➡ अजीर्ण Dyspepsia रोग के कारण :

  • प्रायः सामान्य जीवन शैली में भोजन और निंद्रा के समय के नियमित न होने से, देर से हजम होने वाले अर्थात गरिष्ठ (भारी) भोजन जिसमें चिकनाई की मात्रा भी कुछ अधिक होती है, लगातार कई दिन तक सेवन करते रहने से, सारे दिन निठ्ठले बैठे रहने से और शारीरिक परिश्रम ना करने से, और कुत्सित प्रकार के मनोभाव अर्थात मन में ईर्ष्या, भय, चिन्ता क्रोध आदि क्लेशकारी विचार होने आदि कारणों सेअजीर्ण Dyspepsia का रोग हो जाया करता है ।

➡ अजीर्ण Dyspepsia के लक्षण :

  • उपरोक्त सभी कारणों से शरीर में उत्पन्न होने वाले पाचक रसों के बनने की प्रक्रिया सही से नही चल पाती है जिस कारण से सम्पूर्ण आहार तंत्र में भोजन के पाचन की प्रक्रिया भी सुचारू नही रह पाती है जिस कारण से पेट में लगातार भारीपन रहने लगता है और बेचैनी महसूस होने लगती है । बार-बार शौच के लिये जाने के बावजूद भी पेट सही से साफ नही हो पाता है और भारीपन महसूस होने की समस्या धीरे-धीरे बहुत बढ़ जाती है । धीरे-धीरे इन सब से ऐसी परिस्थिती उत्पन्न होने लगती है कि ताजा बना हुआ सुपाच्य भोजन, सही समय पर करने के बावजूद भी सही से पच नही पाता है । येअजीर्ण Dyspepsia के विशिष्ट लक्षण हैं । www.allayurvedic.org

➡ अजीर्ण Dyspepsia की चिकित्सा के लिये सरल घरेलू उपचार :

  1. ताजे अदरक को कूटकर निकाला गया रस एक चम्मच पीकर गुनगुना पानी पीने सेअजीर्ण Dyspepsia रोग में लाभ होता है । यह प्रयोग दिन में दो या तीन बार तक किया जा सकता है।
  2. अदरक को सुखाकर सोंठ बनाया जाता है । इस सोंठ का चूर्ण बनाकर आधी-आधी चम्मच लेकर आधा कप गुनगुने पानी में घोलकर पीने सेअजीर्ण Dyspepsia रोग में लाभ मिलता है । यह प्रयोग भी दिन में दो या तीन बार प्रयोग किया जा सकता है ।
  3. छोटी हरड़ का बारीक चूर्ण बनाकर आधा-आधा चम्मच की मात्रा में दिन में दो बार खाया जाता है । यदि इसके साथ लगभग 5-10 ग्राम पुराने गुड़ का भी सेवन किया जाये तो यह प्रयोगअजीर्ण Dyspepsia रोग में बहुत ही उत्तम लाभ करता है ।
  4. अजीर्ण Dyspepsia के रोगी से थोड़ा-बहुत जो भी भोजन खाया जाता है यदि उसके बाद नीम्बू का रस एक चम्मच का सेवन किया जाये तो यह पाचन की प्रक्रिया को थोड़ा बढ़ा देता है ।
  5. एक रसभरे ताजे नीम्बू को लेकर अग्नि पर इतना गर्म करें की उसके अंदर का रस हल्का गर्म हो जाये । अब इस नीम्बू को बीच में से काटकर दो हिस्से कर लें । कटे हुये एक हिस्से पर एक काली मिर्च का चूर्ण और चौथाई चम्मच पिसा हुया सेंधा नमक लगाकर चूस-चूस कर खा लेना चाहिये । यह प्रयोग रोज दो बार भोजन से आधा घण्टे पहले किया जाना चाहिये । इस प्रयोग सेअजीर्ण Dyspepsia के पुराने रोगी की भी भूख खुलने लगती है । www.allayurvedic.org
  6. रोज सुबह खाली पेट आँवले का रस दो-तीन चम्मच पीने सेअजीर्ण Dyspepsia के रोगी के पेट में होने वाली बेचैनी से राहत मिलती है ।
  7. टमाटर का सेवनअजीर्ण Dyspepsia के रोगियों के लिये बहुत ही लभकारी पाया जाता है । दिन में एक बार दो टमाटर धोकर कच्चे ही काटकर उस पर स्वाद के अनुसार काला नमक और काली मिर्च का पाउडर बनाकर सलाद की तरह खाना चाहिये ।
  8. उपरोक्त प्रयोग के अलावा ताजा बना हुआ टमाटर का सूप भीअजीर्ण Dyspepsia के रोगी को रोज एक या दो बार पिलाने की सलाह दी जाती है । टमाटर का यह सूप पचने में हल्का और पाचक अग्नि को प्रबल बनाने वाला होता है औरअजीर्ण Dyspepsia के रोगी में भोजन के प्रति रूचि पैदा करता है और साथ ही पाचन प्रक्रिया को भी सुधारता है ।

➡ अजीर्ण Dyspepsia रोग में भोजन और परहेज :

  1. अजीर्ण Dyspepsia रोग में भोजन बिल्कुल हल्का ही लेना चाहिये और यह भोजन ताजा बना हुआ होना चाहिये । चावल और मूँग की दाल के 1 और 2 के अनुपात में बनी खिचड़ी रोगी को खिलानी चाहिये । चोकर वाले आटे की बनी पतली चपातियों के साथ मूँग की दाल, हरी सब्जियाँ जैसे कि लौकी, तौरई, टिण्डा, पालक आदि का भोजन बहुत लाभ करता है ।
  2. चपातियाँ बनाते समय आटा बेलते समय हर चपाती के आटे में 8-10 दाने अजवायन के मिला देने चाहियें और तब चपाती बनानी चाहिये । इस प्रकार बनी यह अजवायन वाली चपातीअजीर्ण Dyspepsia के रोगी के लिये अमृत समान कार्य करती है ।
  3. अजीर्ण Dyspepsia के रोगी को ज्यादा चिकनाई वाला एवं तला हुया भोजन नही करना चाहिये । घी और तेल की मात्रा भोजन में बहुत ही कम, बिल्कुल ना के बराबर होनी चाहिये । यदि घी का सेवन करना ही हओ तो गाय के दूध से बने घी का अल्प मात्रा में सेवन किया जा सकता है । www.allayurvedic.org
  4. दोपहर के भोजन के पश्चात यदि ताजा बनी एक गिलास छाछ (मट्ठा/Buttermilk) का सेवन किया जाये तो यहअजीर्ण Dyspepsia के रोगी के लिये रामबाण का काम करती है । छाछ में थोड़ी थोड़ी मात्रा में यदि अजवायन, भुना जीरा और काला नमक मिला लिया जाये तो यह सोने पर सुहागे का काम करता है । ध्यान रखें कि छाछ में से मक्खन पूरी तरह से निकाल लिया गया हो और केवल दोपहर के भोजन के बाद ही ताजी बनी छाछ का सेवन किया जाना चाहिये, रात के समय छाछ/दही के सेवन का आयुर्वेद‌-शास्त्रों में निषेध किया गया है
  5. यदि छाछ का मिलना सम्भव ना हो तो भोजन के बाद गरम पानी का सेवन करना भीअजीर्ण Dyspepsia के रोगियों के लिये बहुत गुणकारी सिद्ध होता है ।
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