आज के समय में बहुत से लोग पेट से जुड़ी समस्याओं से परेशान है| इसके पीछे का कारण है हमारी गलत दिनचर्या जैसे की व्यायाम ना करना, समय पर खाना ना खाना, या असंतुलित और तले-गले पधार्तो का सेवन करना है| इन सभी कारणों से खाने का पाचन सही नहीं हो पाता है और शरीर को कई तरह की बीमारियो का सामना करना पढता है|

यही नहीं डाइजेशन ठीक से ना होने के कारण हमारे शरीर का खाना ऊर्जा में कन्वर्ट होने की बजाय चर्बी में बदलने लगता है| और देखा जाये तो आज हर तीसरा चौथा व्यक्ति अपनी बढ़ती तोंद के कारण तनाव में है| इन सभी परेशानियों से बचने के लिए हमें योग करना चाहिए| योग के अंतर्गत नौकासन पाचनतंत्र को सुचारू रखने के लिए सबसे बेहतर है|

इसका रोजाना अभ्यास करने से पेट से जुड़ी सभी समस्याएं दूर होती हैं और पेट की चर्बी कम करने में भी यह मददगार है| नौकासन को अंग्रेजी में बोट पोज़ के नाम से जाना जाता है| हमें नाम से ही यह बात ज्ञात हो रही है कि इस आसन में शरीर को नाव की तरह आकर में रखकर योग का अभ्यास किया जाता है|

इस आसन का नियमित अभ्यास करने से आपके पेट और कमर पर चर्बी जमा नहीं होती है| इससे आपके लोवर एब्स की मांसपेशियां टाइट रहती हैं| www.allayurvedic.org

नौकासन का अभ्यास करते वक्त आपकी कमर, हिप्स, पैर और पेट मूल रूप से शामिल होते हैं| इस योग मुद्रा को करते वक्त इन सभी अंगों का व्यायाम होता है| नौकासन शरीर के अंगो में दृढ़ता और संतुलन लाने का काम करता है| यदि आप सेहत से जुड़ी किसी भी गंभीर समस्या से पीड़ित हैं तो पहले डॉक्टर से परामर्श ले और इसके बाद ही इसका अभ्यास शुरू करें|

नौकासन करने की विधि

  • नौकासन की शुरुवात करने के लिए सबसे पहले शवासन की मुद्रा में लेट जाएँ।
  • इसके पश्चात अपनी एड़ी और पंजे को मिलाये और आपके दोनों हाथ कमर से सटा कर रखिये|
  • इस वक्त आपको हथेलियाँ जमीन पर तथा गर्दन को सीधी रखना है|
  • अब अपने दोनों पैर, गर्दन और हाथों को धीरे-धीरे एक साथ उपर की और उठाये|
  • आखरी में अपने पूरे शरीर का वजन नितंब के ऊपर कर दे|
  • इस मुद्रा में 30-40 सेकंड रुकने तक रुके।
  • अब धीरे-धीरे वापिस उसी अवस्था में आ कर शवासन की अवस्था में लेट जाएँ।
  • इस आसन का अभ्यास आप चार से पांच बार कर सकते है|

नौकासन के लाभ

  • शरीर को सुडौल बनाने के लिए नौकासन बहुत ही फायदेमंद होता है।
  • जिन लोगो को नींद बहुत ज्यादा आती हो उन लोगो के लिए नौका आसन सहायक है।
  • इस आसन को करने से रीढ की हड्डियां सीधी और मजबूत होती हैं|
  • शाररिक अंगो में संतुलन बनाये रखने के लिए Naukasana Yoga को उत्तम योग माना जाता है|
  • नौकासन करने से ध्यान और आत्मबल बढ़ता है| स्टूडेंट्स के लिए यह आसन बहुत ही फायदेमंद है|
  • इससे पाचन क्रिया, छोटी-बड़ी आँत में लाभ मिलता है और हर्निया रोग में भी यह आसन लाभप्रद है|
  • इस आसन का अभ्यास करने से पेट की मांसपेशियां संतुलित होती है जिससे पाचन तंत्र सुधरता है|
  • जो लोग अपने कंधों और कमर की चर्बी को घटाना चाहते है उनके लिए यह व्यायाम बेहद फायदेमंद है।
  • रीढ की हड्डियां सीधी और मजबूत होती हैं| शाररिक अंगो में संतुलन के लिए इसे उत्तम योग माना जाता है|
  • इस आसन का अध्यात्मिक लाभ भी है| इस आसन को करते वक्त इष्ट देव के मंत्रों का जप करने से त्वरित लाभ प्राप्त होता है।
  • इस आसन में अँगूठे से अँगुलियों तक का खिंचाव होता है जिससे शुद्ध रक्त तीव्र गति से प्रवाहित होता है और काया निरोगी होती है|

नौकासन मे सावधानियां:-

  • यदि कोई व्यक्ति अनिंद्रा और हृदय से सम्बन्धी रोग से पीड़ित हैं तो उसे इस योग का अभ्यास नहीं करना चाहिए| इसके अतिरिक्त शरीर के पिछले भाग में किसी तरह की तकलीफ या फिर पेट में किसी तरह की परेशानी हो तब भी नौकासन का अभ्यास नहीं करना चाहिए|
  • यदि आप भी उपरोक्त लाभ पाना चाहते है तो नौकासन करे| नौकासन करते वक्त अपने दोनों पैरों को एक समान स्थिति में रखना चाहिए| इसके अतरिक्त इस मुद्रा के दौरान आपके शरीर के पीछले भाग और मेरूदंड बिल्कुल सीधा होना चाहिए| अपने पैरों को सीधा रखने के लिए योग के दौरान छाती और शरीर के पीछले भाग को झुकाना नहीं चाहिए| यदि आपको नहीं समझ आ रहा है की आप नौकासन में बैठे है या नहीं तो शरीर अंग्रेजी के V के समान होने पर आप समझ सकते हैं कि आप बिल्कुल सही मुद्रा में बैठे है||