आखें शरीर का सबसे महत्वपूर्ण अंग है और इनकी देख रेख करनी बेहद जरूरी है। आंखों की सेहत भी उतनी ही जरूरी है जितनी शरीर की सेहत की। मोतिया बिन्द आंखों के लिए एक खतरनाक रोग है। समय रहते इलाज न होने से आंखे जा भी सकती है। आइये जानते हैं मोतिया बिन्द के बारे में। जब आंखों की पुतलियों पर नीले रंग का पानी से जमा होने लगता है। और धीरे-धीरे आखों की पुतलियों को ढ़कने लगता है। इससे व्यक्ति की रोशनी धीरे-धीरे कम होने लगती है। और बाद में पूरी तरह से आंखों की रोशनी चली जाती है। 40 साल की उम्र के बाद मोतिया बिन्द के लक्षण अधिक होते हैं। समय रहते इलाज हो जाने से यह पूरी तरह से ठीक हो सकता है। और आपकी आंखे बची रह सकती है।
⏺️मोतियाबिंद के कारण
मोतियाबिंद के मुख्य कारण हैं। डायबिटीज होना, आंख पर चोट लगना, आंखों पर घाव बनना, गर्मी का कुप्रभाव, धूम्र दृष्टि होने से आदि मोतियाबिंद के प्रमुख कारण है। इससे देखने की क्षमता खत्म हो जाती है। और इंसान अंधा हो सकता है।
मोतियाबिंद के मुख्य कारण हैं। डायबिटीज होना, आंख पर चोट लगना, आंखों पर घाव बनना, गर्मी का कुप्रभाव, धूम्र दृष्टि होने से आदि मोतियाबिंद के प्रमुख कारण है। इससे देखने की क्षमता खत्म हो जाती है। और इंसान अंधा हो सकता है।
-लंबे समय तक आंखों में सूजन का बने रहना।
-जन्म से ही आंखों में सूजन का रहना।
-कनीका में जख्म हो जाना।
-आखों के परदे का किसी वजह से अलग हो जाना।
-अधिक तेज रोशनी में काम करना।
-गठिया का होना।
-गुर्दे की समस्या या जलन होना।
-खूनी बवासीर का होना।
-गंभीर आखों का रोग होना। आदि।
⇒मोतियाबिंद के लक्षण
1. धीरे-धीरे आंखों की नजरों का कम होना।
2. तेज रोशनी के चारों तरफ रंगीन घेरा दिखना।
3.मोतियाबिंद में इंसान को हर चीज काली, पीली, लाल और हरी नजर आने लगती हैं।
-जन्म से ही आंखों में सूजन का रहना।
-कनीका में जख्म हो जाना।
-आखों के परदे का किसी वजह से अलग हो जाना।
-अधिक तेज रोशनी में काम करना।
-गठिया का होना।
-गुर्दे की समस्या या जलन होना।
-खूनी बवासीर का होना।
-गंभीर आखों का रोग होना। आदि।
⇒मोतियाबिंद के लक्षण
1. धीरे-धीरे आंखों की नजरों का कम होना।
2. तेज रोशनी के चारों तरफ रंगीन घेरा दिखना।
3.मोतियाबिंद में इंसान को हर चीज काली, पीली, लाल और हरी नजर आने लगती हैं।
⇒सरल उपाय
हाथों की दोनों हथेलियों को आंख पर ऐसे रखें जिससे आखों पर ज्यादा दबाब न पड़े और हल्का से आंख दबाएं। रोज दिन में चार से पांच बारी आधे-आधे मिनट तक करते रहें।
➡️आंवला
आंखों के कई रोगों को दूर करता है आंवला। आंवले का ताजा रस दस ग्राम और दस ग्राम शहद को मिलाकर रोज सुबह सेवन करने से मोतियबिंद का बढ़ना रूक जाता है।
आंखों के कई रोगों को दूर करता है आंवला। आंवले का ताजा रस दस ग्राम और दस ग्राम शहद को मिलाकर रोज सुबह सेवन करने से मोतियबिंद का बढ़ना रूक जाता है।
➡️खाटी भाजी
खाटी भाजी के पत्तों के रस की कुछ बूंदों को आंख में सुबह और शाम डालते रहें। यह उपाय भी मोतियबिंद को ठीक करने का कारगर उपाय है।
खाटी भाजी के पत्तों के रस की कुछ बूंदों को आंख में सुबह और शाम डालते रहें। यह उपाय भी मोतियबिंद को ठीक करने का कारगर उपाय है।
➡️कद्दू
इसके फूल का रस निकालें और दो बार दिन में आंखों में डालते रहें।
इसके फूल का रस निकालें और दो बार दिन में आंखों में डालते रहें।
➡️सलाद
मोतियबिंद के रोगियों को अपने खाने में सलाद अधिक से अधिक करना चाहिए। ये नेत्र रोगों को दूर करता है।
मोतियबिंद के रोगियों को अपने खाने में सलाद अधिक से अधिक करना चाहिए। ये नेत्र रोगों को दूर करता है।
➡️काला सुरमा
काला सुरमा और हल्के मोती का चूरा तीन ग्राम अच्छी तरह से घोंटे। इसके बाद आप इसे किसी साफ कांच की शीशी या बोतल में रख दें। और नियमित रात को साते समय इससे अपने आखों का अंजन कर लें। इस उपाय से भी मोतियाबिंद अच्छी तरह से दूर हो जाएगा।
काला सुरमा और हल्के मोती का चूरा तीन ग्राम अच्छी तरह से घोंटे। इसके बाद आप इसे किसी साफ कांच की शीशी या बोतल में रख दें। और नियमित रात को साते समय इससे अपने आखों का अंजन कर लें। इस उपाय से भी मोतियाबिंद अच्छी तरह से दूर हो जाएगा।
इन वैदिक औषधियों के साथ आपको योग भी करना है। जिससे मोतियाबिंद आसानी से और तेजी से खत्म हो सके।
मोतियाबिंद का उपचार योग के जरिए भी हो सकता है। इसके लिए आपको शीर्षासन और पद्मासन भी करने चाहिए।
मोतियाबिंद का उपचार योग के जरिए भी हो सकता है। इसके लिए आपको शीर्षासन और पद्मासन भी करने चाहिए।
➡️योग
आप उपर दिए गए उपायों को अपनाने के साथ-साथ योग की कुछ क्रियाओं को भी जरूर करें। शीर्षासन, पद्मासन और आंखों के व्यायाम आदि।
आप उपर दिए गए उपायों को अपनाने के साथ-साथ योग की कुछ क्रियाओं को भी जरूर करें। शीर्षासन, पद्मासन और आंखों के व्यायाम आदि।
➡️आंखों के लिए व्यायाम
-पहले एक आसान बिछा लें।
-अब उस पर पालथी मारकर बैठें।
-अब आंखों की पुतलियों को साथ-साथ दांए से बांए घुमाएं और फिर निचे से उपर की ओर देखें।
-इस योग को कम से कम दस बार जरूर करें।
-पहले एक आसान बिछा लें।
-अब उस पर पालथी मारकर बैठें।
-अब आंखों की पुतलियों को साथ-साथ दांए से बांए घुमाएं और फिर निचे से उपर की ओर देखें।
-इस योग को कम से कम दस बार जरूर करें।