• मूली का रंग सफेद होता है। इसका स्वाद तीखा होता है।मूली गाजर की तरह जमीन के भीतर कन्दरूप में पैदा होती है। मूली के पत्ते नए सरसों के पत्तों के समान, फूल-सफेद सरसों के फूलों के आकार के और फल भी सरसों ही के समान परन्तु उससे कुछ मोटे होते हैं। इसके बीज सरसों से बड़े होते हैं। मूली की तासीर खाने में सर्द, गर्म (उष्ण) और ठंडी होती है। मूली के बीजों में उड़नशील तेल होता है। कन्द में आर्सेनिक 0.1 मिलीग्राम प्रति 100 ग्राम में रहता है। मूली तथा बीज में स्थिर तेल भी पाया जाता है। वैज्ञानिक विश्लेषणों के अनुसार मूली में प्रोटीन, कार्बोहाइड्रेट, कैल्शियम, फॉस्फोरस और आयरन है। इसमें विटामिन-A, विटामिन-B, पोटैशियम और सूक्ष्म मात्रा में तांबा भी होता है। मूली कच्ची खाई जाती है। मूली और मूली के पत्तों का साग भी बनता है। मूली के पत्तों में बेसन मिलाकर स्वादिष्ट तरकारी भी बनाते हैं। मूली के बीजों से तेल निकलता है। भोजन के मध्य में कच्ची मूली खाने से भोजन करने में रुचि बढ़ती है। मूली के गोलाकार टुकड़े कर थोड़ा-सा नमक छिड़ककर सुबह के समय रोटी के साथ खाना लाभदायक है।
  • मूली तिल्ली (प्लीहा) के रोगियों के लिए लाभदायक है। शीतकाल में मूली उत्तेजक, पाचन और पोषण करने वाली है। मूली के पत्ते या उसका रस सेवन करना लाभकारी है। अग्निमांद्य (भूख का कम लगना), अरुचि , अफारा (पेट फूलना) , स्त्रियों को मासिकस्राव में पीड़ा होना , पुरानी प्रमेह , पेशाब करने में कठिनाई ( मूत्रकृच्छ ) पथरी , हिचकी, सूजन, अपच , कफ-वात-ज्वर, श्वास (दमा), हिचकी और सूजन-इन समस्त रोगों में मूली लाभकारी है। पुरानी कब्ज में मूली का साग रोजाना खाने से लाभ होता है। मूली बुखार , श्वास (दमा) , नाक के रोग , गले के रोग और नेत्रों (आंखों) के रोगों को मिटाती है। मूली गैस, क्षय (टी.बी.) , खांसी, नाभि का दर्द, कफ, वात, पित्त और रुधिर (खून) के रोगों को दूर करती है। इसके अतिरिक्त पेट के कीड़े , फुंसियां , बवासीर और सभी प्रकार की सूजन में मूली उपयोगी है। आइये जानते है मूली से होने वाले फायदों के बारे में…

मूली के चमत्कारी फायदे :

  1. मधुमेह या डायबिटिज : मूली खाने से या इसका रस पीने से मधुमेह (डायबिटीज) में लाभ होता है। आधी मूली का रस दोपहर के समय मधुमेह (डायबिटीज) के रोगी को देने से लाभ होता है।
  2. पीलिया : एक कच्ची मूली रोजाना सुबह सोकर उठने के बाद ही खाते रहने से कुछ ही दिनों में ही पीलिया रोग ठीक हो जाता है। 125 मिलीलीटर मूली के पत्तों के रस में 30 ग्राम चीनी मिलाकर सुबह के समय रोगी को पिलाएं, इसे पीते ही लाभ होगा और 1 सप्ताह में रोगी को आराम मिल जाएगा। मूली में विटामिन `सी´, लौह, कैल्शियम, सोडियम, मैग्नेशियम और क्लोरीन आदि कई खनिज लवण होते हैं, जो लीवर (जिगर) की क्रिया को ठीक करते हैं। अत: पाण्डु (पीलिया) रोग में मूली का रस 100 से 150 मिलीलीटर की मात्रा में गुड़ के साथ दिन में 3 से 4 बार पीने से लाभ होता है। मूली का रस 10-15 मिलीलीटर 1 उबाल आने तक पकाएं। बाद में उतारकर 25 ग्राम खांड या मिश्री मिलाकर पिलाएं, साथ ही मूली और मूली का साग खिलाते रहने से पीलिया ठीक हो जाता है।
  3. मूत्राशय की पथरी : 30 से 35 ग्राम मूली के बीजों को आधा लीटर पानी में उबाल लें। जब पानी आधा शेष रह जाए तब इसे छानकर पीएं। यह प्रयोग कुछ दिनों तक करने से मूत्राशय की पथरी चूर-चूर होकर पेशाब के साथ बाहर आ जाएगी। यह प्रयोग 2 से 3 महीने निरन्तर जारी रखें। मूली का रस पीने से पित्ताशय की पथरी बनना बंद हो जाती है।
  4. पित्ताशय की पथरी  : मूली का 20 मिलीलीटर रस हर 4 घंटे में 3 बार रोजाना पीएं तथा इसके पत्ते चबा-चबाकर खाएं। इससे मूत्राशय की पथरी चूर-चूर होकर पेशाब के साथ बाहर आ जायेगी। यह प्रयोग 2-3 महीने करें। मूली का रस पीने से पित्ताशय की पथरी (गेल स्टोन) बनना बंद हो जाती है। 80 मिलीलीटर मूली के पत्तों के रस में 30 ग्राम अजमोद मिलाकर रोजाना पीने से पथरी गलकर निकल जाती है।
  5. सफेद दाग : 10 ग्राम मूली के बीजों को 20 ग्राम खट्टे दही में डालकर रख दें। 4 घंटे के बाद बीजों को पीसकर लेप करें। इससे श्वेत कुष्ठ (सफेद दाग) के व्रण (जख्म) समाप्त हो जाते हैं।
  6. बालों का बढ़ना : आधी से 1 मूली रोजाना दोपहर में खाना-खाने के बाद, कालीमिर्च के साथ नमक लगाकर खाने से बालों का रंग साफ होते है और बाल लम्बे भी हो जाते हैं। इसका प्रयोग 3-4 महीने तक लगातार करें। 1 महीने तक इसका सेवन करने से कब्ज, अफारा और अरुचि (भोजन करने का मन न करना) में आराम मिलता है। अपने लिए फायदेमंद होने पर ही इसका प्रयोग चालू रखें। ध्यान रहे मूली जिसके लिए फायदेमंद हो उन्हें ही इसका प्रयोग करना चाहिए।
  7. खांसी : बच्चों को जब श्वास (सांस का रोग) या दमा हो जाए या पसली चलने लगे तो मूली के बीज और काकड़ासिंगी को समान मात्रा में लेकर चूर्ण बना लें। इस चूर्ण का लगभग 1 ग्राम का चौथा भाग लेकर घी और शहद के साथ मिलाकर बच्चे को चटाने से खांसी में लाभ मिलता है।
  8. बहरापन : मूली का रस निकालकर उसमें उस रस की मात्रा का चौथाई हिस्सा तिल का तेल मिलाकर आग पर पकाने के लिए रख दें। जब पकने पर केवल तेल बाकी रह जाये तो इस तेल को आग पर से उतारकर छान लें। इस तेल को दिन में 2 बार 3 से 4 बूंदे कान में डालने से बहरापन दूर हो जाता है।
  9. कमरदर्द : 100 मिलीलीटर मूली के पत्तों के रस में 100 ग्राम चीनी मिलाकर 7 दिनों तक रोगी को पिलायें। इससे कमर दर्द में आराम मिलता है।
  10. आमाशय (पेट) का जख्म : मूली के रस में नमक मिलाकर पीने से भी आमाशय में लाभ होता है।
  11. पेट की गैस बनना : मूली और नमक को मिलाकर चटनी बना लें। इस चटनी को खाने से या कच्ची मूली का अचार खाने से गैस, अग्निमान्द्य (भोजन का न पचना), अरुचि (भोजन का अच्छा न लगना) और पुरानी कब्ज में आराम देता है। मूली के रस में नींबू का रस मिलाकर पीने से भोजन के बाद पेट में होने वाला दर्द और गैस दूर हो जाती है। भोजन के साथ मूली पर नमक, कालीमिर्च डालकर 2 महीने तक रोजाना खाने से पेट की गैस में आराम मिलता है।
  12. मासिक-धर्म की रुकावट, अनियमितता व परेशानियां : मूली के बीजों के चूर्ण को 3 ग्राम की मात्रा में स्त्री को देने से मासिक-धर्म की रुकावट दूर होती है और मासिक-धर्म साफ होता है।
  13. बवासीर : मूली कच्ची खाएं तथा इसके पत्तों की सब्जी बनाकर खाएं। कच्ची मूली खाने से बवासीर से गिरने वाला रक्त (खून) बंद हो जाता है। बवासीर खूनी हो या बादी 1 कप मूली का रस लें। इसमें एक चम्मच देशी घी मिला लें। इसे रोजाना दिन में 2 बार सुबह-शाम पीने से लाभ होता है। मूली के छोटे-छोटे टुकड़े करके उसे देशी घी में तलकर रोजाना सुबह-शाम खाने से दोनों प्रकार की बवासीर ठीक हो जाती हैं। सूखे हुए मूली के पत्तों का चूर्ण बनाकर उसमें मिश्री मिलाकर प्रतिदिन खाने से बवासीर ठीक होता है। 
  14. खूनी बवासीर : मूली का रस निकालकर इसके 20 मिलीलीटर रस में 5 ग्राम घी मिलाकर रोजाना सुबह-शाम पीने से खून का निकलना बंद हो जाता है।
  15. दाद : मूली के बीजों को नींबू के रस में पीसकर गर्म करके दाद पर लगाएं। पहले दिन लगाने पर जलन व दर्द होगा, दूसरे दिन यह दर्द कम होगा। ठीक होने पर कोई कष्ट नहीं होगा। यह प्रयोग सूखी या गीली दोनों प्रकार के दाद में लाभदायक है।
  16. एसिडिटी : 2 चम्मच मूली के रस में थोड़ी-सी मात्रा में मिश्री मिलाकर सेवन करने से खट्टी डकारों से छुटकारा मिल जाता है। मूली को काटकर सेंधानमक लगाकर खाली पेट सुबह के वक्त खाने से लाभ होता है, ध्यान रहें कि खांसी की शिकायत हो, तो मूली का इस्तेमाल बिल्कुल भी नहीं करना चाहिए क्योंकि यह उस समय हानिकारक होगी।
  17. नकसीर : अगर रोगी की नाक से ज्यादा खून बह रहा हो तो 30 ग्राम कच्ची मूली के रस में मिश्री मिलाकर रोगी को पिलाने से आराम आता है।
  18. चेहरे की झांई : ताजी मूली के टुकडे़ पीसकर निचोड़ लें और एक कपड़े में छानकर रस निकाल लें। इस रस में बराबर मात्रा में मक्खन मिला लें। अब लोशन (लेप) तैयार है। नहाने से पहले रोजाना चेहरे पर इस लोशन का लेप कीजिए। इससे जल्दी ही त्वचा में निखार आ जाता है।
  19. उच्चरक्तचाप : मूली का नियमित सेवन करने से उच्च रक्तचाप में लाभ पहुंचता है। उच्च रक्तचाप (हाई ब्लड प्रेशर) से पीड़ित स्त्री-पुरूष को मूली के सलाद व रस का रोजाना सेवन करना चाहिए। इस रोग में मूली के कोमल पत्ते चबाकर खाने से भी बहुत लाभ होता है।
  20. त्वचा के रोग : मूली के पत्तों का रस त्वचा पर लगाने से त्वचा के सारे रोग ठीक हो जाते हैं।
  21. हाथ-पैरों की ऐंठन : मूली के पत्तों का रस निकालकर मालिश करने से हाथ-पैरों की ऐंठन में लाभ मिलता है।
  22. सिर का दर्द : मूली और सिरस के बीजों के रस को सिर दर्द के रोगी को सुंघाने से सिर के दर्द के साथ ही साथ आधासीसी (आधे सिर का दर्द) का दर्द भी खत्म हो जाता है। मूली के टुकड़ों को बारीक पीसकर दिन में कई बार सुंघाने से सिर के कीड़ों की वजह से होने वाला सिर का दर्द ठीक हो जाता है।
  23. कान का दर्द : मूली के पत्तों को पीसकर उसका रस निकाल लें। इसके 50 मिलीलीटर रस को मिलीलीटर ग्राम तिल के तेल में काफी देर तक पका लें। पकने पर रस पूरी तरह से जल जाये तो उस तेल को कपड़े में छानकर शीशी में भरकर रख लें। कान में दर्द होने पर इस तेल को गुनगुना करके कान में डालने से कान का दर्द ठीक हो जाता है।
  24. अजीर्ण (पुरानी कब्ज, अपच) : मूली के ताजे मुलायम पत्तों को काटकर, उसमें बारीक अदरक काटकर डालें, ऊपर से नींबू का रस निचोड़े और नमक डालकर खायें। इससे अजीर्ण (पुरानी कब्ज, भूख न लगना) का रोग दूर हो जाता है। 100 मिलीलीटर मूली के पत्तों का रस और 10-10 ग्राम नींबू और अदरक के रस में स्वादानुसार सेंधानमक मिलाकर पीने से अजीर्ण रोग मिट जाता है।
  25. कब्ज : मूली व उसके पत्तों को काटकर, उसमें प्याज, खीरा या ककड़ी और टमाटर कुतरकर मिला लें। इस प्रकार तैयार हुए सलाद में 5-10 बूंद सरसों का तेल भी मिला सकते हैं। भोजन के साथ रोजाना इस प्रकार तैयार किया हुआ सलाद जो पूरे भोजन का एक तिहाई ही होता है, को खाने से कब्ज दूर होती है। मूली का साग या ताजी मुलायम मूलियों को पत्तों सहित खाने या मूली का अचार खाने से कब्ज मिट जाती है।
  26. यकृत (जिगर) की कमजोरी: 1 ग्राम मूली के रस को छाछ (मट्ठे) के साथ और शाम के समय ताजे पानी के साथ लेने से जिगर की कमजोरी दूर होती है और वह अपना काम अच्छी तरह से करने लगता है।
  27. यकृत शोथ (सूजन): 25 मिलीलीटर मूली के रस और मकोय के रस को मिलाकर इसमें 1 ग्राम सोंठ का चूर्ण मिलाकर रोगी को पिलाने से यकृत (जिगर) की सूजन ठीक हो जाती है।
  28. यकृत वृद्धि: 50 मिलीलीटर मूली के रस में 10 मिलीलीटर घीक्वार का रस मिलाकर पिलाने से यकृत वृद्धि (जिगर का बढ़ना) दूर हो जाती है।
  29. तिल्ली का बढ़ना (प्लीहा वृद्धि) : मूली के जड़ों को छोटे-छोटे टुकड़े में काटकर उसे सिरका में डालकर उसमें आवश्यकतानुसार भुना जीरा, नमक और कालीमिर्च मिलाकर 1 सप्ताह धूप में रखकर अचार बना लें। रोजाना सुबह 25 ग्राम इस अचार को खाने से प्लीहा वृद्वि (तिल्ली का बढ़ना) दूर हो जाती है।
  30. श्वास (दमा) : 40-40 ग्राम रसवत और कलमी शोरा लेकर 1 बोतल मूली के रस में पीसकर सूखी करके बेर के बराबर आकार की गोलियां बनाकर सुखा लें। सुबह-शाम 2 से 3 गोली ताजे पानी के साथ सेवन करने से श्वास (दमा) और खांसी में बहुत लाभ होता है। 20 ग्राम सूखी मूली को पीसकर लगभग 470 मिलीलीटर पानी में उबालें, जब यह एक चौथाई शेष बचे तो इसे पीने से श्वास (दमा) में निश्चित रूप से फायदा होता है।
  31. लकवा : मूली का 20 से 40 मिलीलीटर तेल लकवा रोग में दिन में 3 बार पीने से लाभ होता है।
  32. सिध्म कुष्ठ (कोढ़) : मूली के 10-20 ग्राम बीज बहेड़ा के पत्तों के रस में पीसकर शरीर में कोढ़ वाले स्थान पर लगाने से लाभ होता है।
  33. गठिया वात (जोड़ों का दर्द) : मूली के रस में 10-12 बूंद लहसुन का रस मिलाकर दिन में 2-3 बार रोगी को पिलाने से जोड़ों के दर्द में लाभ होता है।
  34. मोटापा दूर करना : मूली के 100-150 मिलीलीटर रस में नींबू का रस मिलाकर दिन में 2 से 3 बार पीने से मोटापा कम होता है। 6 ग्राम मूली के बीजों के चूर्ण को 1 ग्राम यवक्षार के साथ खाकर ऊपर से शहद और नींबू का रस मिला हुआ एक गिलास पानी पीने से शरीर की चर्बी घटती है। 
  35. पेट की चर्बी गलाएँ : 6 ग्राम मूली के बीजों के चूर्ण को 20 ग्राम शहद में मिलाकर खा लें, फिर ऊपर से लगभग 20 ग्राम शहद मिलाकर बनी शर्बत बनाकर 40 दिनों तक पीने से मोटापा कम होता है। मूली के चूर्ण को रोजाना शहद या शर्बत के साथ पीने से मोटापा कम हो जाता है। 3 से 6 ग्राम मूली के चूर्ण को शहद मिले पानी में मिलाकर सुबह-शाम पीने से मोटापे की बीमारी से छुटकारा मिलता है।
  36. पेशाब में जलन : कोई तीखी जलनयुक्त पदार्थ खा लेने या गर्मी के कारण जलन और दर्द के साथ बूंद-बूंद पेशाब आने की अवस्था में कालीमिर्च और नमकयुक्त मूली का अचार खाने से और मूली पीसकर 1 ग्राम कलमी शोरा मिलाकर पेडू पर लेप करने से मूत्रदाह (पेशाब करने में परेशानी) का रोग दूर हो जाता है।
  37. पाचन : मूली का प्रयोग भोजन से पहले नहीं करना चाहिए क्योंकि यह पाचन में भारी है और भोजन के बाद खाने से भोजन को पचाती है।
  38. यकृत, प्लीहा रोग : मूली के 4 टुकड़े करके चीनी मिट्टी के बर्तन रखे, फिर इसमें 6 ग्राम पिसा नौसादर छिड़ककर रात को ओस में रख दें। सुबह जो पानी निकले उसको पीकर ऊपर से मूली की फांके खा लें, ऐसा करने से 7 दिनों में यकृत (जिगर), प्लीहा (तिल्ली) का रोग कट जाता है।
  39. खूनी बवासीर (रक्त अर्श) : मूली के कन्दों का ऊपर का सफेद मोटा छिलका उतारकर तथा पत्तों को अलगकर रस निकाल लें, इसमें 6 ग्राम घी मिलाकर रोजाना सुबह-सुबह सेवन करने से खूनी बवासीर दूर हो जाती है। 10 ग्राम फिटकरी को 1 लीटर मूली के रस में उबाल लें इसके गाढ़ा होने पर बेर के समान गोलियां बना लें। एक गोली मक्खन के साथ खाकर 125 ग्राम दही पिलाएं। इससे खूनी बवासीर में आराम मिलता है।
  40. वृक्क (गुर्दे) विकार : गुर्दे की खराबी से यदि पेशाब बनना बंद हो जाये तो मूली का 20-40 मिलीलीटर रस दिन में 2 से 3 बार पीने से पेशाब फिर से बनने लगता है। मूली के पत्तों के 10 से 20 मिलीलीटर रस में 1-2 ग्राम कलमीशोरा का रस मिलाकर रोगी को पिलाने से पेशाब साफ आता है। गुर्दे के दर्द में 10 ग्राम कलमीशोरा को 120 मिलीलीटर मूली के रस में घोंटकर रस सुखा दें। फिर इसकी गोलियां बनाकर 1-2 गोली दिन में 2 बार सेवन करने से मूत्राघात (पेशाब में धातु का आना) दूर हो जाता है।
  41. पाचनशक्तिवर्द्धक : कोमल मूली के काढ़े में पीपर का चूर्ण मिलाकर सेवन करने से पाचनशक्ति बढ़ती है और अपच (भोजन न पचना) या दस्त को बंद कर देता है।  
  42. पाचन क्रिया : पेट में जलन हो, अफारा (गैस) पीड़ित करता हो, खट्टी डकारें आती हो, अम्ल और पित्त का जोर हो तो मूली का सेवन करना चाहिए। मूली पाचन शक्ति बढ़ाती है और बदहजमी दूर करती है। भोजन के साथ मूली और नींबू के रस से बना सलाद खाने से पाचन क्रिया (भोजन पचाने की क्रिया) तेज होती है।
  43. आंतों के कीडे़ और सूजन : 50 ग्राम मूली के रस में सेंधानमक और कालीमिर्च का चूर्ण मिलाकर रोजाना सुबह-शाम पीने से आंत्रकृमि (आंत के कीड़े) नष्ट होते हैं।
  44. गले के रोग : 150 मिलीलीटर मूली के रस में 5 ग्राम नमक मिलाकर गर्म करके गरारे करने से गले के रोगों में आराम मिलता है।
  45. बच्चे की यकृत-प्लीहा-वृ़द्धि : 3 से 6 मिलीलीटर मूली का ताजा रस यवक्षार तथा शहद के साथ दिन में 2 बार बच्चे को देने से जिगर, प्लीहा (तिल्ली) बढ़ना कम हो जाता है।

मूली के अन्य फायदे :

  1. मूली शरीर से कार्बन डाइऑक्साइड को निकालकर जीवनदायी ऑक्सीजन पैदा करती है।
  2. मूली में विटामिन-ए पाया जाता है, जो आंखों की रोशनी को बढ़ाता है। इसके नियमित प्रयोग से चश्मे का नंबर कम हो जाता है और चश्मा उतर भी जाता है।
  3. मूली के सोडियम और क्लोरीन तत्त्व मल को आसानी से निकालने में सहायक होते हैं। मूली में पाया जाने वाला मैग्नीशियम पाचन-क्रिया को नियमित करता है। गंधकीय तत्व चर्म (त्वचा) रोगों से छुटकारा दिलाते हैं।
  4. मूली में काफी मात्रा में लौह-तत्व मौजूद होते हैं, जो खून को साफ करते हैं। खून साफ होने से शरीर में प्राकृतिक निखार आता है। नाखूनों में लाली आ जाती है और चेहरा गुलाबी आभा से चमकने लगता है।
  5. मूली में कैल्शियम प्रचुर मात्रा मे पाया जाता है, जिससे हडि्डयां और दांत मजबूत हो जाते हैं।
  6. मूली शरीर की शुष्कता (सूखापन) को दूर करती है। जठराग्नि (भूख को बढ़ाती) प्रदीप्त करती है और पेट की गर्मी को दूर करती है। मूली के सेवन से मुंह के छाले ठीक हो जाते हैं।
  7. चेहरे के मुंहासे, कील, झांईयां और दाग कम करने में मूली का बड़ा सहयोग रहता है।
  8. मूली खांसी और दमे में लाभदायक है, लेकिन इसको खाने के बाद पानी नहीं पीना चाहिए।
  9. मूली के 5 ग्राम बीज मक्खन के साथ सुबह के समय 1 महीने तक नियमित रूप से लेंने से पौरुष ताकत बढ़ती हैं।
  10. जोड़ों में दर्द हो या कंधे और घुटने में दर्द हो तो मूली का सेवन करने से जकड़न भी खुल जाती है।
  11. शरीर के किसी ऊपरी भाग मे सूजन आ गई हो तो मूली का रस गर्म करके लगाने से लाभ होता है।
  12. गुर्दे की बीमारी में मूली लाभदायक हैं। मूली के सेवन से पेशाब सम्बंधी बीमारियां, जैसे रूक-रूककर पेशाब आना, उसमें जलन होना आदि रोग दूर होते हैं।
  13. मूली के रस से सिर को धोने से लीखें और जुएं समाप्त हो जाती हैं।
  14. डायबिटीज के रोगियों के लिए मूली काफी लाभकारी है।
  15. कान की सुनने की शक्ति कमजोर हो गई हो, तो मूली के रस में नींबू का रस मिला लें और उसे गुनगुना करके कान में डालें और उल्टा लेट जाएं, ताकि कान की सिंकाई के बाद रस बाहर निकल जाए। इससे कान का मैल बाहर आ जाएगा और साफ सुनाई देने लगेगा।
  16. कान में दर्द हो तो मूली के पत्ते सरसों के तेल में उबाल लें। इस रस की 2-2 बूंदे कान में टपकाने से दर्द अवश्य शांत होगा।
  17. मूली को उबालकर खाने से गर्भ मे स्थिरता आती है और ग-र्भपात नहीं होता है।

मूली के हानिकारक प्रभाव :

  • खाली पेट मूली खाने से छाती में दाह (जलन) होती है और पित्त उत्तेजित होता है। शरद ऋतु (सर्दी के मौसम में) में मूली का सेवन लाभदायक नहीं है। मूली खाकर ऊपर से दूध पीना नहीं चाहिए। रात को मूली नहीं खानी चाहिए।