अंजीर रंग सुर्ख और स्याह मिश्रित होता है। यह खाने में मीठा होता है। अंजीर के सेवन से मन प्रसन्न रहता है। यह स्वभाव को कोमल बनाता है।यकृत और प्लीहा (तिल्ली) के लिए लाभकारी होता है, कमजोरी को दूर करता है तथा खांसी को नाश करता है। वैज्ञानिक मतानुसार अंजीर के रासायनिक गुणों का विश्लेषण करने पर ज्ञात होता है कि इसके सूखे फल में कार्बोहाइड्रेट (शर्करा) 63 प्रतिशत, प्रोटीन 5.5 प्रतिशत, सेल्यूलोज 7.3 प्रतिशत, चिकनाई एक प्रतिशत, खनिज लवण 3 प्रतिशत, अम्ल 1.2 प्रतिशत, राख 2.3 प्रतिशत और जल 20.8 प्रतिशत होता है। इसके अलावा प्रति 100 ग्राम अंजीर में लगभग 1 ग्राम का चौथा भाग लोहा, विटामिन `ए´ 270 आई.यू., थोड़ी मात्रा में चूना, पोटैशियम, सोडियम, गंधक, फास्फोरिक एसिड और गोंद भी पाया जाता है।

अंजीर से होने वाले फायदे : 

  • दुर्बलता (कमजोरी) : पके अंजीर को बराबर की मात्रा में सौंफ के साथ चबा-चबाकर सेवन करें। इसका सेवन 40 दिनों तक नियमित करने से शारीरिक दुर्बलता दूर हो जाती है। 
  • अंजीर को दूध में उबालकर-उबाला हुआ अंजीर खाकर वही दूध पीने से शक्ति में वृद्धि होती है तथा खून भी बढ़ता है।
  • रक्तवृद्धि और शुद्धि हेतु : 10 मुनक्के और 5 अंजीर 200 मिलीलीटर दूध में उबालकर खा लें। फिर ऊपर से उसी दूध का सेवन करें। इससे रक्तविकार दूर हो जाता है।
  • पेचिश और दस्त : अंजीर का काढ़ा 3 बार पिलाएं।
  • ताकत को बढ़ाने वाला : सूखे अंजीर के टुकड़े और छिली हुई बादाम गर्म पानी में उबालें। इसे सुखाकर इसमें दानेदार शक्कर, पिसी इलायची, केसर, चिरौंजी, पिस्ता और बादाम बराबर मात्रा में मिलाकर 8 दिन तक गाय के घी में पड़ा रहने दें। बाद में रोजाना सुबह 20 ग्राम तक सेवन करें। छोटे बालकों की शक्तिक्षीण के लिए यह औषधि बड़ी हितकारी है।
  • जीभ की सूजन : सूखे अंजीर का काढ़ा बनाकर उसका लेप करने से गले और जीभ की सूजन पर लाभ होता है।
  • पुल्टिश : ताजे अंजीर कूटकर, फोड़े आदि पर बांधने से शीघ्र आराम होता है।
  • दस्त साफ लाने के लिए : दो सूखे अंजीर सोने से पहले खाकर ऊपर से पानी पीना चाहिए। इससे सुबह साफ दस्त होता है।
  • क्षय यानी टी.बी के रोग : इस रोग में अंजीर खाना चाहिए। अंजीर से शरीर में खून बढ़ता है। अंजीर की जड़ और डालियों की छाल का उपयोग औषधि के रूप में होता है। खाने के लिए 2 से 4 अंजीर का प्रयोग कर सकते हैं।


इन बातों का ध्यान रखें:

  • यह गर्म प्रकृति का होता है।
  • अंजीर का अधिक सेवन यकृत (जिगर) और आमाशय के लिए हानिकारक हो सकता है।
  • अंजीर के हानिकारक प्रभाव को नष्ट करने के लिए बादाम का उपयोग किया जाता है।