नागफनी को संस्कृत भाषा में वज्रकंटका कहा जाता है . इसका कारण शायद यह है कि इसके कांटे बहुत मजबूत होते हैं . पहले समय में इसी का काँटा तोडकर कर्णछेदन कर दिया जाता था .इसके Antiseptic होने के कारण न तो कान पकता था और न ही उसमें पस पड़ती थी . कर्णछेदन से hydrocele की समस्या भी नहीं होती। नागफनी फल का हिस्सा flavonoids, टैनिन, और पेक्टिन से भरा हुआ होता है नागफनी के रूप में इसके अलावा संरचना में यह जस्ता, तांबा, पोटेशियम, आयरन, मैग्नीशियम, कैल्शियम, फास्फोरस, मोलिब्डेनम और कोबाल्ट शामिल है।
नागफनी, स्वाद में कड़वी और स्वाभाव में बहुत उष्ण होती है। यह पेट के अफारे को दूर करने वाली, पाचक, मूत्रल, विरेचक होती है। औषधीय प्रयोग के लिए इसके पूरे पौधे को प्रयोग किया जाता है।  कुक्कर खांसी, में इसके फल को भुन कर खाने से लाभ होता है। इसके फल से बना शरबत पिने से पित्त विकार सही होता है। नागफनी का पौधा पशुओं से खेतों की रक्षा ही नहीं करता बल्कि रोगों से हमारे शरीर की भी रक्षा करता है।

➡ नागफनी के 20 चमत्कारिक गुण :

  1. इसमें विरेचन की भी क्षमता है . पेट साफ़ न होता हो तो इसके ताज़े दूध की 1-2 बूँद बताशे में डालकर खा लें ; ऊपर से पानी पी लें।
  2. कान के सर्द में इसकी १-२ बूँद टपकाने से लाभ होता है।
  3. आँखों की लाली ठीक करनी हो तो इसके बड़े पत्ते के कांटे साफ करके उसको बीच में से फाड़ लें . गूदे वाले हिस्से को कपडे पर रखकर आँख पर बाँधने से आँख की लाली ठीक हो जाती है।
  4. अगर सूजन है , जोड़ों का दर्द है , गुम चोट के कारण चल नहीं पाते हैं तो , पत्ते को बीच में काटकर गूदे वाले हिस्से पर हल्दी और सरसों का तेल लगाकर गर्म करकर बांधें . 4-6 घंटे में ही सूजन उतर जायेगी।
  5. Hydrocele की समस्या में इसी को लंगोटी में बांधें।
  6. कान में परेशानी हो तो इक्का पत्ता गर्म करके दो-दो बूँद रस डालें।
  7. इसके लाल और पीले रंग के फूल होते हैं . फूल के नीचे के फल को गर्म करके या उबालकर खाया जा सकता है यह फल स्वादिष्ट होता है ।यह पित्तनाशक और ज्वरनाशक होता है।
  8. अगर दमा की बीमारी ठीक करनी है तो इसके फल को टुकड़े कर के , सुखाकर ,उसका काढ़ा पीयें . इस काढ़े से साधारण खांसी भी ठीक होती है ।
  9. ऐसा माना जाता है की अगर इसके पत्तों के 2 से 5 ग्राम तक रस का सेवन प्रतिदिन किया जाए तो कैंसर को रोका जा 
  10. लीवर, spleen बढ़ने पर , कम भूख लगने पर या ascites होने पर इसके 4-5 ग्राम रस में 10 ग्राम गोमूत्र , सौंठ और काली मिर्च मिलाएं। इसे नियमित रूप से लेते रहने से ये सभी बीमारियाँ ठीक होती हैं।
  11. श्वास या कफ के रोग हैं तो एक भाग इसका रस और तीन भाग अदरक का रस मिलाकर लें।
  12. इसके पंचाग के टुकड़े सुखाकर , मिटटी की हंडिया में बंद करके फूंकें . जलने के बाद हंडिया में राख रह जाएगी । इसे नागफनी का क्षार कहा जाता है । इसकी 1-2 ग्राम राख शहद के साथ चाटने से या गर्म पानी के साथ लेने से हृदय रोग व सांस फूलने की बीमारी ठीक होती है। घबराहट दूर होती है । इससे मूत्र रोगों में भी लाभ मिलता है। श्वास रोगों में भी फायदा होता है।
  13. नागफनी सूजन, कब्ज, निमोनिया और कई अन्य रोगों के उपचार में प्रयोग किया जाता है।
  14. इसे आंतरिक और बाह्य दोनों तरह से इस्तेमाल किया जाता है। किसी भी मामले में, इसे प्रयोग करने से पहले कांटों को हटा देना बहुत ही आवश्यक है।
  15. निमोनिया में पौधे के छोटे-छोटे टुकड़ों काट, उबाल कर, जो एक्सट्रेक्ट मिलाता है उसे एक दिन में दो बार 2 मिलीलीटर की मात्रा में, पांच दिनों के लिए दिया जाता है।
  16. सूजन, गठिया – पौधे का तना लें और कांटा निकाल दें। इसे बीच से फाड़ कर हल्दी और सरसों का तेल डाल कर गर्म करें और प्रभावित जगह पर बाँध लें।
  17. IBS, कोलाइटिस, प्रोस्टेट ग्रंथि की सूजन- फूल का प्रयोग किया जाता है।
  18. कब्ज- बताशे/ चीनी/मिश्री पर लेटेक्स से केवल कुछ बूंदें डाल कर लें।
  19. सामान्य सूजन हो ,सूजन से दर्द हो uric acid बढ़ा हुआ हो, या arthritis की बीमारी हो . इन सब के लिए नागफनी की 3-4 ग्राम जड़ + 1gm मेथी +1 gm अजवायन +1gm सौंठ लेकर इनका काढ़ा बना लें और पीयें।
  20. नागफनी के मोटे कांटेदार पत्तों से कांटे अलग कर लें। कांटों को खड्डे मिट्टी में गाढा दें, क्योंकि कांटे तेज नुकीले होते हैं। नांगफली से कांटें निकालने के बाद हल्की आंच में उबाल लें। पानी पूरी तरह से सूख जाने के बाद ठंड़ा हल्का होने दें। फिर उसमें जैतून तेल, कच्ची हल्दी, लहसुन कलियां मिलाकर फिर हल्की आंच में पकायें। ठंड़ हल्का गुनगुना होने पर गठिया दर्द सूजन वाली जगह पर पेस्ट कर मालिश करें। सूजन वाले अंगों पर पट्टी के साथ मल कर बांध दें। यह नागफनी औषधी तेजी से गठिया दर्द ठीक करने में सहायक है। इस तरह से नागफनी गठिया सूजन दर्द से तुरन्त आराम निजात दिलाने में सक्षम है।

कृपया ये सावधानी रखे 

इसका दूध आँख में नहीं गिरना चाहिए, यह अंधापन ला सकता है।