राई कफ व पितनाशक, तेज, गर्म, रक्तपित्त करने वाली, कुछ रूक्ष और भूख को बढ़ाने वाली होती है। यह खुजली, कोढ़ और पेट के कीड़ों को खत्म करती है। काली राई में भी ऐसे ही गुण हैं।परन्तु इसका असर काफी तेज होता है। राई के पत्तों का साग गर्म, पित्तकारक, रुचिकर, वायु, कफ, कीड़े और गले के रोगों को दूर करता है।राई को ज्यादा खाने से नशा चढ़ता है। जठर को स्पर्श से दर्द महसूस न हो, ऐसा नर्म बनाती है। यह पेट के कीड़ों को बाहर निकालती है, खून को शुद्ध करती है और सर्दी और वायु सम्बन्धी रोगों को दूर करती है।

राई के गुण : 

  • सिर का दर्द : माथे पर राई का लेप लगाने से सिर के दर्द में राहत मिलती है।
  • मासिक धर्म की रुकावट : मासिक-धर्म की रुकावट में, मासिक-धर्म में दर्द होता हैं या स्राव कम होता हो, तब गुनगुने पानी में राई के चूर्ण को मिलाकर
  • स्त्री को कमर तक डूबे पानी में बिठाने से मासिक-धर्म की रुकावट में लाभ होता है।
  • सायटिका दर्द : वेदना (दर्द) के स्थान पर राई का लेप लगाने से सायटिका के दर्द में लाभ होता है।
  • अजीर्ण : राई को तेल लगाकर निगल जाने से पेट का दर्द दूर हो जाता है। 3 ग्राम राई का चूर्ण पानी के साथ खाने से पेट का दर्द और अजीर्ण (भूख न लगना) नष्ट हो जाता है।
  • मृतगर्भ (गर्भ में मरा हुआ बच्चा) : राई और हींग का 3 ग्राम चूर्ण स्टार्च (कांजी) के साथ रोगी को खिलाने से मृतगर्भ (मरा हुआ बच्चा) बाहर निकल जाता है
  • उल्टी कराने वाली औषधियां : 4 से 8 ग्राम राई को पीसकर पानी में घोल लें और रोगी को पिला दें। इसको रोगी को पिलाने से उल्टी होने लगेगी पर उल्टी होने के बाद उसे बिल्कुल भी थकावट महसूस नहीं होगी। यह इस औषधि की विशेषता है।
  • आधासीसी (माइग्रेन) अधकपारी : राई को पीसकर कनपटी पर लेप की तरह से लगाने से आधे सिर का दर्द निश्चित रूप से खत्म हो जाता है।
  • पौरुष शक्ति : 5-5 ग्राम राई, लौंग, 10 ग्राम दालचीनी को पीसकर 1-1 ग्राम सुबह-शाम दूध से लेने से पौरुष शक्ति बढ़ जाता है।
  • बिस्तर पर पेशाब करना : लगभग 1 ग्राम का चौथा भाग राई के चूर्ण को पानी के साथ बच्चे को खिलाने से बिस्तर पर पेशाब करने का रोग खत्म हो जाता है

इन बातों का ध्यान रखें : 

  • राई गर्म और पसीना लाने वाली होती है। इसका लेप लगाने से त्वचा लाल हो जाती है। 
  • राई थोड़ी मात्रा में लेने से जलन से आराम मिलता है। यह पाचन क्रिया को बढ़ाती है और शरीर में स्फूर्ति पैदा करती है। 
  • किन्तु राई को ज्यादा मात्रा में सेवन करने से उल्टी आने लगती है। राई ज्यादा गर्म होती है।
  •  मसाले के तौर पर इसका उचित मात्रा में ही उपयोग करना चाहिए।
  •  राई का ज्यादा उपयोग करने से जठर तथा आंतों में खराबी होने की शंका बनी रहती है।