हमारे देश में अनार का पेड़ सभी जगह उगाया जाता है। अफगानिस्तान और भारत के उत्तरी भाग में पैदा होने वाले अनार बहुत रसीले और अच्छी किस्म के होते हैं। अनार के पेड़ कई शाखाओं से युक्त लगभग 6 मीटर ऊंचे होते हैं।

  • इसकी छाल चिकनी, पतली, पीली या गहरे भूरे रंग की होती है। इसके पत्ते कुछ लंबे व कम चौड़े होते हैं तथा फूल नारंगी व लाल रंग के, कभी-कभी पीले 5-7 पंखुड़ियों से युक्त एकल या 3-4 के गुच्छों में होते हैं। अनार के फल गोलाकार, लगभग 2 इंच व्यास का होता है। 
  • इसके फल का छिलका हटाने के बाद सफेद, लाल या गुलाबी रंग के रसीले दाने होते हैं। रस की दृष्टि से यह फल मीठा, खट्टा-मीठा और खट्टा तीन प्रकार का होता है। अनार का केवल फल ही नहीं बल्कि इसका पेड़ भी औषधीय गुणों से भरपूर होता है। फल की अपेक्षा कली व छिलके में अधिक गुण पाये जाते हैं।

दुनिया में छह-सात करोड़ लोग इस बीमारी से ग्रस्त हैं और प्रत्येक वर्ष 25 से 30 लाख लोगों की इससे मौत हो जाती है। देश में हर तीन मनट में दो मरीज क्षयरोग के कारण दम तोड़ दे‍ते हैं।

आवश्यक सामग्री :

  1. अनार के 200 मिलीलीटर रस
  2. 40 ग्राम छोटी पीपल का चूर्ण
  3. 40 ग्राम जीरे का चूर्ण
  4. 40 ग्राम सोंठ का चूर्ण
  5. 40 ग्राम दालचीनी का चूर्ण
  6. 10 ग्राम शुद्ध केसर 
  7. 200 ग्राम उत्तम पुराना गुड़
  8. 10 ग्राम इलायची का चूर्ण 

बनाने की विधि :

    • पके हुए स्वादिष्ट अनार के 200 मिलीलीटर रस में 40 ग्राम छोटी पीपल का चूर्ण, 40 ग्राम जीरे का चूर्ण, 40 ग्राम सोंठ का चूर्ण, 40 ग्राम दालचीनी का चूर्ण और 10 ग्राम शुद्ध केसर डालकर 200 ग्राम उत्तम पुराना गुड़ मिलाएं।
    •  सबको एकत्र करके जलाकर उसमें 10 ग्राम इलायची का चूर्ण डालें और 5-5 ग्राम वजन की गोलियां बनाएं फिर रोज सुबह-शाम 250 मिलीलीटर दूध के साथ अपनी पाचन शक्ति के अनुसार लेना चाहिए। इससे टी.बी का रोग नष्ट हो जाता है।
    • यदि कमजोरी अधिक हो, परन्तु दस्त और खांसी न हो तो, ताजे अनार का रस जितना पी सकें पिलायें। इससे टी.बी का रोग नष्ट हो जाता है।
    • यदि खांसी हो तो अनार का रस 2-2 चम्मच दिन में 3-4 बार पिलायें।

    हानिकारक :

             सभी प्रकार के अनार शीत प्रकृति वालों के लिए हानिकारक होते हैं। मीठा अनार बुखार वालों को, खट्टा और फीका अनार सर्द मिजाज वालों के लिए हानिकारक हो सकता है।