फाइलेरिया रोग, जिसे हाथी पांव या फील पांव भी कहते हैं, (Elephantiasis) में अक्सर हाथ या पैर बहुत ज्यादा सूज जाते हैं। इसके अलावा फाइलेरिया रोग से पीड़ित व्यक्ति के कभी हाथ, कभी अंडकोष, कभी स्तन आदि या कभी अन्य अंग भी सूज सकते हैं। आम बोलचाल की भाषा में हाथीपांव (HathipaonHathipaon) भी कहा जाता है।

  • इस कृमि का स्थायी स्थान लसीका वाहिनियाँ (Lymphatic vessels) हैं, परंतु ये निश्चित समय पर, विशेषतः रात्रि में रक्त में प्रवेश कर शरीर के अन्य अंगों में फैलते हैं।
  • कभी कभी ये ज्वर तथा नसों में सूजन उत्पन्न कर देते हैं। यह सूजन घटती बढ़ती रहती है, परंतु जब ये कृमि लसीका तंत्र की नलियों के अंदर मर जाते हैं, तब लसीकावाहिनियों का मार्ग सदा के लिए बंद हो जाता है और उस स्थान की त्वचा मोटी तथा कड़ी हो जाती है।

लसीका वाहिनियों के मार्ग बंद हो जाने पर कोई भी औषधि अवरुद्ध लसीकामार्ग को नही खोल सकती। कुछ रोगियों में ऑपरेशन (Surgery) द्वारा लसीकावाहिनी का नया मार्ग बनाया जा सकता है।

फाइलेरिया के लक्षण :

  1. एक या ज़्यादा हाथ व पैरों में (ज़्यादातर पैरों में) सूजन
  2. कॅपकॅपी के साथ बुखार आना
  3. गले में सूजन आना
  4. गुप्तांग एवं जॉघो के बीच गिल्ठी होना तथा दर्द रहना
  5. पुरूषों के अंडकोष में सूजन (हाइड्रोसिल) होना
  6. पैरों व हाथों की लसिका वाहिकाएं लाल हो जाती हैं

फाइलेरिया होने के कारण :

  • जिन क्षेत्रों में फाइलेरिया आम बात होती है उन क्षेत्रों में ज्यादा समय तक रहने से संक्रमण का खतरा बढ़ जाता है। ​

फाइलेरिया के 5 घेरलू उपाय :

  1. लौंग (Laung or Clove)- लौंग फाइलेरिया के उपचार के लिए बहुत प्रभावी घरेलू नुस्खा है। लौंग में मौजूद एंजाइम परजीवी के पनपते ही उसे खत्म कर देते हैं और बहुत ही प्रभावी तरीके से परजीवी को रक्त से नष्ट कर देते हैं। रोगी लौंग से तैयार चाय का सेवन कर सकते हैं।
  2. काले अखरोट का तेल (Black walnut oil)- काले अखरोट के तेल को एक कप गर्म पानी में तीन से चार बूंदे डालकर पिएं। इस मित्रण को दिन में दो बार पिया जा सकता है। अखरोट के अंदर मौजूद गुणों से खून में मौजूद कीड़ों की संख्या कम होने लगती है और धीरे धीरे एकदम खत्म हो जाती है। जल्द परिणाम के लिए कम से कम छह हफ्ते प्रतिदिन इस उपाय को करें।
  3. भोजन (Food)- फाइलेरिया के इलाज के लिए अपने रोज के खाने में कुछ आहार जैसे लहसुन, अनानास, मीठे आलू, शकरकंदी, गाजर और खुबानी आदि शामिल करें। इनमें विटामिन ए होता है और बैक्टरीरिया को मारने के लिए विशेष गुण भी होते हैं। 
  4. आंवला (Amla)- आंवला में विटामिन सी प्रचुर मात्रा में होता है। इसमें एन्थेलमिंथिंक (Anthelmintic) भी होता है जो कि घाव को जल्दी भरने में बेहद लाभप्रद है। आंवला को रोज खाने से इंफेक्शन दूर रहता है।
  5. अदरक (Ginger)- फाइलेरिया से निजात के लिए सूखे अदरक का पाउडर या सोंठ का रोज गरम पानी से सेवन करें। इसके सेवन से शरीर में मौजूद परजीवी नष्ट होते हैं और मरीज को जल्दी ठीक होने में मदद मिलती है।