शरीर में दर्द होना एक आम समस्या है। लेकिन इसके लिए यह तो जरूरी नहीं है कि आप दर्द निवारक दवाईयों का सेवन करें। भारत में अक्सर देखा गया है कि यदि शरीर के किसी भी अंग में दर्द हो रहा होता है तो वे तुरंत दर्द नाशक गोलियां खा लेते हैं। जिसके दुष्प्रभाव उन्हें आगे चलकर झेलने पड़ते हैं। पेन किलर के साइड इफेक्टस होते हैं। इनकी जगह आप अपने घर में दर्द निवारक तेल बनाकर उसकी मालिश कर सकते हो जिससे दर्द पल भर में दूर हो जाएगा और आपको इसका फायदा भी मिलेगा।आइये जानते हैं दर्द निवारक तेल बनाने का तरीका।

दर्द नाशक तेल बनाने का तरीका :

1. पहला तरीका : कांच कि शीशी में एक छोटा कपूरए पुदीने का रस एक छोटा चम्मचए एक चम्मच अजवायन को डालकर अच्छे से मिलाएं और इसमें एक चम्मच नीलगिरी का तेल डालकर इसे अच्छे से हिलाएं। अब इस तेल को दर्द वाली जगह पर लगाएं।
2. दूसरा तरीका : तारपीन का तेल 60 ग्राम, कपूर 25 ग्राम। इन दोनों को मिलाकर किसी कांच की शीशी में भरकर इसे धूप में रख दें। और समय.समय पर इसे हिलाएं भी। जिससे कि इसमें मौजूद कपूर अच्छे से घुल जाए। अब आपका दर्द निवारक तेल तैयार है।
3. तीसरा तरीका : पचास ग्राम सरसों के तेल को किसी बर्तन में डाल दें। और उसमें दो गांठ छिला और पिसा हुआ लहसुन का पेस्ट और एक चम्मच सेंधा नमक को  डाल कर इसे गैस या चूले पर तब तक पकाते रहें जब तक इसमें मौजूद लहसुन काला न पड़ जाए। फिर बाद में इसे ठंडा करके किसी छोटी बोतल या कांच की शीशी में भर कर रख लें। 

इन तीनों तेलों को आप अलग-अलग बनाकर बोतलों या कांच की शीशीयों में भरकर रख लें। ये तेल दर्द निवारक तेल गठिया के दर्द कमर के दर्द जोड़ों के दर्द और शरीर के अन्य किसी हिस्से में होने वाले दर्द में राहत देते हैं।

साइटिका, रिंगन बाय, जोड़ों के दर्द, घुटनो के दर्द, कंधे की जकड़न, कमर दर्द के लिए एक अद्भुत तेल

  • साइटिका, रिंगन बाय, गृध्रसी, जोड़ों के दर्द, घुटनो के दर्द, कंधे की जकड़न एक टांग मे दर्द (साइटिका, रिंगन बाय, गृध्रसी), गर्दन का दर्द (सर्वाइकल स्पोंडोलाइटिस), कमर दर्द आदि के लिए ये तेल अद्भुत रिजल्ट देता हैं। दर्द भगाएँ चुटकी में एक बार जरूर अपनाएँ। ये चिकित्सा आयुर्वेद विशेषज्ञ “श्री श्याम सुंदर” जी ने अपनी पुस्तक रसायनसार मे लिखी हैं। मैं इस तेल को पिछले 5 सालों से बना रहा हूँ और प्रयोग कर रहा हूँ। कोई भी तेल जैसे महानारायण तेल, आयोडेक्स, मूव, वोलीनी आदि इसके समान प्रभावशाली नहीं है। एक बार आप इसे जरूर बनाए।

आवश्यक सामग्री :

  • कायफल = 250 ग्राम, 
  • तेल (सरसों या तिल का) = 500 ग्राम,
  • दालचीनी = 25 ग्राम
  • कपूर = 5 टिकिया
  • कायफल- “यह एक पेड़ की छाल है” जो देखने मे गहरे लाल रंग की खुरदरी लगभग 2 इंच के टुकड़ों मे मिलती है। ये सभी आयुर्वेदिक जड़ी बूटी बेचने वाली दुकानों पर कायफल के नाम से मिलती है। इसे लाकर कूट कर बारीक पीस लेना चाहिए। जितना महीन/ बारीक पीसोगे उतना ही अधिक गुणकारी होगा।


तेल बनाने की विधि : 

  • एक लोहे/ पीतल/एल्यूमिनियम की कड़ाही मे तेल गरम करें। जब तेल गरम हो जाए तब थोड़ा थोड़ा करके कायफल का चूर्ण डालते जाएँ। आग धीमी रखें। फिर इसमें दालचीनी का पाउडर डालें। जब सारा चूर्ण खत्म हो जाए तब कड़ाही के नीचे से आग बंद कर दे। एक कपड़े मे से तेल छान ले। तेल ठंडा हो जाए तब कपड़े को निचोड़ लें। यह तेल हल्का गरम कर फिर उसमें 5 कपूर की टिकिया मिला दे या तेल में अच्छे से कपूर मिक्स हो जाये इसलिए इसका पाउडर बना कर डाले तो ठीक होगा।  इस तेल को एक बोतल मे रख ले। कुछ दिन मे तेल मे से लाल रंग नीचे बैठ जाएगा। उसके बाद उसे दूसरी शीशी मे डाल ले।


प्रयोग विधि :

  • अधिक गुणकारी बनाने के लिए इस साफ तेल मे 25 ग्राम दालचीनी का मोटा चूर्ण डाल दे। जो कायफल का चूर्ण तेल छानने के बाद बच जाए उसी को हल्का गरम करके उसी से सेके। उसे फेकने की जरूरत नहीं। हर रोज उसी से सेके।
  • जहां पर भी दर्द हो इसे हल्का गरम करके धीरे धीरे मालिश करें। मालिश करते समय हाथ का दबाव कम रखें। उसके बाद सेक जरूर करे।
  • बिना सेक के लाभ कम होता है। मालिस करने से पहले पानी पी ले। मालिश और सेक के 2 घंटे बाद तक ठंडा पानी न पिए।