सैंधा नमक के हैरान करने वाले फायदे  (unique benefits of rock salt in hindi)
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अक्सर हम व्रत में सैंधा नमक का प्रयोग करते है, आयुर्वेद में इसके खूब सारे गुणों का वर्णन मिलता है, इस नमक को ‘लाहौरी नमक’ भी कहा जाता है. अंग्रेजी में rock salt कहते है इसके गुणों के कारण आज इसे पुरे विश्व में उपयोग किया जाता है लेकिन भारत में सबसे ज्यादा होने के बावजूद बहुत कम इस्तेमाल होता है, आइये जानते है इसके आयुर्वेदिक गुण जिसे जानकर शायद आप भी आज से ही इसका उपयोग करना शुरू कर देंगे।
वैदिक वास्तु के अनुसार सबसे पहला इसका फायदा ये है के ये अगर घर में रखा हो (2-3 kg) तो जिस जगह ये रखा होता है वहाँ का वातावरण शुद्ध होता है, विदेशी लोग Himalayan salt lamp के नाम पर इसे बेचते है।
समुद्री नमक से उच्च रक्त चाप, डाइबिटीज़(मधुमेह), लकवा आदि गंभीर बीमारियो का भय रहता है लेकिन नमक होने के बावजूद सैंधा नमक के सेवन से ये परेशानियाँ दूर होती है.
इसके सेवन से शरीर में  त्वचा, फेफड़ा, नेत्र रोग, मोटापा, शरीर में जकड़न सहित आदि बहुत सी समस्याओ से निजात मिलती हैं।
सैंधा नमक के बारे में आयुर्वेद में लिखा गया है के इसके सेवन से  वात, पित्त और कफ को दूर करता है। यह पाचन में सहायक होता है  हृदय के लिए बहुत ही ज्यादा लाभदायक होता है।
रॉक साल्ट  ब्लड प्रॉब्लम  जैसे रोग जिनमे नमक खाने की मनाही होती है उसमे भी खाया जा सकता है।
यह पित्त खत्म करने वाला  और आंखों के लिये फायदेमंद है।
इन्ही कारणो से इसे व्रत में खाया जाता है लेकिन इसे डेली इस्तेमाल करना अच्छा रहता है।
यदि आपको आयोडीन की ज्यादा ही आवश्यकता है तो दूध, दही व् अंडे के सेवन कर सकते है आयोडीन नमक कोई जरूरी नही।
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 सैंधा नमक / काला नमक /डेले वाला नमक का ही उपयोग करे 

आयोडीन के नाम पर हम जो नमक खाते हैं उसमें कोर्इ तत्व नहीं होता है आयोडीन और फ्रीफ्लो नमक बनाते समय नमक से सारे तत्व निकाल लिए जाते हैं और उनकी बिक्री अलग से करके बाजार में सिर्फ सोडियम वाला नमक ही उपलब्ध होता है जो आयोडीन की कमी के नाम पर पूरे देश में बेचा जाता है, जबकि आयोडीन की कमी सिर्फ पर्वतीय क्षेत्रों में ही पार्इ जाती है इसलिए आयोडीन युक्त नमक केवल उन्ही क्षेत्रों के लिए जरुरी है। 
समुद्र के जल और धूप की गर्मी से वाष्पित होकर बनने  वाले नमक में सोडियम, मैग्नीशियम, कैल्शियम, पोटेशियम जैसे तत्व मिले रहते हैं ये तत्व वर्षा के जल के द्वारा जमीन की मिटटी से मिलते हुए समुद्र में मिलते हैं और यही नमक में आते हैं। इसलिए खड़ा नमक अधिक अच्छा है, लेकिन सोडियम की मात्रा अधिक होने के कारण वह शरीर में नुकसान भी करता है। इसकी तुलना में सेंधा नमक /काला नमक / डेले वाले नमक में सोडियम की मात्रा कम होती है और मैग्नीशियम, कैल्शियम, पोटेशियम आदि का अनुपात सन्तुलित होता है इसलिये यह नमक हल्का, सुपाच्य और शरीर के लिए लाभदायक होता है। हम प्रतिदिन जो अनाज, सब्जियाँ और फल खाते हैं उनमें आजकल भरपूर मात्रा में UREA, DAP के रुप में रासायनिक खाद और विभिन्न प्रकार के कीटनाशक डाले जाते हैं जिसके कारण ये विष हमारे शरीर में जाते हैं और एक अनुमान के अनुसार हम एक वर्ष में लगभग 70 ग्राम विष खा लेते हैं। सेंधा नमक / काला नमक / डेले वाला नमक इस विष को कम करता है और थायराइड, लकवा, मिर्गी आदि रोगों को रोकता है। काला और सेंधा नमक में 84 मिनरल्स होते हैं इसके अलावा इसमें Trace Minerals भी होते हैं इन Trace Minerals के कारण ही सोडियम शरीर को निरोगी बनाता है। 


रिफाइण्ड नमक में 98% सोडियम क्लोराइड ही है शरीर इसे विजातीय पदार्थ के रुप में रखता है। यह शरीर में घुलता नही है। इस नमक में आयोडीन को बनाये रखने के लिए Tricalcium Phosphate, Magnesium Carbonate, Sodium Alumino Silicate जैसे रसायन मिलाये जाते हैं जो सीमेंट बनाने में भी इस्तेमाल होते है। विज्ञान के अनुसार यह रसायन शरीर में रक्त वाहिनियों को कड़ा बनाते हैं जिससे ब्लाक्स बनने की संभावना और आक्सीजन जाने मे परेशानी होती है, जोड़ो का दर्द और गढिया, प्रोस्टेट आदि होती है। आयोडीन नमक से पानी की जरुरत ज्यादा होती है। 1 ग्राम नमक अपने से 23 गुना अधिक पानी खींचता है। यह पानी कोशिकाओ के पानी को कम करता है। इसी कारण हमें प्यास ज्यादा लगती है।