• इमली का पेड़ सम्पूर्ण भारतवर्ष में पाया जाता है। इसके अलावा यह अमेरिका, अफ्रीका और कई एशियाई देशों में पाया जाता है। इमली के पेड़ बहुत बड़े होते हैं। 8 वर्ष के बाद इमली का पेड़ फल देने लगता है। फरवरी और मार्च के महीनों में इमली पक जाती है। 
  • इमली शाक (सब्जी), दाल, चटनी आदि कई चीजों में डाली जाती है। इमली का स्वाद खट्टा होने के कारण यह मुंह को साफ करती है। पुरानी इमली नई इमली से अधिक गुणकारी होती है। इमली के पत्तों का शाक (सब्जी) और फूलों की चटनी बनाई जाती है। 
  • इमली की लकड़ी बहुत मजबूत होती है। इस कारण लोग इसकी लकड़ी से कुल्हाड़ी आदि के दस्ते भी बनाते हैं।

कितनी मात्रा मे ले:

  • इमली का लगभग 6 से 24 ग्राम फल का गूदा तथा 1 से 3 ग्राम बीज का चूर्ण लेना चाहिए।

क्या करे लू लगने पर:

  • इमली और पानी के लेप को हाथों और पैरों पर लगाने से जलन और सिर पर लगाने से बेहोशी दूर हो जाती है।
  • इमली को पानी में उबाल लें और इस पानी को छानकर 100 ग्राम की मात्रा में शर्बत की तरह लेने से लू से बचा जा सकता है। इमली के उबले हुए पानी में कपड़े को भिगोकर रोगी के ऊपर छींटे मारने से भी लू ठीक हो जाती है।
  • इसके फल के गूदे को ठण्डे पानी में पीसकर, मुण्डे हुए (गंजे) सिर पर लगाने से लू का असर और मूर्च्छा (बेहोशी) दूर हो जाती है।
  • पकी हुई इमली को पानी में मसलकर उस पानी में कपड़ा भिगोकर शरीर को कुछ देर तक पोंछने-फेरने से लू का असर मिटता है।

सावधान रहे: 

  • कच्ची इमली भारी, गर्म और अधिक खट्टी होती है। जिन्हें इमली अनुकूल नहीं होती है, उन्हें भी पकी इमली से दान्तों का खट्टा होना, सिरदर्द और जबडे़ में दर्द, सांस की तकलीफ, खांसी और बुखार जैसे दुष्परिणाम हो सकते हैं।