबुन का प्रयोग न करें। इस प्रयोग से सफेद बाल काले हो जायेंगे।
  2. बालों के सफेद होने और चेहरे की रौनक नष्ट हो जाने पर 1 चम्मच आंवले के चूर्ण को दो घूंट पानी के साथ सोते समय प्रयोग करें। इससें पूर्ण लाभ होता है और साथ ही आवाज मधुर और शुद्ध होती है।
  3. सूखे आंवले के चूर्ण को पानी के साथ मिलाकर सिर पर लगाने के बाद बाल को अच्छी तरह धोने से सफेद बाल गिरना बंद हो जायेंगे। सप्ताह में 2 बार नहाने से पहले इसका प्रयोग करें। अपनी आवश्यकतानुसार करीब 3 महीने तक इसका प्रयोग कर सकते हैं।
  4. 25 ग्राम सूखे आंवले को यवकूट (मोटा-मोटा कूटकर) कर उसके टुकड़े को 250 मिलीलीटर पानी में रात को भिगो दें। सुबह फूले आंवले को कड़े हाथ से मसलकर सारा जल पतले स्वच्छ कपड़े से छान लें। अब इस छाने हुए पानी को बालों की जड़ों में हल्के-हल्के अच्छी तरह से लगाएं और 10-20 मिनट बाद बालों की जड़ को अच्छी तरह धो लें। रूखे बालों को 1 बार और चिकने बालों को सप्ताह में दो बार धोना चाहिए। आवश्यकता हो तो और भी धोया जा सकता है। जिस दिन बाल धोने हो, उसके एक दिन पहले रात में आंवले के तेल का अच्छी तरह से बालों पर मालिश करें।
  5. हरे आंवलों को पीसकर साफ कपड़े में निचोड़कर 500 मिलीलीटर रस निकालें। कड़ाही में 500 मिलीलीटर आंवले का रस डालकर उसमें 500 मिलीलीटर साफ किया हुआ काले तिल का तेल मिला लें और बर्तन को हल्की आग पर गर्म करें। पकाने पर जब आंवले का रस जलीय वाश्प बनकर उड़ जाए और केवल तेल ही बाकी रह जाये तब बर्तन को आग से नीचे उतारकर ठंडा कर लें। ठंडा हो जाने पर इसे फिल्टर बेग (पानी साफ करने की मशीन) की सहायता से छान लें। इसके बाद इस तेल को बोतल में भरकर रोजाना के प्रयोग में ला सकते हैं। इस तेल को बालों की जड़ों में अंगुलियों की पोरों से हल्की मालिश करने से बाल लम्बे और काले बनते हैं।
  6. बुखार : आंवला 50 ग्राम और अंगूर (द्राक्षा) 50 ग्राम को लेकर पीसकर चटनी बना लें। इस चटनी को कई बार चाटने से बुखार की प्यास और बेचैनी समाप्त होती है।
  7. आंवले का काढ़ा बनाकर सुबह और शाम को पीने से वृद्धावस्था में जीर्ण-ज्वर और खांसी में राहत मिलती है।
  8. आंवला 6 ग्राम, चित्रक 6 ग्राम, छोटी हरड़ 6 ग्राम और पीपल 6 ग्राम आदि को लेकर पीसकर रख लें। 300 मिलीलीटर पानी में डालकर उबाल लें, एक-चौथाई पानी रह जाने पर पीने से बुखार उतर जाता है।
  9. आंखों का दर्द : आंवले के बीज के काढ़े से आंखों को धोने से आंख का दर्द दूर हो जाता है। आंवले का चूर्ण रातभर जिस पानी में भिगोया गया हो उससे आंखों को धोने से भी लाभ होता है।
  10. भिगोये हुए आंवले के पानी से आंखों को धोयें और आंवले की गिरी के काढ़े की 2 से 3 बूंद रोजाना 3 से 4 बार आंखों में डालने से आंखों का दर्द दूर हो जाता है।
  11. काली खांसी : 10-10 ग्राम आंवला, छोटी पीपल, सेंधानमक, बहेड़े का छिलका, बबूल के गोंद को पानी के साथ पीसकर और छानकर आधा ग्राम शहद में मिलाकर दिन में 3 बार प्रयोग करने से गले की खराबी से उठने वाली खांसी ठीक हो जाती है।
  12. खांसी : एक चम्मच पिसे हुए आंवले को शहद में मिलाकर रोजाना सुबह और शाम चाटने से खांसी में लाभ होता है।
  13. सूखी खांसी में ताजे या सूखे आंवले को हरे धनिए के साथ पीसकर सेवन करने से खांसी में काफी आराम मिलता है। तथा कफ बाहर निकला आता है।
  14. आंवले के चूर्ण में मिश्री को मिलाकर पानी के साथ सेवन करने से पुरानी सूखी खांसी में लाभ होता है।
  15. दांत निकलना : धाय का फूल, पीपल का चूर्ण तथा आंवले के रस को मिलाकर बारीक पेस्ट बना लें। इस पेस्ट को बच्चों के मसूढ़ों पर धीरे-धीरे मलने से दांत आसानी से निकल आते हैं।
  16. कच्चे आंवले अथवा कच्ची हल्दी का रस निकालकर बच्चों के मसूढ़ों पर मलें। इससे दांत आसानी से निकल आते हैं।
  17. बालों को काला करना : सूखे आंवले का चूर्ण नींबू के रस के साथ पीसकर बालों में लेप करने से बाल काले हो जाते हैं।
  18. आंवला और लोहे का चूर्ण पानी के साथ पीसकर लगाने से सफेद बाल काले हो जाते हैं।
  19. 500 ग्राम सूखा आंवला, 200 ग्राम शहद, 200 ग्राम मिश्री और 2 लीटर पानी। आंवले को कूटकर रात को भिगो दें। इसे सुबह मसलकर छान लें। इस छाने पानी में शहद और मिश्री मिलाकर बोतल में भरकर रख दें। इसे सुबह-शाम 20-20 ग्राम खाने के साथ लें। इसके सेवन से पेट की गर्मी, कब्ज मिट जाती है और दिमागी चेतना बढ़ती है, उम्र से पहले आये सफेद बाल काले होने लगते हैं।
  20. पायरिया (मसूढ़ों में पीव का आना) : आंवले को आग में जलाकर उसके राख में थोडा-सा सेंधानमक मिलाकर बारीक पीसकर पॉउडर बना लें। इसके पॉउडर को सरसों के तेल में मिलाकर रोजाना मंजन करने से पायरिया ठीक होता है तथा मुंह की दुर्गन्ध दूर होती है।
  21. एलर्जिक बुखार : 10 ग्राम आंवले का चूर्ण 10 ग्राम गुड़ के साथ सुबह और शाम लेने से लाभ पहुंचता है।
  22. निमोनिया : 10-10 ग्राम आंवला, जीरा, पीपल, कौंच के बीज तथा हरड़ को लेकर कूट-पीसकर छान लें फिर इस चूर्ण में थोड़ा सा चूर्ण शहद के साथ सुबह-शाम सेवन करना चाहिए। इसको खाने से निमोनिया का रोग दूर हो जाता है।
  23. पुरानी खांसी : आंवलों का बारीक चूर्ण पीसकर मिश्री मिलाकर पानी के साथ सेवन करने से पुरानी खांसी नष्ट हो जाती है।
  24. बालों का झड़ना : सूखे आंवले को रात को पानी में भिगो दें और सुबह इस पानी से बाल धोयें। इससे बालों की जड़े मजबूत होती हैं, बालों की प्राकृतिक सुंदरता बढ़ती है। फरास का जमना ठीक हो जाता है। आंखों और मस्तिष्क को लाभ पहुंचता है। मेंहदी और सूखा आंवला पीसकर पानी में गूंथकर, लगाने से बाल काले हो जाते हैं।
  25. रतौंधी (रात में दिखाई न देना) : 8 ग्राम आंवले के रस में 1 ग्राम सेंधानमक बहुत बारीक पीसकर शहद में मिलाकर रोजाना आंखों में लगाने से रतौंधी रोग दूर हो जाती है।   www.allayurvedic.org
  26. आंवले का चूर्ण और मिश्री का चूर्ण बराबर मात्रा में मिलाकर रोजाना 10 ग्राम पानी के साथ खाने से आंखों से धुंधला दिखाई देने का रोग ठीक हो जाता है।
  27. कांच का निकलना (गुदाभ्रंश) : आंवले या हरड़ का मुरब्बा बनाकर दूध के साथ बच्चे को खिलाने से कब्ज खत्म होता है और गुदाभ्रंश (कांच निकलना) बंद होता है।
  28. जीभ और मुंह का सूखापन : आंवले का मुरब्बा 10 से 20 ग्राम प्रतिदिन 2 से 3 बार खायें। इससे पित्तदोष से होने वाले मुंह का सूखापन खत्म होता है।
  29. गैस्ट्रिक अल्सर : आंवले के रस को शहद के साथ चाटने से गैस्ट्रिक अल्सर की बीमारी में लाभ मिलता है। इसे खाने में चटनी के रूप में भी इस्तेमाल करें।
  30. रोशनी से डरना : 125 ग्राम सूखा आंवला, 125 ग्राम सौंफ और 125 ग्राम चीनी या मिश्री को एक साथ मिलाकर अच्छी तरह पीसकर मिला लें। इस चूर्ण को 1 से 2 चम्मच रोजाना गाय के दूध के साथ पीने से आंखों के रोग दूर होते हैं और आंखों की रोशनी तेज होती है।
  31. कब्ज : सूखे आंवले का चूर्ण रोजाना 1 चम्मच की मात्रा में खाना खाने के बाद लेने से लाभ होता है।
  32. आंवले का मुरब्बा खाकर ऊपर से दूध पीने से कब्ज समाप्त हो जाती है।
  33. आंवला, हरड़ और बहेड़ा का चूर्ण अर्थात त्रिफला गर्म पानी के साथ लें।
  34. ताजे आंवले का रस शहद के साथ लेने से पेट की गैस खाली होता है।
  35. कब्ज व गैस की शिकायत में आंवले की चटनी खायें।
  36. रात को 1 चम्मच पिसा हुआ आंवला पानी या दूध से लेने से सुबह दस्त साफ आता है, कब्ज नहीं रहती। आंतें तथा पेट साफ होता है।
  37. आंवले के फल का चूर्ण यकृत बढ़ने, सिर दर्द, कब्ज, बवासीर व बदहजमी रोग में त्रिफला चूर्ण के रूप में प्रयोग किया जाता है। सुबह, दोपहर और शाम 6 ग्राम की मात्रा में त्रिफला के चूर्ण की फंकी को गर्म पानी के साथ रात में सोते समय लेने से कब्ज मिटता है।
  38. जननांगों की खुजली :आंवले के रस में चीनी मिलाकर प्रतिदिन 2-3 बार पिलाएं अथवा सूखे आंवले का चूर्ण एक चम्मच की मात्रा में सुबह-शाम मिश्री के शर्बत के साथ सेवन करने से यो*नि की जलन और खुजली में लाभ मिलता है।
  39. सिर की रूसी : एक गिलास पानी में आंवले को रख दें। उसके बाद उसी पानी से सिर को अच्छी तरह मल-मल कर साफ करें। इससे रूसी मिट जाती है।
  40. अतिक्षुधा भस्मक (अधिक भूख की लगने की शिकायत) : सूखे आंवले का चूर्ण 3 ग्राम से लेकर 10 ग्राम तक शहद के साथ सुबह और शाम सेवन से लीवर अपनी सामान्य गति से काम करने लगता है और अधिक भूख लगने की शिकायत दूर होती है।
  41. मसूढ़ों से खून आना : मसूढ़ों से खून निकलने पर आंवले के पत्तों एवं पेड़ की छाल का काढ़ा बनाकर सुबह-शाम कुल्ला करने से रोग में लाभ होता है।
  42. मुंह आना (मुंह के छाले) : आंवले के पत्तों का काढ़ा बनाकर मुंह में कुछ देर रखकर गरारे व कुल्ला करने से मुंह के छाले ठीक होते हैं।
  43. आंवला 25 ग्राम, सौंफ 10 ग्राम, सफेद इलायची 5 ग्राम तथा मिश्री 25 ग्राम को कूटकर चूर्ण बना लें। 2 चुटकी चूर्ण प्रतिदिन सुबह-शाम सेवन करने से मुंह के छाले मिटते हैं।
  44. आंवले के चूर्ण में लहसुन की 1 जबा (दाना) भूनकर चूर्ण बनाकर मिला लें। यह मिश्रण 2 ग्राम की मात्रा में सेवन करें। इससे पेट का कब्ज मिटाकर छाले समाप्त होते हैं।
  45. पेट की गैस बनना : एक चम्मच आंवले के रस में थोड़ा-सा देशी घी और खांड को मिलाकर सेवन करें। इससे पेट की गैस के साथ-साथ गठिया की बीमारी भी दूर हो जाती है।
  46. गर्भाशय व यो*नि के रोग : आंवले के रस में 20 ग्राम मिश्री मिलाकर सुबह-शाम पीने से यो*नि और गर्भाशय की जलन ठीक हो जाती है।
  47. जुकाम : 2 चम्मच आंवले के रस को 2 चम्मच शहद के साथ मिलाकर सुबह और शाम चाटने से जुकाम ठीक हो जाता है।
  48. जिन लोगों को अक्सर हर मौसम में जुकाम रहता है उन लोगों को आंवले का सेवन रोजाना करने से लाभ होता है।
  49. दस्त : आंवले को पीसकर बारीक चूर्ण बनाकर 3 ग्राम की मात्रा में लेकर सेंधानमक मिलाकर दिन में कई बार पानी के साथ पीने से दस्त का आना बंद हो जाता है।
  50. सूखे आंवले को नमक और थोड़ा पानी डालकर 4 ग्राम के रूप में दिन में 4 बार खाने से लाभ मिलता है। www.allayurvedic.org
  51. सूखे आंवले को पीसकर चूर्ण बना लें, फिर इसी चूर्ण में कालानमक डालकर पानी के साथ इस्तेमाल करने से पुराने दस्त में लाभ मिलता है।
  52. आंवले को सुखाकर 250 मिलीलीटर पानी में मिलाकर पीसकर नाभि के चारों तरफ लगा दें, नाभि में अदरक का रस लगाकर और थोड़ा-सा पिलाने से आतिसार मिटता है।
  53. आंवले की पत्ती, बबूल की पत्ती और आम की पत्ती को बराबर मात्रा में लेकर बारीक पीसकर कपड़े से छानकर प्राप्त रस को निकाल कर रख दें, फिर इसी रस को 2-2 ग्राम की मात्रा में 6 ग्राम शहद के साथ मिलाकर प्रयोग करने से सभी प्रकार के दस्त आना रुक जाते हैं।
  54. सूखा आंवला, धनिया, मस्तंगी और छोटी इलायची को बराबर मात्रा में पीसकर चूर्ण बनाकर रख लें, फिर इस चूर्ण को 3-3 ग्राम की मात्रा में बेल की मीठी शर्बत के साथ प्रयोग करने से गर्भवती स्त्री को होने वाले दस्त में आराम मिलता है।
  55. आंवले और धनियां को सुखाकर बारीक पीसकर चूर्ण बनाकर रख लें, फिर उसमें थोड़ा-सा सेंधानमक मिलाकर जल के साथ लगभग 2 ग्राम की मात्रा में 1 दिन में 2 से 3 बार सेवन करने से दस्त से पीड़ित रोगी को छुटकारा मिल जाता है।
  56. आंवले का सूखा हुआ 10 ग्राम चूर्ण और 5 ग्राम काली हरड़ को अच्छी तरह से पीसकर रख लें, 1-1 ग्राम की मात्रा में सुबह और शाम पानी के साथ फंकी के रूप में 1 दिन में सुबह, दोपहर और शाम पीने से दस्त का आना बंद हो जाता है और मेदा यानी आमाशय को बल देता है।
  57. सूखे आंवले, धनिया, जीरा और सेंधानमक को मिलाकर चटनी बनाकर खाने से आमातिसार में लाभ मिलता है।
  58. आंवले को पीसकर उसका लेप बनाकर अदरक के रस में मिलाकर पेट की नाभि के चारों ओर लगाने से मरीज के दस्त में लगभग आधे घंटे में आराम मिलता है।
  59. सूखे आंवले को पीसकर चूर्ण बनाकर आधा चम्मच में एक चुटकी की मात्रा में नमक मिलाकर फंकी के रूप में खाकर ताजा पानी को ऊपर से पी जायें।
  60. आंवले के कोमल पत्तों को पीसकर चूर्ण बनाकर छाछ के साथ रोजाना दिन में 3 बार 10 ग्राम चूर्ण को पीने से अतिसार यानी दस्त में लाभ मिलता है।
  61. आंवले का पिसा हुआ चूर्ण शहद के साथ खाने से खूनी दस्त और आंव का आना समाप्त हो जाता है।
  62. आंवले के पत्तों और मेथी के दानों को मिलाकर काढ़ा बनाकर सेवन करने से अतिसार में लाभ पहुंचता है।
  63. करंज के पत्तों को पीसकर या घोटकर पिलाने से पेट में गैस, पेट के दर्द और दस्त में लाभ होता है।
  64. रक्तपित्त (पित्त के कारण उत्पन्न रक्तविकार) : आंवले का प्रयोग वात, पित्त और कफ के दोषों से उत्पन्न विशेषकर पैत्तिक विकारों में, रक्तपित्त, प्रमेह आदि में किया जाता है। इसके लिए आंवले के 10-20 मिलीलीटर रस में 2 ग्राम हल्दी और एक चम्मच शहद मिलाकर दिन में 3 बार पिलाएं।
  65. रक्तपित्त में खून की उल्टी होने के कारण यदि आमाशय में व्रण (घाव) हो तो आंवले के चूर्ण की 5 से 10 ग्राम की मात्रा को दही के साथ अथवा 10-20 मिलीलीटर काढ़े को गुड़ के साथ भी दिया जाता है।
  66. नाक से खून बहने पर आंवलों को घी में भूनकर और कांजी को पीसकर माथे पर लगाना चाहिए।
  67. पहले सिर के बाल मुड़वा लें या बिलकुल छोटे करा लें। फिर आंवले को पानी के साथ पीसकर पूरे सिर पर लेप लगा लें इससे नाक से बहने वाला खून बंद हो जाता है।
  68. बुखार होने के मूल दोष : आंवला, चमेली की पत्ती, नागरमोथा, ज्वासा को समान भाग में लेकर काढ़ा बना लें। इसके बाद इसमें गुड़ मिलाकर सेवन करने से बुखार के रोगी के शरीर के भीतर के दोष शीघ्र ही बाहर निकल आते हैं।
  69. पित्तज्वर : पके हुए आंवलों का रस निकालकर उसको खरल में डालकर घोटना चाहिए, जब गाढ़ा हो जाए तब उसमें और रस डालकर घोटना चाहिए। इस प्रकार घोटते-घोटते सब को गाढ़ा करके उसका गोला बनाकर चूर्ण कर लेना चाहिए। यह चूर्ण अत्यंत पित्तशामक है। इसको 2-5 ग्राम की मात्रा में रोजाना दिन में सुबह और शाम सेवन करने से पित्त की घबराहट, प्यास और पित्त का ज्वर दूर होता है।
  70. खाज-खुजली : आंवले की गुठली को जलाकर उसकी राख बना लें और फिर उस राख में नारियल का तेल मिलाकर शरीर के जिस भाग में खुजली हो वहां पर इसको लगाने से खुजली जल्दी दूर हो जाती है।
  71. 100 मिलीलीटर चमेली के तेल में 25 मिलीलीटर आंवले का रस मिलाकर शीशी में भरकर रख लें और फिर इसे दिन में 4-5 बार खुजली वाले स्थान पर लगाने से खुजली दूर हो जाती है।
  72. फोड़े : आंवले के दूध को लगाने से बहुत दु:ख देने वाले फोडे़ मिटते हैं।
  73. सूखे आंवलों को जलाकर इनको पीसकर इनका चूर्ण बना लें, और शुद्ध घी में मिला लें। इस मिश्रण को फोड़े और फुन्सियों पर लगाने से ये ठीक हो जाते हैं।
  74. गर्मी के मौसम में आंवले का शर्बत या रस पीने से बार-बार प्यास नहीं लगती है और गर्मी से होने वाले रोग भी दूर होते हैं।
  75. थकान : आंवले के 100 मिलीलीटर काढ़े में 10 ग्राम गुड़ डालकर थोड़ा-थोड़ा पीने से थकान, दर्द, रक्तपित्त (खूनी पित्त) या मूत्रकृच्छ (पेशाब करने में कष्ट होना) आदि रोग ठीक होते हैं। www.allayurvedic.org
  76. पित्तरोग : ताजे फलों का मुरब्बा विशेष रूप से आंवले का मुरब्बा 1-2 पीस सुबह खाली पेट खाने से पित्त के रोग मिटते हैं।
  77. चाकू का घाव : चाकू आदि से कोई अंग कट जाय और खून का बहाव तेज हो तो तत्काल आंवले का ताजा रस निकालकर लगा देने से लाभ होता है।
  78. दीर्घायु (लम्बी आयु के लिए) : केवल आंवले के चूर्ण को ही रात के समय में घी या शहद अथवा पानी के साथ सेवन करने से आंख, कान, नाक आदि इन्द्रियों का बल बढ़ता है, जठराग्नि (भोजन को पचाने की क्रिया) तीव्र होती है तथा यौवन प्राप्त होता है।
  79. आंवले का चूर्ण 3 से 6 ग्राम को आंवले के ही रस में उबालें, इसे 2 चम्मच शहद और एक चम्मच घी के साथ दिन में सुबह और शाम चाटें तथा ऊपर से दूध पीएं इससे 80 साल का बूढ़ा भी स्वयं को युवा महसूस करने लगता है।
  80. गर्मी से बचाव : गर्मी में आंवले का शर्बत पीने से बार-बार प्यास नहीं लगती तथा गर्मी के रोगों से बचाव होता है।
  81. स्व*प्नदोष : एक मुरब्बे का आंवला नित्य खाने से लाभ होता है।
  82. एक कांच के गिलास में सूखे आंवले 20 ग्राम पीसकर डालें। इसमें 60 मिलीलीटर पानी भरें और फिर 12 घंटे भीगने दें। फिर छानकर इस पानी में 1 ग्राम पिसी हुई हल्दी डालकर पीएं। यह युवकों के स्व*प्नदोष (नाइ*टफाल) के लिए बहुत ही उपयोगी है।
  83. पुराना बुखार : मूंग की दाल में सूखा आंवला डालकर पकाकर खाएं।
  84. खूनी बवासीर : सूखे आंवले को बारीक पीसकर एक चाय का चम्मच सुबह-शाम 2 बार छाछ या गाय के दूध से लेने से खूनी बवासीर में लाभ होता है।
  85. खून की कमी : आंवले का चूर्ण 3 से 6 ग्राम प्रतिदिन शहद के साथ लेने से खून में वृद्धि होती है।
  86. खून की कमी के रोगी को एक चम्मच आंवले का चूर्ण और 2 चम्मच तिल के चूर्ण लेकर शहद के साथ मिलाकर खिलाने से एक महीने में ही रोग में लाभ होता है।
  87. पाचन-शक्तिवर्धक : खाने के बाद 1 चम्मच सूखे आंवले के चूर्ण की फंकी लेने से पाचन-शक्ति बढ़ती है, मल बंधकर आता है।
  88. शक्तिवर्धक : पिसा हुआ आंवला 1 चम्मच, 2 चम्मच शहद में मिला कर चाटें, ऊपर से दूध पीएं। इससे सदा स्वास्थ्य अच्छा रहता है। दिनभर प्रसन्नता का अनुभव होता है। जब ताजे आंवले मिलते हो तो सुबह आधा कप आंवले के रस में 2 चम्मच शहद आधा कप पानी मिला कर पीएं। ऊपर से दूध पीएं। इससे थके हुए ज्ञान-तंतुओं को उत्तम पोषण मिलता है। कुछ ही दिन नित्य पीने पर शरीर में नई शक्ति और चेतना आयेगी जीवन में यौवन की बहार आयेगी। जो लोग स्वस्थ रहना चाहते है, उन्हें इस प्रकार आंवले का रस नित्य पीना चाहिए।
  89. स्मरणशक्ति बढ़ाने के लिए : प्रतिदिन सुबह आंवले का मुरब्बा खाएं।
  90. नेत्र-शक्ति बढ़ाने के लिए : आंवले के सेवन से आंखों की दृष्टि बढ़ती है। 250 मिलीलीटर पानी में 6 ग्राम सूखे आंवले को रात को भिगो दें। प्रात: इस पानी को छानकर आंखें धोयें। इससे आंखों के सब रोग दूर होते हैं और आंखों की दृष्टि बढ़ती है। सूखे आंवले के चूर्ण की 1 चाय की चम्मच की फंकी रात को पानी से लें।
  91. कटने से खून निकलने पर : कटे हुए स्थान पर आंवले का ताजा रस लगाने से खून निकलना बंद हो जाता है।
  92. हृदय एवं मस्तिष्क की निर्बलता : आधा भोजन करने के बाद हरे आंवलों का रस 35 मिलीलीटर पानी मिलाकर पी लें, फिर आधा भोजन करें। इस प्रकार लगभग 20-25 दिन सेवन करने से हृदय तथा मस्तिष्क सम्बन्धी दुर्बलता दूर होकर स्वास्थ्य सुधर जाता है।
  93. बालों के रोग : आंवले का चूर्ण पानी में भिगोकर रात्रि में रख दें। सुबह इस पानी से रोजाना बाल धोने से उनकी जड़े मजबूत होंगी, उनकी सुंदरता बढ़ेगी और मेंहदी मिलाकर बालों में लगाने से वे काले हो जाते हैं।
  94. पेशाब की जलन : आधा कप आंवले के रस में 2 चम्मच शहद मिलाकर पिएं।
  95. हरे आंवले का रस 50 मिलीलीटर, शक्कर या शहद 25 ग्राम थोड़ा पानी मिलाकर सुबह-शाम पीएं। यह एक खुराक का तोल है। इससे पेशाब खुलकर आयेगा जलन और कब्ज ठीक होगी। इससे शीघ्रपतन दूर भी होता है।
  96. हकलाहट, तुतलापन : बच्चे को 1 ताजा आंवला रोजाना कुछ दिनों तक चबाने के लिये दें। इससे जीभ पतली, आवाज साफ, हकलाना और तुतलापन दूर होता है।
  97. हकलाने और तुतलाने पर कच्चे, पके हरे आंवले को कई बार चूस सकते हैं।
  98. खून के बहाव (रक्तस्राव) : स्राव वाले स्थान पर आंवले का ताजा रस लगाएं, स्राव बंद हो जाएगा।
  99. धा*तुवर्द्धक (वी*र्यवृद्धि) : एक चम्मच घी में दो चम्मच आंवले का रस मिलाकर दिन में 3 बार कम-से-कम 7 दिनों तक ले सकते हैं।
  100. पेशाब रुकने पर : कच्चे आंवलों को पीसकर बनी लुग्दी पेडू पर लगाएं।
  101. आंखों (नेत्र) के रोग में : लगभग 20-50 ग्राम आंवले के फलों को अच्छी तरह से पीसकर 2 घंटे तक 500 मिलीलीटर ग्राम पानी में उबालकर उस जल को छानकर दिन में 3 बार आंखों में डालने से आंखों के रोगों में बहुत लाभ होता है।  www.allayurvedic.org
  102. वृक्ष पर लगे हुये आंवले में छेद करने से जो द्रव पदार्थ निकलता है। उसका आंख के बाहर चारों ओर लेप करने से आंख के शुक्ल भाग की सूजन मिटती है।
  103. आंवले के रस को आंखों में डालने अथवा सहजन के पत्तों का रस 4 ग्राम तथा सेंधानमक लगभग 1 ग्राम का चौथा भाग इन्हें एक साथ मिलाकर आंखों में लगाने से शुरुआती मोतियाबिंद (नूतन अभिष्यन्द) नष्ट होता है।
  104. लगभग 6 ग्राम आंवले को पीसकर ठंडे पानी में भिगो दें। 2-3 घंटे बाद उन आंवलों को निचोड़कर फेंक दें और उस जल में फिर दूसरे आंवले भिगो दें। 2-3 घंटे बाद उनको भी निचोड़ कर फेंक दें। इस प्रकार 3-4 बार करके उस पानी को आंखों में डालना चाहिए। इससे आंखो की फूली मिटती है।
  105. आंवले का रस पीने से आंखों की रोशनी बढ़ती है। आंवले के साथ हरा धनिया पीसकर खाने से भी आंखों के रोग में लाभ होता है।
  106. सुन्दर बालों के लिए : सूखे आंवले 30 ग्राम, बहेड़ा 10 ग्राम, आम की गुठली की गिरी 50 ग्राम और लौह चूर्ण 10 ग्राम, रात भर कढाई में भिगोकर रखें। बालों पर इसका रोजाना लेप करने से छोटी आयु में सफेद हुए बाल कुछ ही दिनों में काले पड़ जाते हैं।
  107. आंवले, रीठा, शिकाकाई तीनों का काढ़ा बनाकर सिर धोने से बाल मुलायम, घने और लम्बे होते हैं।
  108. आंवले और आम की गुठली की मज्जा को साथ पीसकर सिर में लगाने से मजबूत लंबे केश पैदा होते हैं।
  109. आवाज का बैठना : अजमोद, हल्दी, आंवला, यवक्षार, चित्रक इनको समान मात्रा में मिलाकर, 1 से 2 ग्राम चूर्ण को 2 चम्मच मधु और 1 चम्मच घी के साथ चाटने से आवाज का बैठना ठीक हो जाता है।
  110. एक चम्मच पिसे हुए आंवले को गर्म पानी से फंकी लेने से बैठा हुआ गला खुल जाता है और आवाज साफ आने लगती है।
  111. कच्चे आंवले बार-बार चूस-चूसकर खाएं।
  112. हिक्का (हिचकी) : पिपली, आंवला, सोंठ इनके 2-2 ग्राम चूर्ण में 10 ग्राम खांड तथा एक चम्मच शहद मिलाकर बार-बार प्रयोग करने से हिचकी तथा श्वास रोग शांत होते हैं।
  113. आंवले के 10-20 मिलीलीटर रस और 2-3 ग्राम पीपल का चूर्ण, 2 चम्मच शहद के साथ दिन में सुबह और शाम सेवन करने से हिचकी में लाभ होता है।
  114. 10 मिलीलीटरआंवले के रस में 3 ग्राम पिप्पली चूर्ण और 5 ग्राम शहद मिलाकर चाटने से हिचकियों से राहत मिलती है।
  115. आंवला, सोंठ, छोटी पीपल और शर्करा के चूर्ण का सेवन करने से हिचकी नहीं आती है।
  116. आंवले के मुरब्बे की चाशनी के सेवन से हिचकी में बहुत लाभ होता है।
  117. वमन (उल्टी) : हिचकी तथा उल्टी में आंवले का 10-20 मिलीलीटर रस, 5-10 ग्राम मिश्री मिलाकर देने से आराम होता है। इसे दिन में 2-3 बार लेना चाहिए। केवल इसका चूर्ण 10-50 ग्राम की मात्रा में पानी के साथ भी दिया जा सकता है।
  118. त्रिदोष (वात, पित्त, कफ) से पैदा होने वाली उल्टी में आंवला तथा अंगूर को पीसकर 40 ग्राम खांड, 40 ग्राम शहद और 150 मिलीलीटर जल मिलाकर कपड़े से छानकर पीना चाहिए।
  119. आंवले के 20 मिलीलीटर रस में एक चम्मच मधु और 10 ग्राम सफेद चंदन का चूर्ण मिलाकर पिलाने से वमन (उल्टी) बंद होती है।
  120. आंवले के रस में पिप्पली का बारीक चूर्ण और थोड़ा सा शहद मिलाकर चाटने से उल्टी आने के रोग में लाभ होता है।
  121. आंवला और चंदन का चूर्ण बराबर मात्रा में लेकर 1-1 चम्मच चूर्ण दिन में 3 बार शक्कर और शहद के साथ चाटने से गर्मी की वजह से होने वाली उल्टी बंद हो जाती है।
  122. आंवले का फल खाने या उसके पेड़ की छाल और पत्तों के काढ़े को 40 मिलीलीटर सुबह और शाम पीने से गर्मी की उल्टी और दस्त बंद हो जाते हैं।
  123. आंवले के रस में शहद और 10 ग्राम सफेद चंदन का बुरादा मिलाकर चाटने से उल्टी आना बंद हो जाती है।
  124. संग्रहणी : मेथी दाना के साथ इसके पत्तों का काढ़ा बनाकर 10 से 20 मिलीलीटरकी मात्रा में दिन में 2 बार पिलाने से संग्रहणी मिट जाती है।
  125. मूत्रकृच्छ (पेशाब में कष्ट या जलन होने पर) : आंवले की ताजी छाल के 10-20 मिलीलीटर रस में दो ग्राम हल्दी और दस ग्राम शहद मिलाकर सुबह-शाम पिलाने से मूत्रकृच्छ मिटता है। www.allayurvedic.org
  126. आंवले के 20 मिलीलीटर रस में इलायची का चूर्ण डालकर दिन में 2-3 बार पीने से मूत्रकृच्छ मिटता है।
  127. अर्श (बवासीर) : आंवलों को अच्छी तरह से पीसकर एक मिट्टी के बरतन में लेप कर देना चाहिए। फिर उस बर्तन में छाछ भरकर उस छाछ को रोगी को पिलाने से बवासीर में लाभ होता है।
  128. बवासीर के मस्सों से अधिक खून के बहने में 3 से 8 ग्राम आंवले के चूर्ण का सेवन दही की मलाई के साथ दिन में 2-3 बार करना चाहिए।
  129. सूखे आंवलों का चूर्ण 20 ग्राम लेकर 250 मिलीलीटर पानी में मिलाकर मिट्टी के बर्तन में रात भर भिगोकर रखें। दूसरे दिन सुबह उसे हाथों से मलकर छान लें तथा छने हुए पानी में 5 ग्राम चिरचिटा की जड़ का चूर्ण और 50 ग्राम मिश्री मिलाकर पीयें। इसको पीने से बवासीर कुछ दिनों में ही ठीक हो जाती है और मस्से सूखकर गिर जाते हैं।
  130. सूखे आंवले को बारीक पीसकर प्रतिदिन सुबह-शाम 1 चम्मच दूध या छाछ में मिलाकर पीने से खूनी बवासीर ठीक होती है।
  131. आंवले का बारीक चूर्ण 1 चम्मच, 1 कप मट्ठे के साथ 3 बार लें।
  132. आंवले का चूर्ण एक चम्मच दही या मलाई के साथ दिन में तीन बार खायें।
  133. शीतपित्त : आंवले के थोड़े से पत्ते और नीम की 4-5 कलियां, दोनों को घी में तलकर 4-5 दिन तक सुबह के समय खाने से शीत पित्त का रोग हमेशा के लिए ठीक हो जाता है।
  134. आंवले के चूर्ण को गुड़ में मिलाकर खाने से शीतपित्त का रोग ठीक हो जाता है। चूर्ण और गुड़ की मात्रा 1 चम्मच और 5 ग्राम होनी चाहिए।
  135. पेट के कीड़े : आधा चम्मच आंवले का रस 2 से 3 दिन तक पिलाने से पेट के कीड़े मर जाते हैं।
  136. ताजे आंवले के लगभग 60 मिलीलीटर रस को 5 दिन तक पीने से पेट के कीड़े मर जाते हैं।
  137. प्लीहा वृद्धि (तिल्ली) : आंवले के मुरब्बे के साथ लगभग 1 ग्राम का चौथा भाग मुक्तापिष्टी को मक्खन या मलाई के साथ सुबह और शाम को सेवन करने से तिल्ली के बढ़ने के कारण होने वाली पित्त की जलन तथा आन्तरिक जलन में राहत प्राप्त होती है।
  138. प्लेग रोग : प्लेग के रोग को दूर करने के लिए सोना गेरू, खटाई, देशी कपूर, जहर मोहरा और आंवला इन सबको 25-25 ग्राम तथा पपीता के बीज 10 ग्राम लेकर इन सबको मिलाकर कूटकर बारीक चूर्ण बना लें। इस चूर्ण को कागजी नींबू के रस में 3 घंटों तक घोटने के बाद मटर के बराबर गोलियां बना लें। उन गोलियों में से 1 गोली 7 दिनों में एक बार खायें। इससे रोग में लाभ होता है।
  139. नाक के रोग : सूखे आंवलों को घी में मिलाकर तल लें। फिर इसे पानी के साथ पीसकर माथे पर लगाने से नाक में से खून आना रुक जाता है।
  140. सूखे आंवलों को पानी में भिगोकर रख दें। थोड़े मुलायम होने पर इनको पीसकर टिकिया सी बना लें। इस टिकिया को सिर के तालु पर बांधने से नाक में से खून आना रुक जाता है।
  141. सभी प्रकार के दर्द : आंवला को पीसकर प्राप्त रस में चीनी को मिलाकर चाटने से `पित्तज शूल´, जलन और रक्तपित्त की बीमारियों में लाभ पहुंचाती है।
  142. घाव (व्रण) : नीम की छाल, गुर्च, आमला, बाबची, एक भांग (एक पल), सोंठ, वायविडंग, पमार, पीपल, अजवायन, जीरा, कुटकी, खैर, सेंधानमक, जवाक्षार, हल्दी, दारूहल्दी, नागरमोथा, देवदार और कूठ आदि को 10-10 ग्राम की मात्रा में लेकर उसे कूट-पीसकर चूर्ण बना लें। इस चूर्ण को घाव पर लगाने से रोग में आराम मिलता है।
  143. पेट में दर्द : आंवले के रस में विदारीकंद का रस 10-10 मिलीलीटर शहद के साथ मिलाकर दें।
  144. आंवला, सनाय, हरड़, बहेड़ा और कालानमक को मिलाकर बारीक पीस लें, फिर नींबू के रस में छोटी-छोटी गोलियां बना लें, सुबह और शाम 1-1 गोली बनाकर खाने से पेट का दर्द कम और भूख बढ़ती है।
  145. वी*र्य की कमी : एक बड़े आंवले के मुरब्बे को खाने से मर्दाना ताकत आती है।
  146. नकसीर (नाक से खून का आना) : 50 मिलीलीटर आंवले के रस में 25 ग्राम मिश्री मिलाकर पीने से नकसीर (नाक से खून बहना) बंद हो जाता है।
  147. लगभग 200 ग्राम आंवला को पीसकर सिर के ऊपर मोटा-मोटा लेप करने से नकसीर (नाक से खून बहना) बंद हो जाती है।
  148. एक चम्मच मुलेठी और एक चम्मच आंवला के चूर्ण को मिलाकर दूध के साथ खाने से नकसीर ठीक हो जाती है।
  149. सूखे आंवले को रात को पानी में भिगोकर रख दें। रोजाना सुबह उस पानी से सिर को धोने से नकसीर (नाक से खून बहना) रुक जाती है। नकसीर के रोग में आंवले का मुरब्बा खाने से भी लाभ होता है। अगर नकसीर (नाक से खून बहना) बंद नहीं हो रहा हो तो आंवले के रस को नाक में डाले और इसको पीसकर सिर पर लेप करने से लाभ होता है। अगर किसी कारण से ताजे आंवले न मिले तो सूखे आंवलों को पानी में भिगोकर उस पानी को सिर पर लेप करने से दिमाग की गर्मी और खुश्की दूर होती है।
  150. जिन लोगों को प्राय: नकसीर होती रहती है वे सूखे आंवलों को रात को भिगोकर उस पानी से सुबह रोज सिर धोयें। आंवले का मुरब्बा खाएं। यदि नकसीर किसी भी प्रकार से बंद न हो तो आंवले का रस नाक में टपकाएं, सुंघाए और आंवले को पीसकर सिर पर लेप करें। यदि ताजा आंवला न मिले तो सूखे आंवलों को पानी में भिगोकर उस पानी को सिर पर लगाएं। इससे मानसिक गर्मी-खुश्की भी दूर होती है।
  151. जामुन, आम तथा आंवले को कांजी आदि से बारीक पीसकर मस्तक पर लेप करने से नाक से बहता खून रुक जाता है। www.allayurvedic.org
  152. नाक में आंवले का रस टपकाएं। ताजे आंवले नियमित खाएं। चीनी मिला आंवले का शर्बत सुबह-शाम पिलाएं।
  153. अवसाद उदासीनता या सुस्ती : रोजाना आंवले के मुरब्बे का सेवन करने से मानसिक अवसाद या उदासी दूर हो जाती है।
  154. मूर्च्छा (बेहोशी) : एक चम्मच आंवले का रस और 2 चम्मच घी को मिलाकर रोगी को पिलाने से बेहोशी दूर हो जाती है।
  155. पेशाब में खून आना : लगभग 12 ग्राम आंवला और 12 ग्राम हल्दी को मोटा-मोटा पीसकर रात को पानी में डालकर भिगो दें। सुबह इस पानी को छानकर पीने से पेशाब में खून आने का रोग दूर होता है।
  156. यो*नि संकोचन : आंवला की छाल को 20 ग्राम की मात्रा में लेकर मोटा-मोटा पीसकर लगभग 250 मिलीलीटर पानी में डालकर उबालें, जब पानी आधा बच जाये तब ठंडा करके यो*नि पर लगाने से यो*नि का ढीलापन दूर होकर यो*नि टाईट हो जाती है।
  157. आंवला को पकाकर काढ़ा बनाकर दही में मिलाकर योनि पर सुबह और शाम लगाने से लाभ मिलता है।
  158. बिस्तर पर पेशाब करना : 10 ग्राम आंवला और 10 ग्राम काला जीरा लेकर पीसकर चूर्ण बना लें। इस चूर्ण में 10 ग्राम मिश्री पीसकर मिला लें। यह 2-2 ग्राम चूर्ण रोजाना पानी के साथ खाने से बच्चे का बिस्तर में पेशाब करना बंद हो जाता है।
  159. आंवले को बहुत अच्छी तरह से बारीक पीसकर कपड़े में छानकर चूर्ण बना लें। यह 3-3 ग्राम चूर्ण रोजाना शहद में मिलाकर बच्चों को सुबह और शाम चटाने से बच्चे बिस्तर में पेशाब करना बंद कर देते हैं।
  160. आंवले का चूर्ण और काला जीरा बराबर मात्रा में मिलाकर पीस लें। तैयार चूर्ण की आधी मात्रा में मिश्री मिलाकर, 1-1 चम्मच दिन में 3 बार, 1 हफ्ते तक नियमित रूप से खिलाएं।
  161. यो*निकंद : आंवले की गुठली, बायविंडग, हल्दी, रसौत और कायफल को पीसकर चूर्ण बनाकर शहद में मिलाकर योनि में रख लें, फिर त्रिफले के काढ़े में शहद डालकर यो*नि को धोने से यो*नि कंद की बीमारी समाप्त हो जाती है।
  162. भ्रम रोग : लगभग 3-3 ग्राम की मात्रा में आंवला, हरड़, बहेड़ा को लेकर बारीक पीसकर और छानकर रात को 3 ग्राम शहद के साथ चाटें और सुबह 3 ग्राम अदरक के रस और 6 ग्राम गुड़ के साथ मिलाकर खाने से भ्रम रोग खत्म हो जाता है।
  163. लगभग 6 ग्राम आंवले और इतनी ही मात्रा में धनिये को कुचलकर रात में पानी में भिगोकर रख दें और सुबह इसके मैल को छानकर इसमें 20 ग्राम मिश्री मिलाकर रोजाना पीने से पित्त के कारण पैदा होने वाला भ्रम रोग दूर हो जाता है।
  164. आंवले का शर्बत रोजाना सुबह और शाम को रोगी को देने से पित्त द्वारा होने वाला भ्रम का रोग खत्म हो जाता है।
  165. पेशाब का अधिक आना (बहुमूत्र) : लगभग 3.5 ग्राम आंवला के फूल या पंचांग (जड़, तना, पत्ती, फल और फूल) का चूर्ण खाने से पेशाब के साथ-साथ ज्यादा पेशाब में ज्यादा मीठा आने का रोग समाप्त हो जाता है।
  166. आंवले के रस में 6 मिलीलीटर शहद मिलाकर पीने से बहुमूत्र रोग (बार-बार पेशाब आना) मिट जाता है।
  167. मूत्र (पेशाब) की बीमारी : 2 चम्मच आंवले का रस और 1 कप पानी, दोनों को मिलाकर एक सप्ताह तक सुबह के समय खायें।
  168. एक चम्मच आंवले का रस और 1 गिलास गन्ने का रस, दोनों को मिलाकर खाने से पेशाब खुल जाता है।
  169. यो*नि रोग : आंवले को निचोड़कर 20 मिलीलीटर रस में खांड मिलाकर खाली पेट सुबह के समय 7 दिनों तक लगातार पीने से यो*नि में बदबू आना बंद हो जाता है।
  170. आंवले के रस को थोड़ी-सी मात्रा में लेकर प्रतिदिन स्त्री को पिलाने से यो*नि में होनी वाली जलन समाप्त हो जाती है।
  171. आंवले के रस में खांड को मिलाकर सेवन करने से यो*नि में होने वाली जलन शांत हो जाती है।
  172. आंवलों के रस में चीनी मिलाकर प्रतिदिन पीने से यो*नि की जलन और पीड़ा नष्ट हो जाती है।
  173. अपरस (चर्म) के रोग में : 4 ग्राम सूखे आंवले का चूर्ण और 2 ग्राम हल्दी का चूर्ण थोड़े दिनों तक पानी के दूध के साथ रोजाना दो बार पीने से खून साफ हो जाता है और त्वचा के दूसरे रोग खाज-खुजली आदि दूर होते हैं।
  174. दिल की धड़कन : आंवले का चूर्ण आधा चम्मच लेकर उसमें थोड़ी-सी मिश्री का चूर्ण मिलाकर सुबह-शाम सेवन करें।
  175. आंवले का मुरब्बा या शर्बत दिल की तेज धड़कन को सामान्य बनाता है।
  176. खूबसूरत दिखना : आंवले को पीसकर पानी में भिगोकर चेहरे पर उबटन की तरह मलने से चेहरे की खूबसूरती बढ़ती है। www.allayurvedic.org
  177. उच्च रक्तचाप (हाई ब्लड प्रेशर) : आंवले का मुरब्बा खाने से उच्च रक्तचाप (हाई ब्लड प्रेशर) में लाभ होता है। एक-एक आंवला सुबह और शाम खाएं।
  178. आंवले का चूर्ण एक चम्मच, गिलोय का चूर्ण आधा चम्मच तथा दो चुटकी सोंठ। तीनों को मिलाकर गर्म पानी से सेवन करें।
  179. आंवले का चूर्ण एक चम्मच, सर्पगंधा तीन ग्राम, गिलोय का चूर्ण एक चम्मच। तीनों को मिलाकर दो खुराक करें और सुबह-शाम इसका इस्तेमाल करें।
  180. हृदय की निर्बलता (कमजोरी) : आधा भोजन करने के बाद हरे आंवलों का रस 35 ग्राम, आधा गिलास पानी में मिलाकर पी लें, फिर आधा भोजन करें। इस प्रकार 21 दिन सेवन करने से हृदय तथा मस्तिष्क की दुर्बलता दूर होकर स्वास्थ्य सुधर जाता है।
  181. आंवले का मुरब्बा खाकर प्रतिदिन दूध पीने से शारीरिक शक्ति विकसित होने से हृदय की निर्बलता नष्ट होती है।
  182. आंवले का 3 ग्राम चूर्ण रात्रि के समय 250 मिलीलीटर दूध के साथ सेवन करने से हृदय की निर्बलता नष्ट होती है।
  183. सूखा आंवला तथा मिश्री 50-50 ग्राम मिलाकर खूब कूट-पीस लें। छ: ग्राम औषधि प्रतिदिन एक बार पानी के साथ लेने से कुछ दिनों में हृदय की धड़कन तथा अन्य रोग सामान्य हो जाते हैं।
  184. घबराहट या बेचैनी : 1 0 ग्राम आंवले के चूर्ण को इतनी ही मात्रा में मिश्री के साथ सुबह और शाम खाने से घबराहट दूर हो जाती है।
  185. त्वचा (चर्म) रोग : 3 चम्मच पिसे हुए आंवले के रस को रात में एक गिलास पानी में भिगोकर रख दें। सुबह उस पानी को छानकर उसमें 4 चम्मच शहद मिलाकर पीने से चमड़ी के सारे रोग दूर हो जाते हैं।
  186. आंवले के रस में शहद मिलाकर पीने से सभी तरह के चमड़ी के रोगों में लाभ होता है।
  187. आंवले का रस, कालीमिर्च और गंधक को बराबर की मात्रा में लेकर उसमें दो गुना घी मिला लें और चमड़ी पर लगायें। उसके बाद हल्की धूप में बैठे। इससे खुजली ठीक हो जाती है।
  188. हदय रोग : दिल में दर्द शुरू होने पर आंवले के मुरब्बे में तीन-चार बूंद अमृतधारा सेवन करें।
  189. भोजन करने के बाद हरे आंवले का रस 25-30 मिलीलीटर रस ताजे पानी में मिलाकर सेवन करें।
  190. एक चम्मच सूखे आंवले का चूर्ण फांककर ऊपर से लगभग 250 मिलीलीटर दूध पी लें।
  191. आंवले में विटामिन-सी अधिक है। इसके मुरब्बे में अण्डे से भी अधिक शक्ति है। यह अत्यधिक शक्ति एवं सौन्दर्यवर्द्धक है। आंवले के नियमित सेवन से हृदय की धड़कन, नींद का न आना तथा रक्तचाप आदि रोग ठीक हो जाते हैं। रोज एक मुरब्बा गाय के दूध के साथ लेने से हृदय रोग दूर रहता है। हरे आंवलों का रस शहद के साथ, आंवलों की चटनी, सूखे आंवला की फंकी या मिश्री के साथ लेने से सभी हृदय रोग ठीक होते हैं।
  192. सूखा आंवला और मिश्री समान भाग पीस लें। इसकी एक चाय की चम्मच की फंकी रोजाना पानी से लेने से हृदय के सारे रोग दूर हो जाते हैं।
  193. आंवले का मुरब्बा दूध से लेने से स्वास्थ्य अच्छा रहता है व किसी भी प्रकार के हृदय-विकार नहीं होते हैं।
  194. निम्न रक्तचाप (लो ब्लड प्रेशर) : आंवलों के 20 मिलीलीटर रस में 10 ग्राम मधु मिलाकर प्रतिदिन सेवन करने से निम्न रक्तचाप में बहुत लाभ होता है।
  195. आंवले या सेब का मुरब्बा प्रतिदिन खाने से कुछ सप्ताह में लाभ होने लगता है।
  196. क्रोध : एक से दो की संख्या में आंवले का मुरब्बा रोजाना खाने से जलन, चक्कर के साथ साथ क्रोध भी दूर हो जाता है।
  197. पीलिया (पांडु) का रोग : 10 ग्राम हरे आंवले के रस में थोड़ा-सा गन्ने का रस मिलाकर सेवन करें। जब तक पीलिया का रोग खत्त्म न हो जाए, तब तक उसे बराबर मात्रा में पीते रहें।
  198. हरे आंवले का रस शहद के साथ कुछ दिनों तक सेवन करने से लाभ होता है। पीलिया में लाभ होता है।
  199. छाछ के साथ आंवले का चूर्ण 1 चम्मच दिन में 3 बार रोजाना सेवन करें। पीलिया में लाभ होता है।
  200. आंवले और गन्ने का ताजा निकाला हुआ रस आधा-आधा कप और 2 चम्मच शहद सुबह-शाम लगातार पीने से 2-3 महीने में पीलिया रोग दूर हो जाता है। इससे जीर्ण ज्वर या अन्य कारणों से उत्पन्न हुआ पांडु रोग (पीलिया) भी समाप्त हो जाता है।
  201. लगभग 3 ग्राम चित्रक के चूर्ण को आंवलो के रस की 3-4 भावना देकर गाय के घी के साथ रात में चाटने से पीलिया रोग दूर होता है। तथा आंवले का अर्क (रस) पिलाने से कामला रोग में लाभ होता है।  www.allayurvedic.org
  202. लगभग 1 ग्राम का चौथा भाग लौह भस्म के साथ 1-2 आंवले का सेवन करने से कामला, पांडु और खून की कमी आदि रोगों में अत्यंत लाभ होता है।
  203. कुष्ठ (कोढ़) : 10-10 ग्राम कत्था और आंवला को लेकर काढ़ा बना लें। काढ़ा के पक जाने पर उसमें 10 ग्राम बाबची के बीजों का चूर्ण शहद के साथ मिलाकर रोजाना पीने से सफेद कोढ़ भी कुछ ही दिनों में ठीक हो जाता है।
  204. कत्थे की छाल, आंवला और बावची का काढ़ा बनाकर पीने से सफेद कोढ़ ठीक हो जाता है।
  205. 1 चम्मच आंवले के चूर्ण की सुबह, शाम फंकी लें, कोढ़ में लाभ होता है।
  206. आंवला के रस को सनाय के साथ मिलाकर खाने से कोढ़ ठीक हो जाता है।
  207. खैर की छाल और आंवला के काढ़े में बाबची का चूर्ण मिलाकर पीने से `सफेद कोढ़´ ठीक हो जाता है।
  208. आंवले और नीम के पत्ते को समान मात्रा में लेकर महीन चूर्ण कर रख लें, इसे 2 से 6 ग्राम तक या 10 ग्राम तक रोजाना सुबह-सुबह शहद के साथ चाटने से भयंकर गलित कुष्ठ में भी शीघ्र लाभ होता है।
  209. विसर्प (फुंसियों का दल बनना) : अनन्नास का गूदा निकालकर फुंसियों पर लगाने से फुंसिया ठीक हो जाती हैं। इसका रस रोजाना पीने से शरीर की बीमार कोशिकाएं ठीक हो जाती हैं।
  210. आंवले के 10-20 मिलीलीटर रस में 10 ग्राम घी मिलाकर दिन में 2-3 बार पिलाने से विसर्प में राहत मिलती है।
  211. आंवला, बहेड़ा, हरड़, पद्याख, खस, लाजवन्ती, कनेर की जड़, जवासा, और नरसल की जड़ को पीसकर मिलाकर लेप की तरह से लगाने से कफज के कारण होने वाला विसर्प नाम का रोग ठीक हो जाता है।
  212. खसरा : नागरमोथा, धनिया, गिलोय, खस और आंवला को बराबर मात्रा में लेकर और पीसकर बारीक चूर्ण बना लें। 5 ग्राम चूर्ण 300 मिलीलीटर पानी में उबालकर काढ़ा बना लें। इस काढ़े को छानकर थोड़ी-थोड़ी मात्रा में बच्चे को पिलाने से खसरा में बहुत आराम आता है।
  213. खसरा निकलने के बाद शरीर में जलन या खुजली हो तो सूखे आंवलों को पानी में उबालकर ठंडा होने के बाद इससे शरीर को रोजाना साफ करें। इससे खसरे की खुजली और जलन दूर होती है।
  214. सिर में दर्द : लगभग 5 ग्राम आंवला और 10 ग्राम धनिये को मिलाकर कूटकर रात को किसी मिट्टी के बर्तन में 200 मिलीलीटर पानी में मिलाकर रख दें। सुबह इस मिश्रण को कपड़े द्वारा छानकर पीने से गर्मी के दिनों में धूप में घूमने के कारण होने वाला सिर दर्द खत्म हो जाता है।
  215. आंवले का शर्बत पीने से गर्मी के कारण होने वाला सिर का दर्द ठीक हो जाता है।
  216. आंवले के पानी से सिर की मालिश करने से सिर का दर्द दूर हो जाता है।
  217. सफेद दाग : 20-20 ग्राम खादिरसार (कत्था) और आंवला को लेकर 400 मिलीलीटर पानी में उबालकर काढ़ा बना लें। इस काढ़े में 5 ग्राम बावची का चूर्ण मिलाकर खाने से श्वेत कुष्ठ (सफेद दाग) ठीक हो जाता है।
  218. बच्चों का फोड़ा : आंवलों की राख घी में मिलाकर लेप करने से बच्चों को होने वाला `फोड़ा´ ठीक हो जाता है।
  219. चेहरे की सुंदरता : रोजाना सुबह और शाम चेहरे पर किसी भी तेल की मालिश कर लें। रात को 1 कांच का गिलास पानी से भरकर उसमें दो चम्मच पिसा हुआ आंवला भिगो दें और सुबह उस पानी को छानकर चेहरे को रोजाना इस पानी से धोंयें। इससे चेहरे की झुर्रिया (चेहरे की सिलवटें) और झांइयां दूर हो जाती हैं।
  220. त्वचा का प्रसाधन : आंवले के मुरब्बा का रोजाना दो से तीन बार सेवन करने से त्वचा का रंग निखरता है।
  221. याददास्त कमजोर होना : रोजाना सुबह आंवले के मुरब्बे का सेवन करने से याददास्त मजबूत होती है और बढ़ती भी है।
  222. लगभग 30 मिलीलीटर आंवले के रस को भोजन करते समय भोजन के बीच में ही पानी में मिलाकर पीयें, और इसके बाद फिर अपना भोजन पेट भर कर खायें। ऐसा लगभग 21 दिन तक करने से हृदय की कमजोरी के साथ ही साथ दिमाग की कमजोरी भी दूर हो जाती है, और शरीर भी हष्टपुष्ट बना रहता है।
  223. बच्चों के रोग : अगर बच्चे के शरीर पर फुन्सियां हो, तो रेवन्दचीनी की लकड़ी को पानी में घिसकर लेप करें। अगर फोड़ा हो, तो आंवले की राख को घी में मिलाकर लेप करें। अगर फोड़े-फुन्सी बहुत हो तो आंवलों को दही में भिगोकर लगायें या नीम की छाल (खाल) पानी में घिस कर लगायें।
  224. कण्ठमाला के रोग में : सर्पगन्धा, आंवला, आशकंद और अर्जुन की छाल को बराबर मात्रा में लेकर चूर्ण बना लें। इस चूर्ण को 2-2 ग्राम दिन में सुबह और शाम सेवन करने से गलगण्ड (गले की गांठें) ठीक हो जाता है।
  225. शरीर को शक्तिशाली और ताकतवर बनाना : लगभग 10 ग्राम की मात्रा में हरे आंवला और लगभग इतनी ही मात्रा में शहद लेकर इनको मिलाकर एक साथ खाने से मनुष्य के वीर्य बल में वृद्धि होती है। www.allayurvedic.org
  226. आंवलों के मौसम में इसका सेवन रोजाना सुबह के समय करें। इसका सेवन लगभग 1 से 2 महीने तक करना चाहिए।
  227. बराबर मात्रा में आंवले का चूर्ण, गिलोय का रस, सफेद मूसली का चूर्ण, गोखरू का चूर्ण, तालमखाना का चूर्ण, अश्वगंधा का चूर्ण, शतावरी का चूर्ण, कौंच के बीजों का चूर्ण और मिश्री का चूर्ण लेकर इनका मिश्रण बना लें। अब इस मिश्रण को रोजाना सुबह और शाम को लगभग 10 से 15 ग्राम की मात्रा में फांककर ऊपर से हल्का गर्म दूध पीने से मनुष्य के संभोग करने की शक्ति का विकास होता है। इसको लगातार 3 या 4 महीने तक फायदा होने तक खाना चाहिए।
  228. श्लेश्मपित्त : लगभग 10 ग्राम आंवला लेकर उसको रात को सोते समय पानी में भिगोकर रख दें और सुबह उठकर इनको मसलकर छान लें। अब इस जल में मिश्री और जीरे के चूर्ण को मिलाकर पीने से सभी प्रकार के पित्त रोग ठीक हो जाते हैं।
  229. गले के रोग : सूखे आंवले के चूर्ण को गाय के दूध में मिलाकर पीने से स्वरभेद (गले का बैठ जाना) ठीक हो जाता है।
  230. आंवले के पत्तों का काढ़ा बनाकर गरारे करने से गले के कई सारे रोग दूर हो जाते हैं।
  231. शुक्र*मेह : धूप में सुखाए हुए गुठली रहित आंवले के 10 ग्राम चूर्ण में दुगनी मात्रा में मिश्री मिला लें। इसे 250 मिलीलीटर तक ताजे जल के साथ 15 दिन तक लगातार सेवन करने से स्व*प्नदोष (नाइ*टफॉल), शुक्र*मेह आदि रोगों में निश्चित रूप से लाभ होता है।
  232. खूनी अतिसार (रक्तातिसार) : यदि दस्त के साथ अधिक खून निकलता हो तो आंवले के 10-20 मिलीलीटर रस में 10 ग्राम शहद और 5 ग्राम घी मिलाकर रोगी को पिलायें और ऊपर से बकरी का दूध 100 मिलीलीटर तक दिन में 3 बार पिलाएं।
  233. रक्तगुल्म (खून की गांठे) : आंवले के रस में कालीमिर्च डालकर पीने से रक्तगुल्म खत्म हो जाता है।
  234. प्रमेह (वी*र्य विकार) : आंवला, हरड़, बहेड़ा, नागर-मोथा, दारू-हल्दी, देवदारू इन सबको समान मात्रा में लेकर इनका काढ़ा बनाकर 10-20 मिलीलीटर की मात्रा में सुबह-शाम प्रमेह के रोगी को पिला दें।
  235. आंवला, गिलोय, नीम की छाल, परवल की पत्ती को बराबर-बराबर 50 ग्राम की मात्रा में लेकर आधा किलो पानी में रातभर भिगो दें। इसे सुबह उबालें, उबलते-उबलते जब यह चौथाई मात्रा में शेष बचे तो इसमें 2 चम्मच शहद मिलाकर दिन में 3 बार सेवन करने से पित्तज प्रमेह नष्ट होती है।
  236. पित्तदोष : आंवले का रस, शहद, गाय का घी इन सभी को बराबर मात्रा में लेकर आपस में घोटकर लेने से पित्त दोष तथा रक्त विकार के कारण नेत्र रोग ठीक होते हैं।
  237. मूत्रातिसार (सोमरोग) : एक पका हुआ केला, आंवले का रस 10 मिलीलीटर, शहद 5 ग्राम, दूध 250 मिलीलीटर, इन्हें एकत्र करके सेवन करने से सोमरोग नष्ट होता है।
  238. श्वेतप्रदर : आंवले के 20-30 ग्राम बीजों को पानी के साथ पीसकर उस पानी को छानकर, उसमें 2 चम्मच शहद और पिसी हुई मिश्री मिलाकर पिलाने से श्वेत प्रदर में लाभ होता है।
  239. 3 ग्राम पिसा हुआ (चूर्ण) आंवला, 6 ग्राम शहद में मिलाकर रोज एक बार 1 महीने तक लेने से श्वेत-प्रदर में लाभ होता है। परहेज खटाई का रखें।
  240. आंवले को सुखाकर अच्छी तरह से पीसकर बारीक चूर्ण बनाकर रख लें, फिर इसी बने चूर्ण की 3 ग्राम मात्रा को लगभग 1 महीने तक प्रतिदिन सुबह और शाम को पीने से स्त्रियों को होने वाला श्वेतप्रदर नष्ट हो जाता है।
  241. पाचन सम्बंधी विकार : पकाये हुए आंवलों को घियाकस कर लें, उसमें उचित मात्रा में कालीमिर्च, सोंठ, सेंधानमक, भुना जीरा और हींग मिलाकर छाया में सुखाकर सेवन करें। इससे अरुचि (भोजन का अच्छा न लगना), अग्निमान्द्य (अपच) व मलावरोध दूर हो जाता है तथा भूख में वृद्धि होती है।
  242. तेज अतिसार (तेज दस्त) : 5-6 आंवलों को जल में पीसकर रोगी की नाभि के आसपास उनकी थाल बचाकर लेप कर दें और थाल में अदरक का रस भर दें। इस प्रयोग से अत्यंत भयंकर नदी के वेग के समान दुर्जय, अतिसार का भी नाश होता है।
  243. मूत्राघात (पेशाब में धातु का आना) : 5-6 आंवलों को पीसकर वीर्य नलिकाओं पर लेप करने से मूत्राघात की बीमारी समाप्त होती है।
  244. यो*नि की जलन, सूजन और खुजली : आंवले का रस 20 मिलीलीटर, 10 ग्राम शहद और 5 ग्राम मिश्री को मिलाकर मिश्रण बना लें, फिर इसी को पीने से यो*नि की जलन समाप्त हो जाती है।
  245. आंवले के रस में चीनी को डालकर 1 दिन में सुबह और शाम प्रयोग करने से यो*नि की जलन मिट जाती है।
  246. आंवले को पीसकर उसका चूर्ण 10 ग्राम और 10 ग्राम मिश्री को मिलाकर 1 दिन में सुबह और शाम खुराक के रूप में सेवन करने से यो*नि में होने वाली जलन मिट जाती है।
  247. जिस स्त्री के गुप्तांग (यो*नि) में जलन और खुजली हो, उसे आंवले का रस, शहद के साथ सेवन करने से लाभ मिलता है।
  248. सुजाक : आंवले के 2 से 5 ग्राम चूर्ण को एक गिलास जल में मिलाकर पीने से और उसी जल से मूत्रेन्दिय में पिचकारी देने से सूजन व जलन शांत होती है और धीरे-धीरे घाव भरकर पीव आना बंद हो जाता है।
  249. वातरक्त : आंवला, हल्दी तथा मोथा के 50-60 मिलीलीटर काढ़ा में 2 चम्मच शहद मिलाकर दिन में 3 बार पीने से वातरक्त शांत हो जाता है।
  250. पित्तशूल : आंवले के 2-5 ग्राम चूर्ण को 1 चम्मच शहद के साथ मिलाकर सुबह खाली पेट पित्तशूल की शांति के लिए चाटना चाहिए। www.allayurvedic.org
  251. जोड़ों के दर्द : 20 ग्राम सूखे आंवले और 20 ग्राम गुड़ को 500 मिलीलीटर पानी में उबालें, जब यह 250 मिलीलीटर शेष तो इसे छानकर सुबह-शाम पिलाने से गठिया में लाभ होता है परन्तु इलाज के दौरान नमक छोड़ देना चाहिए।
  252. सूखे आंवले को कूट-पीस लें और उसके चूर्ण से 2 गुनी मात्रा में गुड़ मिलाकर बेर के आकार की गोलियां बना लें। 3 गोलियां रोजाना लेने से जोड़ों का खत्म होता है।
  253. आंवला और हरड़ 3-3 ग्राम की मात्रा में लेकर चूर्ण बना लें। यह चूर्ण गर्म जल के साथ रोजाना सुबह-शाम सेवन करने से जोड़ों (गठिया) का दर्द खत्म हो जाता है।
  254. एक गिलास पानी में 25 ग्राम सूखे आंवले और 50 ग्राम गुड़ डालकर उबालें। चौथाई पानी रहने पर इसे छानकर 2 बार रोज पिलाएं। इस अवधि में बिना नमक की रोटी तथा मूंग की दाल में सेंधानमक, कालीमिर्च डालकर खाएं। इस प्रयोग के समय ठंडी हवा से बचें।
  255. कफज्वर : मोथा, इन्द्रजौ, हरड़, बहेड़ा, आंवला, कुटकी तथा फालसे का काढ़ा कफ ज्वर को नष्ट करता है।
  256. गर्भवती स्त्री को उल्टी होने पर : यदि गर्भावस्था में उल्टी होती हो तो आंवले के मुरब्बे प्रतिदिन 4 बार खिलाने से उल्टी बंद हो जायेगी।
  257. त्वचा सौन्दर्यवर्धक : पिसा हुआ आंवला उबटन (बॉडी लोशन) की तरह मलने से त्वचा साफ और मुलायम रहती है तथा चर्म रोग नहीं होते हैं।
  258. आंखों के आगे अंधेरा छाना : आंवलों का रस पानी में मिलाकर सुबह-शाम 4 दिन पीने से लाभ होता है।
  259. चक्कर आना : गर्मियों में चक्कर आते हो, जी घबराता हो तो आंवले का शर्बत पीयें।
  260. आंवले के मुरब्बे को चांदी के एक बर्क में लपेटकर सुबह के समय खाली पेट खाने से चक्कर आना बंद हो जाता है।
  261. लगभग 6-6 ग्राम सूखा आंवला और सूखे धनिये को मोटा-मोटा कूटकर रात को सोते समय 100 मिलीलीटर पानी में भिगोकर रख दें और सुबह मसल-छानकर इसमें खांड मिलाकर रोगी को पिलाने से चक्कर आना बंद हो जाता है।
  262. आंखों को निरोग रखना : त्रिफला (हरड़, बहेड़ा और आंवला) रात को पानी में मिट्टी के बर्तन में भिगो दें। सुबह छानकर इस पानी से आंखें धोने से आंखें निरोग रहती हैं।
  263. झुर्रियां व झांई : रोजाना सुबह-शाम चेहरे पर किसी भी तेल की धीरे-धीरे मालिश करें। रात को 1 कांच का गिलास पानी से भर कर इसमें 2 चम्मच पिसा हुआ आंवला भिगो दें और सुबह पानी छानकर चेहरा रोज इस पानी से धोयें। ऐसा करते रहने से चेहरे की झुर्रियां व झांई दूर हो जायेगी।
  264. जवानी बनाएं रखना : सूखा आंवला पीस लें। इसे 2 चम्मच भरकर रोटी के साथ रोजाना खाने से जवानी बनी रहेगी और बुढ़ापा देर से आयेगा।
  265. बाल को लंबे और मुलायम करना : सूखे आंवले और मेंहदी दोनों समान मात्रा में आधा कप भिगो दें। प्रात: इससे बाल धोयें तो बाल मुलायम और लम्बे हो जायेंगे।
  266. हस्त-मै*थुन : हस्त-मै*थुन से धातु (वी*र्य) पतला हो गया हो तो सबसे पहले इस हस्त-मै*थुन की आदत छोड़ दें। आंवलों तथा हल्दी को समान मात्रा में पीसकर घी डालकर भूनें। सिंकने के बाद इसमें दोनों के वजन के बराबर पिसी हुई मिश्री मिला लें। 1 चाय के चम्मच सुबह-शाम गर्म दूध से इसकी फंकी लेनी चाहिए।
  267. अजीर्ण ज्वर : आंवला, चित्रक, छोटी हरड़, छोटी पीपल तथा सेंधानमक को बारीक कर चूर्ण गर्म पानी के साथ सेवन करने से बुखार समाप्त हो जाता है।
  268. आंख आना : आंवले का रस निकालकर उसे किसी कपडे़ में छानकर बूंद-बूंद करके आंखों में डालने से आंख आने का रोग ठीक होता है साथ ही आंख का लालपन और जलन भी दूर होती है।
  269. दांतों का दर्द : आंवले के छाल और पत्तों को पानी के साथ उबाल लें। इसके पानी से प्रतिदिन दो बार कुल्ला करने से दांतों का दर्द नष्ट होता है।
  270. सूखे आंवले का चूर्ण बनाकर इसमें थोड़ा-सा सेंधानमक मिलाकर मंजन बना लें। इससे दांतों पर रोजाना मंजन करने से दांत मजबूत होते हैं तथा दर्द में आराम रहता है।
  271. आंवले के रस में थोड़ा सा कपूर मिलाकर दांत पर लगायें। इससे कीड़े लगे हुए दांत का दर्द दूर हो जायेगा।
  272. आंवले के रस में कपूर मिलाकर पीड़ित दांत में लगाएं।
  273. दमा या श्वास का रोग : ताजे आंवले की गुठली को अलग करके गूदे को महीन पीसकर कपडे़ से निचोड़ लें। 10 मिलीलीटर रस इकट्ठा करके लोहे की कड़ाही में हल्की आंच पर हलुवे जैसा काढ़ा होने तक पकाएं, फिर उसमें दो किलो घी डालकर हल्का लाल होने तक भून लेते हैं। अब एक अन्य बर्तन में 5 लीटर दूध औटाकर उसमें इच्छानुसार शक्कर और बादाम (गिरी को महीन काटकर) डालें। इसे आंवले के रस में मिलाकर पुन: इस मिश्रण को इतना भून लेते हैं कि यह मिश्रण खाने लायक हो जाए। इसे सर्दी के दिनों में गर्म दूध के साथ 10-12 ग्राम मात्रा में लेना चाहिए और गर्मी के दिनों में इसे ठंडे दूध के साथ लेना चाहिए। इसके सेवन से आंखों की रोशनी बढ़ जाती है। असमय सफेद हुए बाल काले हो जाते हैं। त्वचा में चमक आ जाती है और शरीर पुष्ट हो जाता है। वीर्य संबन्धी दोष भी इसके सेवन से दूर हो जाते हैं।
  274. न*पुंसकता (ना*मर्दी) : आंवले का रस निकालकर एक चम्मच आंवले के चूर्ण में मिलाकर लें। उसमें थोड़ी-सी शक्कर (चीनी) और शहद मिलाकर घी के साथ सुबह-शाम खायें। www.allayurvedic.org
  275. गर्भवती की उल्टी और जी का मिचलना : आंवले के रस में चंदन घिसकर 20 ग्राम की मात्रा में सेवन करने से उल्टी बंद हो जाती है। इसे प्रतिदिन दो से तीन बार देना चाहिए।
  276. कालाज्वर : लगभग एक चम्मच आंवले के चूर्ण को दिन में दो बार शहद के साथ मिलाकर रोगी को देने से शरीर का खून बढ़ता है।
  277. बहरापन : एक-एक चम्मच आंवले के पत्तों का रस, जामुन के पत्तों का रस और महुए के पत्तों के रस को लेकर 100 मिलीलीटर सरसों के तेल में डालकर पकाने के लिये रख दें। पकने के बाद जब बस तेल ही बाकी रह जाये तो उस तेल को शीशी में भरकर रख लें। इस तेल की 2-3 बूंदे रोजाना कान में डालने से बहरेपन का रोग जाता रहता है।
  278. आमातिसार : लगभग 40 से 80 मिलीलीटर भुईआंवले के कोमल तने के फांट (घोल) का सेवन करने से आमातिसार के रोगी का रोग ठीक होता है।
  279. रजोनिवृत्ति (मासिक धर्म समाप्ति) के बाद के शारीरिक व मानसिक कष्ट : शारीरिक जलन, ब्रहमतालु में गर्मी आदि के लिए आंवले का रस 10 से 20 ग्राम की मात्रा में मिश्री के साथ या सूखे आंवले का चूर्ण समान मात्रा में मिश्री के साथ सुबह-शाम सेवन करने से लाभ मिलता है।
  280. मासिक-धर्म संबन्धी परेशानियां : एक चम्मच आंवले का रस पके हुए केले के साथ कुछ दिनों तक लगातार सेवन करें। इसके सेवन से मासिक धर्म में अधिक रक्तस्राव नहीं होता है।
  281. चोट लगना : कटने से रक्त-स्राव होने पर कटे हुए स्थान पर आंवले का ताजा रस लगाने से खून का बहना बंद हो जाता है।
  282. आंव रक्त (पेचिश) : कच्चा और भुना आंवला बराबर मात्रा में मिलाकर चूर्ण बना लें। 10 ग्राम चूर्ण दही में मिलाकर खाने से पेचिश के रोगी को लाभ मिलता है।
  283. 25 मिलीलीटर आंवले का रस, 5 ग्राम घी और शहद मिलाकर सेवन करें और ऊपर से बकरी का दूध पीयें। इससे पेचिश के रोगी का रोग दूर हो जाता है।
  284. भगन्दर : आंवले का रस, हल्दी और दन्ती की जड़ 5-5 ग्राम की मात्रा में लें और इसको अच्छी तरह से पीसकर इसे भगन्दर पर लगाने से घाव नष्ट होते हैं।
  285. प्रदर : आंवले के बीज के चूर्ण को शर्करा और शहद के साथ सेवन करने से पीत (पीला स्राव) प्रदर में आराम मिलता है।
  286. आंवले के बीजों को पानी के साथ पीसकर उसमें पानी, शहद और मिश्री मिलाकर पीने से 3 दिन में श्वेतप्रदर मिट जाता है।
  287. दो चम्मच आंवले का रस और एक चम्मच शहद को एक साथ मिलाकर 1 महीने तक पीने से सफेद प्रदर मिट जाता है।
  288. आंवले को सूखाकर अच्छी तरह से पीसकर बारीक चूर्ण बनाकर रख लें, फिर इसी बने चूर्ण की 3 ग्राम मात्रा को लगभग 1 महीने तक सुबह और शाम पीने से श्वेत प्रदर समाप्त होता है।
  289. जिगर का रोग : 4 ग्राम सूखे आंवले का चूर्ण, या 25 मिलीलीटरआंवले का रस 150 मिलीलीटरपानी में अच्छी तरह मिलाकर दिन में 4 बार सेवन करने से फायदा होता है।
  290. 25 मिलीलीटर आंवलों का रस या 4 ग्राम सूखे आंवले का चूर्ण पानी के साथ, दिन में 3 बार सेवन करने से 15-20 दिन में यकृत के सभी बीमारी से लाभ मिलता है।
  291. ताजे आंवले का रस निकालकर 10 मिलीलीटर शहद डालकर ज्यादा दिनों तक सेवन करने से दोनों प्रकार के प्रदर रोग मिट जाते हैं।
  292. आंवले के बीजों का मिश्रण शहद के पानी के साथ सेवन करने से प्रदर रोग में लाभ होता है।
  293. अग्निमान्द्यता (अपच ) : ताजे हरे आंवलों का रस और अनार का रस 4-4 चम्मच की मात्रा में शहद के साथ रोजाना सुबह और खाना खाने बाद लेने से लाभ होता है।
  294. अल्सर : एक चम्मच आंवले का चूर्ण, आधा चम्मच पिसी हुई सोंठ, आधा चम्मच पिसा हुआ जीरा, एक चम्मच पिसी हुई मिश्री, सबको मिलाकर एक खुराक सुबह और एक खुराक शाम को लें।
  295. एक चम्मच आंवले का रस और 1 चम्मच शहद दोनों को मिलाकर पीना चाहिए।
  296. अम्लपित्त (एसिडिटीज) : 2 चाय के चम्मच आंवले के रस में इतनी ही मिश्री मिलाकर पीएं या बारीक सूखा पिसा हुआ आंवला और मिश्री बराबर मात्रा में मिलाकर पानी से फंकी लेने से लाभ मिलता है।
  297. आंवले के फल के बीच के भाग को पीसकर चूर्ण बना लें, फिर चूर्ण 3 से 6 ग्राम को 100 मिलीलीटर से 250 मिली लीटर दूध के साथ दिन में सुबह और शाम लेने से अम्लता से छुटकारा मिल सकता है।
  298. आंवले का रस एक चम्मच, चौथाई चम्मच भुना हुआ जीरा का चूर्ण, मिश्री और आधा चम्मच धनिए का चूर्ण मिलाकर लेने से अम्लपित्त में कुछ ही दिनों में लाभ मिलता है।
  299. आंवला, सफेद चंदन का चूर्ण, चूक, नागरमोथा, कमल के फूल, मुलेठी, छुहारा, मुनक्का तथा खस को बराबर मात्रा में कूटकर चूर्ण बना लें। फिर सुबह और शाम के दौरान 2-2 चुटकी शहद के साथ सेवन करें। अम्लपित्त में कुछ ही दिनों में लाभ मिलता है। www.allayurvedic.org
  300. आंवला, हरड़, बहेडा़, ब्राह्मी और मुण्डी को बराबर मात्रा में लेकर पीसकर चूर्ण बना लें। फिर इसमें मिश्री मिलाकर 6-6 ग्राम चूर्ण की मात्रा को बकरी के दूध के साथ पीने से अम्लपित्त में कुछ ही दिनों में लाभ मिलता है।
  301. आंवले के चूर्ण को दही या छाछ के साथ सेवन करें, अम्लपित्त में कुछ ही दिनों में लाभ मिलता है।
  302. आंवला का रस शहद मिलाकर पीने से अम्लपित्त शांत करता है, अम्लपित्त में कुछ ही दिनों में लाभ मिलता है।
  303. आंवलों को अच्छी तरह पीसकर चूर्ण बना लें, फिर इसके 2 ग्राम चूर्ण को नारियल के पानी के साथ, दिन में 2 बार सुबह और शाम पीने से अम्लपित्त से छुटकारा मिलता है।
  304. यकृत का बढ़ना : 3 ग्राम से 10 ग्राम की मात्रा में आंवले का चूर्ण, शहद के साथ सुबह-शाम सेवन करने से यकृत की क्रिया ठीक हो जाती है।
  305. पथरी : आंवला, गोखरू, किरमाला, डाम की जड़, कास की जड़ तथा हरड़ की छाल 25-25 ग्राम की मात्रा में लेकर कूट-पीसकर चूर्ण बना लें। उस चूर्ण को 2 किलो पानी में डालकर गाढ़ा काढ़ा बना लें। 25 मिलीलीटर काढ़ा शहद के साथ प्रतिदिन सुबह-शाम खायें। इससे सभी प्रकार की पथरी ठीक होती है।
  306. सूखे आंवले का चूर्ण बनाकर मूली के रस के साथ मिलाकर खाने से मूत्राशय की पथरी ठीक होती है।
  307. कफ (बलगम) : आंवला सूखा और मुलहठी को अलग-अलग बारीक करके चूर्ण बना लें और मिलाकर रख लें। इसमें से 1 चम्मच चूर्ण दिन में 2 बार खाली पेट सुबह-शाम 7 दिनों तक ले सकते हैं। इससे छाती में जमा हुआ सारा कफ (बलगम) बाहर आ जायेगा।
  308. प्यास अधिक लगना : आंवला और सफेद कत्था मुंह में रखने से प्यास का अधिक लगना ठीक हो जाता है।
  309. जलोदर : आंवले के रस और सनाय को खाने से जलोदर में आराम मिलता है।
  310. आंवले को भूनकर काढ़ा बनाकर पीने से पेशाब खूब खुलकर आता है और रोगी को जलोदर की बीमारी से छुटकारा मिल जाता है।
  311. लू का लगना : उबाले हुए आंवला का पानी पीने से लू नहीं लगती है।
  312. सुबह और शाम को आंवला का मुरब्बा खाने से लू से छुटकारा पाया जा सकता है।
  313. आंवले के मुरब्बे के साथ मुक्तापिष्टी का चूर्ण लगभग 1 ग्राम का चौथा भाग तक सेवन किया जाये तो धूप से होने वाली बीमारियों से बचा जा सकता है।
  314. रक्तप्रदर : महिलाओं के रक्तप्रदर से पीड़ित होने पर आंवले के बारीक चूर्ण का लेप गर्भाशय के मुंह पर करना चाहिए अथवा आंवले के पानी से रूई या साफ कपड़ा भिगोकर गर्भाशय के मुंह पर रखना चाहिए। इससे रक्तप्रदर नष्ट हो जाता है।
  315. 10 मिलीलीटर आंवले के रस को 400 मिलीलीटर पानी में काढ़ा बना लें। इस काढे़ से योनि को साफ करने से रक्त प्रदर में आराम मिलता है।
  316. 5 ग्राम मात्रा में आंवला को पीसकर 3 ग्राम मधु के साथ मिलाकर दिन में सुबह-शाम सेवन करने से रक्त प्रदर में आराम मिलता है।
  317. 25 ग्राम आंवले का चूर्ण 50 मिलीलीटर पानी में डालकर रख लें। सुबह उठकर उसमें जीरे का 1 ग्राम चूर्ण और 10 ग्राम मिसरी मिलाकर पीने से रक्त प्रदर से आराम मिलता है।
  318. आंवले के 20 मिलीलीटर रस में एक ग्राम जीरे का चूर्ण मिलाकर दिन में 2 बार सेवन करें। ताजे आंवलों के उपलब्ध न होने पर सूखे आंवले का 20 ग्राम चूर्ण रात में भिगोकर सुबह सेवन करें और सुबह भिगोकर रात्रि में छानकर सेवन करें। इससे पित्तप्रकोप से होने वाले रक्तप्रदर में विशेष लाभ होता है।
  319. बच्चों का मधुमेह रोग : आंवले के फूलों को छाया में सुखाकर, कूट-पीसकर चूर्ण बनाकर रखें। 1-1 ग्राम चूर्ण सुबह-शाम पानी के साथ सेवन करने से बच्चे के मधुमेह रोग में लाभ होता है।
  320. आंवले और जामुन की गुठलियों को कूट-पीसकर चूर्ण बनायें। रोजाना 2-2 ग्राम चूर्ण सुबह-शाम पानी के साथ सेवन करने से शर्करा आने में नियंत्रण होता है।
  321. मधुमेह (डायबिटीज) : 10 मिलीलीटर आंवले का रस, 1 ग्राम हल्दी, 3 ग्राम मधु मिलाकर सेवन करने से मधुमेह में लाभ होता है।
  322. 5 ग्राम या 4 चम्मच ताजे आंवले के रस में 1 चम्मच शहद को मिलाकर रोजाना सुबह के समय सेवन करने से मधुमेह रोगी को फायदा होता है।
  323. 100 ग्राम सूखा आंवला और 100 ग्राम सौंफ को बारीक पीस लें। इसे 6-6 ग्राम सुबह-शाम खाने से 3-4 माहीने में मधुमेह रोग मिट जाता है।
  324. 2 चम्मच ताजे आंवले का रस शहद के साथ दिन में 2 बार सेवन से मधुमेह में लाभ होता है।
  325. थोड़ा सूखा आंवला लेकर उसमें 100 ग्राम जामुन की गुठलियों को सुखाकर पीस लें। इस चूर्ण में से 1 चम्मच चूर्ण रोजाना बिना कुछ खाये पानी के साथ सेवन करने से मधुमेह मे लाभ होता है। www.allayurvedic.org
  326. आंवले के फूलों को छाया में सुखाकर, कूट-पीसकर चूर्ण बनाकर रखें। 1-1 ग्राम चूर्ण सुबह-शाम पानी के साथ सेवन करने से मधुमेह में लाभ होता है।
  327. बुढ़ापे की कमजोरी : बुढ़ापे में शरीर में चूने की मात्रा बढ़ जाती है। चूने की अधिकता हड्डियों, स्नायुओं और रक्तवाहिनियों को कठोर बना देती है। इससे शरीर की गतिशीलता में अवरोध उत्पन्न हो जाता है। अाँवले का नित्य सेवन इस कठोरता को दूर करके सारी क्रियाओं को समुचित रखता है। आँवला बुढ़ापे के लिए अमृततुल्य है।
  328. बुढ़ापा देर से : सूखा आँवला पीस लें। इसकी दो चम्मच रोटी के साथ नित्य खाने से बुढ़ापा देर से आएगा और जवानी बनी रहेगी।
  329. झुर्रियाँ व झाँइयाँ – नित्य सुबह-शाम चेहरे पर किसी भी तेल की धीरे-धीरे मालिश करें। रात को एक काँच का गिलास पानी से भरकर इसमें दो चम्मच पिसा हुआ आँवला भिगो दें और नित्य प्रातः पानी छानकर चेहरा इस पानी से धोयें। ऐसा करते रहने से चेहरे की झुर्रियाँ व झाँइयाँ दूर हो जायेंगी।
  330. कोलेस्ट्रॉल, हृदय-रोग से बचाव : एक चम्मच आँवले की फंकी नित्य लेने से हृदय रोग होने से बचाव होता है। कच्चे हरे अाँवले का रस चौथाई कप, आधा कप पानी, स्वादानुसार मिश्री मिलाकर पीते रहने से कोलेस्ट्रॉल कम होकर सामान्य हो जाता है, जिससे हृदय रोग से बचाव होता है।

➡ आंवला 🍏 के हानिकारक प्रभाव : 

  • आंवला प्लीहा (तिल्ली) के लिए हानिकारक होता है लेकिन शहद के साथ सेवन करने से यह दुष्प्रभाव खत्म हो जाता है।

➡ आंवला 🍏 के दोषों को दूर करने के लिए : 

  • शहद और बादाम का तेल आंवले के दोषों को दूर करता है तथा इसके गुणों में सहायक होता है।

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