• आज के दौर में भागदौड़ भरी जिंदगी में हम इतना व्यस्त हो जाता है कि खुद के साथ-साथ अपने परिवार को समय नहीं गे पाता है। जिसके कारण हम खुद के कामों में इतना खो जाते है कि यह भी नहीं याद रहता है कि हमारे परिवार में कौन है। इसी कारण हम धीरे-धीरे डिप्रेशन में चले जाते है।
  • डिप्रेशन हमारी जिन्दगी में जहर घोलने वाला मन एक महत्वपूर्ण भाव है जो हमारे दैनिक जीवन में कई तरह की समस्याओं के लिए हमारे शरीर द्वारा की गयी एक बायोलॉजिकल क्रिया है। जो तनाव कहते है। इस समस्या से निजात पाने के लिए आप डॉक्टर की सलाह लेते है या फिर किसी के बताए हुए उपायों से इसे दूर करने की कोशिश करते है।
  • वर्ल्ड हेल्थ आर्गेनाइजेशन की एक रिपोर्ट के अनुसार दुनिया में कम से कम 70 प्रतिशत लोग डिप्रशन के बचने के लिए दवाओ का इस्तेमाल करते है। डिप्रेशन, मस्तिष्क से जुडी हुई एक बीमारी है, जिसके लिए लोग एंटी-डिप्रेसेंट दवाइयों का सेवन करते हैं जबकि एंटी-डिप्रेसेंट दवाइयों के साइड इफ़ेक्ट बहुत होते हैं। आप इन दवाइयों की बजाय आप इन प्राकृतिक उपायों को इस्तेमल कर इससे निजात पा सकते है।
  1. लैवेंडर : लैवेंडर में ऐसे गुण पाए जाते है जो आपको अनिद्रा के साथ-साथ आपको डिप्रेशन को भी कम कर सकता है। इसके लिए आप नहाने के पानी में कुछ बूंदे लैवेंडर ऑयल की मिलाकर या फिर इसकी चाय बनाकर पी सकते हैं। www.allayurvedic.org
  2. ओमेगा-3 फैटी एसिड : एक रिसर्च के अनुसार डिप्रेशन के शिकार 70 युवा लोगों को 12 हफ़्तों तक 1 ग्राम ओमेगा-3 फैटी एसिड दी गयी। रिसर्चर ने पाया कि उनमे से लगभग 53% लोगो में डिप्रेशन के लक्षणों में सुधार हुआ और उनके स्वभाव में भी सकारात्मक बदलाव देखा गया। ओमेगा-3 फैटी एसिड सबसे ज्यादा अलसी का बीज और अखरोट में पाया जाता है। इसी अपनी डाइट में शामिल करें। जिससे कि आप डिप्रेशन से बच सकते है।
  3. कैमोमाइल : कैमोमाइल भी औषधीय पौधा है। इसका सेवन करने से आपके मूड को सही रखता है। जिससे डिप्रेशन से आप बच सकते है। इसमें मौजूद तत्व मष्तिष्क में पाए जाने वाले अनेक फील गुड हार्मोन जैसे कि डोपामाइन, सेरोटोनिन और नोराड्रेनालिन को उत्तेजित करने में मदद करती है।
  4. सेंट जॉन वोर्ट : यह भी एक औषधीय पौधा है। यह पौधा मांसपेशियों को आराम पहुंचाता है और मष्तिस्क में सेरोटोनिन रिसेप्टर को नियंत्रित करता है जो आपके मूड को खुशमिजाज बनाए रखता है। आप इस पौधे को सुखाकर चाय के रूप में भी इस्तेमाल कर सकते हैं। यह पौधा जर्मनी में ज्यादा इस्तेमाल किया जाता है।