• नागरमोथा पूरे भारत में नमी तथा जलीय क्षेत्रों में अधिक मात्रा में पाये जाते हैं। इसके झाड़ीनुमा पौधे समुद्र तल से 6 हजार फुट की ऊंचाई तक पाये जाते हैं।
  •  नागरमोथा नदी और नालों के किनारे की नमी वाली भूमि में पैदा होते हैं। पुष्प (फूल) जुलाई में तथा फल दिसम्बर के महीने में आते हैं।

दवा बनाने की विधि: 

  • दमा, खांसी : नागरमोथा, सोंठ और बड़ी हरड़ के चूर्ण में गुड़ मिलाकर खाने से दमा और खांसी नष्ट हो जाती है।
  • सोंठ, हरड़ और नागरमोथा को पीसकर गुड़ में मिलाकर 2-2 ग्राम की मात्रा में गोलियां बनाकर रख लें। इन्हें चूसने से सभी प्रकार की खांसी और दमा नष्ट हो जाती है।
  • मिर्गी : नागरमोथा को उत्तर दिशा की तरफ से पुण्य नक्षत्र में अच्छे दिन में उखाड़कर एक रंग की गाय (जिस गाय के बछड़े न मरते हो) के दूध से पिलाने से मिर्गी में लाभ पहुंचता है