बच्चों में बढ़ता मोटापा एक गंभीर समस्या है। कई बार ये जेनेटिक होता है तो कई बार खानपान की वजह से भी बच्चों का वजन बढ़ने लगता है।अक्सर पेरेंटृस का कहना होता है कि उनका बच्चा कुछ भी नहीं खाता है ​​फिर भी उसका मोटापा बढ़ता जा रहा है। बच्चों में बढ़ता मोटापा एक गंभीर समस्या है। कई बार ये जेनेटिक होता है तो कई बार खानपान की वजह से भी बच्चों का वजन बढ़ने लगता है।  आपको जानकर आश्चर्य होगा कि बच्चों के मोटा होने पर माता-पिता दोनों, विशेषतौर से पिता ज्यादा जिम्मेदार होते हैं। हाल ही में हुए शोध में इसका दावा किया गया है। यह शोध 3,700 से अधिक महिलाओं और 2,600 पुरुषों पर किया गया, जिनकी उम्र 14 से 24 साल के बीच थी।

इस शोध में शामिल सभी पुरुष और महिलाओं, दोनों में से 80 फीसदी लोगों का मानना था कि वे अपने परिवार से भावनात्मक रूप से जुड़े हुए हैं। प्रमुख शोधकर्ता और कनाडा के यूनिवर्सिटी ऑफ ग्यूलेफ के प्रोफेसर जेस हाइनेस का कहना है, शोध में बच्चों के ऊपर पिता के प्रभाव का अध्ययन किया गया है। बच्चों के मोटापा के पीछे कई कारण हो सकते हैं। ऐसे में आप डाइट चार्ट बनाकर और बच्चे की गतिविधयों पर फोकस कर मोटापे की समस्या को काफी हद तक कम करने में मदद कर सकते हैं।

वजन घटाने के लिए बच्चे में सुबह उठते ही कुछ भी खाये बिना शुद्ध पानी पीने की आदत डालें। अगर वह पानी पूरी रात पीतल के बरतन में भर कर रखा हुआ हो, तो और भी फायदेमंद साबित होगा।  पानी पीने के बाद कसरत करने और चलने से शरीर की नसों को ऊर्जा प्राप्त होती है। बच्चों को इसे फोलो कराएं।  नाश्ते के पूर्व सुबह या दोपहर में खाने के दो तीन घंटे बाद ग्रीन टी और नींबू को बच्चे को नियमित रूप से देना शुरू कर दें।  पका हुआ नींबू और शहद मिला कर पिलाने और चटाने से भी वजन कम हो सकता है।  वजन नियंत्रित करने के लिए बच्चे के डाइट चार्ट में ककड़ी, खीरा, मूली, चना, मूंग, मटर, पपीता, गाजर और हर प्रकार की दालों को शामिल करें।  हींग, अजवायन, काली मिर्च, लौंग, और कड़ीपत्ता जेसे देसी मसाले अगर खाने में सही मात्रा में डाले जाते हैं पेट साफ रहने के कारण शरीर में फैट जमा नहीं होता है। छोंकन लगाते समय इनका उपयोग करें।

बच्चे को खाने के बाद तुरंत पानी पीने से रोकें। इससे तेजी से वजन बढ़ता है। तला हुआ खाना, देसी घी, आलू, मैदा युक्त व्यंजन, चावल, चीनी वगैरह चर्बी बढ्ने में अहम भूमिका निभाते हैं। मोटापा कम करना है तो बच्चों को यह सब देना छोड़ दें।व्यायाम और योग बीमारियों को मानव शरीर से दूर रखता है। स्फूर्ति प्रदान करता है। ऐसे में जहां तक हो बच्चे को एक्टिव बनाएं। एक ही जगह पर बैठे रहने की आदत को ​छुड़वाएं। नियमित दिनचर्या में बच्चे की लिफ्ट की जगह सीढ़ियों का उपयोग करने की आदत डालें।

प्रतिदिन एक से तीन किलोमीटर वॉक करने को भेजें। चाहें तो आप भी इसमें बच्चे को कंपनी दे सकते हैं। टीवी देखने और विडियो गेम्स खेलने की वजाय बच्चों को बाहर मैदान में दौड़ भागकर खेलने के लिए भेजें। खेल खेलना कलेरी बर्न करता है। ध्यान रखें कि बच्चा रात को पर्याप्त नींद ले रहा है।