➡ महुआ (Aluva/Mahua) :

  • महुआ (Mahua) के फल से कई प्रकार के मादक द्रव्य बनाये जाते हैं. और इन द्रव्यों का काफी सस्ते में मिलना गरीबों के लिए एक वरदान के समान है. वे अपनी दिनभर की थकान को मिटाने के लिए इन का प्रयोग करते हैं. अपने दुःख दर्द को भूल जाते हैं. मगर ऐसा करना स्वास्थ के लिए बहुत हानीकारक होता है. क्यूँकी कोई भी मादक द्रव्य अपनी तरफ से कभी भी ऊर्जा प्रदान नहीं करता है. उसका निर्माण एक ऐसे रूप में किया जाता है जो हमारे दिमांग के तन्तुओं को स्थूल करके हमारे शरीर में हुयी संचित ऊर्जा को एक बार में ही निकाल देते हैं. मस्तिष्क पहले ही सो चूका होता है. इसलिए हमें लगता है की मादक द्रव्य के सेवन से हमें शक्ती मिलती है. यही कारण है की जब नशा उतरने के बाद काफी थकान महसूस होती है. ग्रामीण क्षेत्रों में महुआ जैसे बहुपयोगी वृक्षों की संख्या घटती जा रही है. जहां इसकी लकड़ी को मजबूत एवं चिरस्थायी मानकर दरवाजे, खिड़की में उपयोग होता है. वहीं इस समय टपकने वाला पीला फूल कई औषधीय गुण समेटे है. इसके फल को ‘मोइया’ कहते हैं, जिसका बीज सुखाकर उसमें से तेल निकाला जाता है. जिसका उपयोग खाने में लाभदायक होता है। उपयोग करने वालों का कहना है कि महुआ का फूल एक कारगर औषधि है. इसका सेवन करने से सायटिका जैसे भयंकर रोग से पूर्ण रूप से छुटकारा मिल जाता है महुआ (महुए) का पेड़ आकार में बहुत बड़ा होता है। इसके पत्ते हथेली के आकार और बादाम के जैसे मोटे होते हैं। महुआ की लकड़ी बहुत वजनदार और मजबूत होती है। इसे खेत, खलिहानों, सड़कों के किनारों पर और बगीचों में छाया के लिए लगाया जाता है। महुआ के पत्तों से पत्तल बनाये जाते हैं। इसकी लकड़ी इमारत बनाने के काम में आती है। महुआ का फूल मीठा होता है तथा फल बादाम से कुछ छोटा होता है। महुआ का तेल जलाने के काम में लाया जाता है। गरीब लोग इसे खाने के काम में लाते हैं। महुआ की शराब भी बनाई जाती है। इसके पेड़ की ऊंचाई 12 से 15 मीटर तक होती है। इसके पत्ते आकार में 5 से 7 इंच होते हैं, जो ग्रुप में लगाएं जाते हैं। इसके पत्ते आकार में अंडकार-कुछ आयताकार, नुकीली शिराओं से युक्त होते हैं। इसके फूल गुच्छों में आते हैं जोकि मांसल, रसीले, मधुर गंध युक्त और सफेद रंग का होता है। महुआ के फूल की बहार मार्च-अप्रैल में आती है और मई-जून में इसमे फल आते हैं। इसके पेड़ के पत्ते, छाल, फूल, बीज की गिरी सभी औषधीय रूप में उपयोग की जाती है। www.allayurvedic.org

➡ विभिन्न भाषाओं में नाम :

हिन्दी महुआ
संस्कृत मधुक
मराठी मोहाचा
गुजराती महुड़ों
बंगाली मोल
अंग्रेजी इलुपा ट्री
लैटिन बेसियाला टीफोलिया
तमिल मघुर्क
कर्नाटकी इप्पेमारा
  • रंग : महुआ के फूल सफेद, फल कच्चे हरे, पकने पर पीले तथा सूखने पर लाल व हल्के मटमैले रंग के हो जाते हैं।
  • स्वाद : इसके फूल मीठे, फल कड़वे और पकने पर मीठे हो जाते हैं।
  • स्वरूप : महुआ के पेड़ जंगल और पर्वतों पर पाए जाते हैं। इसके पेड़ ऊंचे और बड़े-बड़े होते हैं। इसके फूल में शहद के समान गन्ध आती है तथा बीज शरीफे की भांति होते हैं।
  • स्वभाव : इसके पेड़ की तासीर ठंडी होती हैं। मगर यूनानी मतानुसार महुआ गर्म है।
  • हानिकारक :महुआ के फूल का अधिक मात्रा में सेवन करने से सिर में दर्दशुरू हो जाता है।
  • दोषों को दूर करने वाला :धनियां इसके दोषों को दूर करके इसके गुणों को बचाए रखता है।
  • मात्रा : इसके फूल 20 से 50 ग्राम तक खुराक के रूप में ले सकते हैं।
  • गुण : महुआ का पेड़ वात (गैस), पित्त और कफ (बलगम) को शांत करता है, वीर्य व धातु को बढ़ाता और पुष्ट करता है, फोड़ों के घाव और थकावट को दूर करता है, यह पेट में वायु के विकारों को कम करता है, इसका फूल भारी शीतल और दिल के लिए लाभकारी होता है तथा गर्मी और जलन को रोकता है। यहखून की खराबी, प्यास,सांस के रोग,टी.बी.,कमजोरी,नामर्दी (नपुंसकता),खांसी,बवासीर,अनियमित मासिक-धर्म, वातशूल (पेट की पीड़ा के साथ भोजन का न पचना) गैस के विकार, स्तनों में दूध का अधिक आना,फोड़े-फुंसीतथालो-ब्लडप्रेशरआदि रोगों को दूर करता है। www.allayurvedic.org 
  • वैज्ञानिक मतानुसार महुआ की रासायनिक संरचना का विश्लेशण करने पर ज्ञात होता है कि इसके फूलों में आवर्त शर्करा 52.6 प्रतिशत, इक्षुशर्करा 2.2 प्रतिशत, सेल्युलोज 2.4 प्रतिशत, अलव्युमिनाइड 2.2 प्रतिशत, शेष पानी और राख होती है। इसके अलावा इसमें अल्प मात्रा मेंकैल्शियम,लोहा, पोटाश, एन्जाइम्स, एसिड्स तथा यीस्ट भी पाए जाते हैं। बीजों की गिरियों से जो तेल प्राप्त होता है, उसका प्रतिशत 50 से 55 तक होता है।

➡ महुआ 25 रोगों की बेहतरीन औषिधि :

1. अपस्मार (मिर्गी): छोटी पीपल, बच, कालीमिर्च व महुआ और पीसे हुए सेंधानमक को पानी में मिलाकर नाक से लेने से अपस्मार (मिर्गी), उन्माद (पागलपन), सन्निपात (वात, पित्त, और कफ का एक साथ बिगड़ना) और वायु आदि रोगों में लाभ मिलता है।

2. कंठसर्प: महुआ के पेड़ के बीजों को पानी में घिसकर रोगी को पिलाने से कंठसर्प रोग में आराम मिलता है।

3. धातु-पुष्टि: 2 से 3 ग्राम महुआ की छाल का चूर्ण दिन में 2 बार गाय के घी, दूध और चीनी के साथ पीने से पुरुष के वीर्य में बढ़ोत्तरी होती है।

4. सांप के काटने पर: महुआ के बीजों को पानी में घिसकर काजल के समान आंखों में लगाने से लाभ मिलता है।

5. घुटने में दर्द: बकरी के दूध में महुआ के फूलों को पकाकर पीने से घुटने का दर्द ठीक हो जाता है।

6. फोड़े-फुंसी: महुआ के फूल को घी में पीसकर फोड़े-फुंसी पर बांधने से आराम मिलता है।

7. स्तनों में दूध की वृद्धि हेतु: स्त्री के स्तनों में दूध की कमी को दूर के लिए महुआ के फूल का रस 4 चम्मच की मात्रा में सुबह-शाम कुछ दिनों तक रोजाना पिलाना चाहिए।

8. मुंहनाक से खून आना: महुआ के फूल का रस 2 चम्मच की मात्रा में सेवन करने से मुंह और नाक से खून आना बंद हो जाता है।

9. खांसी:

  • महुआ के फूलों का काढ़ा सुबह-शाम 2 चम्मच की मात्रा में सेवन करने से खांसी में आराम मिलता है।
  • 20 से 40 मिलीलीटर महुआ के फूलों का काढ़ा रोजाना 3 बार सेवन करने से खांसी में आराम मिलता है।
  • महुआ के पत्तों का काढ़ा बनाकर रोगी को पिलाने से खांसी दूर हो जाती है।

10. वात (गैस): महुआ के पत्तों को गर्म करके पीड़ित अंग पर बांधने से वात पीड़ा (गैस) कम होती है।

11. मासिक-धर्म के विकार: महुआ के फलों की गुठली तोड़कर गिरी निकाल लें, इसे शहद के साथ पीसकर गोल मोमबत्ती जैसा बना लें, रात में सोने से पहले, मासिक-धर्म आने के समय के पहले से इसे योनि में उंगली की सहायता से प्रवेश करके रख दें, इससे मासिक-धर्म के विकार दूर हो जाते हैं और मासिकस्राव बहना बंद हो जाता है।

12. बवासीर: महुआ के फूल छाछ में पीसकर 1 कप की मात्रा में सुबह-शाम रोजाना सेवन करने से बवासीर में लाभ मिलता है।

13. हिचकी: महुआ के फूलों का चूर्ण 1 चम्मच की मात्रा में शहद के साथ दिन में 3 बार सेवन करने से हिचकियां आनी बंद हो जाती हैं।

14. कमजोरी: 50 ग्राम महुआ के फूलों को 1 गिलास दूध में उबालकर खाएं और ऊपर से वही दूध रोजाना सेवन करें। इससे शारीरिक कमजोरी दूर होकर ताकत बढ़ती है।

15. अंडकोष की जलन: महुआ के फूलों से अंडकोष को सेंकने से अंडकोष की पीड़ा जलन, सूजन सभी दूर हो जाते हैं।

16. अंडकोष के एक सिरे का बढ़ना: महुआ के ताजे फूलों को लेकर पानी में डालकर उसे उबालें, जब उसमें से भाप निकलने लगे तो उसके भाप से अंडकोष को सेंके। इससे अंडकोष में होने वाले दर्द और बढ़े अंडकोष में आराम मिलता है। www.allayurvedic.org

17. दांत मजबूत करना: महुआ या आंवले की टहनी की दातुन करने से दांत का हिलना बंद हो जाता है। इनमें से किसी एक के दांतुन से 2 से 4 दिन दांतुन करने से दांत मजबूत हो जाते हैं और मसूढ़ों से खून का आना बंद हो जाता है।

18. बुखार: महुआ के फूल का काढ़ा 20 से 40 मिलीलीटर रोजाना 2 से 3 बार खुराक के रूप में लेने से बुखार दूर होकर शरीर शक्तिशाली होता है।

19. प्रदर रोग: महुआ के फूल, त्रिफला (आंवला, हरड़, बहेड़ा), मुस्तकमूल और लोध्र बराबर मात्रा में मिलाकर 1 से 3 ग्राम लेकर लगभग 1 ग्राम का चौथा भाग शुद्ध सटिका और 4-6 ग्राम शहद के साथ सुबह-शाम सेवन करने से प्रदर रोग में मिट जाता है।

20. उपदंश (सिफलिस): महुआ, मुलहठी, देवदारू, अगर, रास्ना, कड़वा, कूट और पद्याख का लेप बनाकर वातज उपदंश के घावों में लेप करने और उपरोक्त औषधियां का काढ़ा बनाकर उपदंश के घावों को साफ करने से लाभ मिलता है।

21. गठिया रोग:

  • 20 से 40 मिलीलीटर महुआ की छाल का काढ़ा बनाकर रोजाना 3 बार सेवन करने से गठिया रोग में लाभ मिलता है।
  • गठिया के दर्द में महुआ की छाल को पीसकर गर्म करके लेप करने से गठिया रोग ठीक हो जाता है।

22. चेहरे के दाग-धब्बे: 20 से 40 मिलीलीटर महुआ की छाल का काढ़ा सुबह-शाम रोगी को पिलाने से चेहरे के दाग-धब्बे दूर होते हैं। इसी काढ़े से खाज-खुजली की वजह से हुए जख्म को धोने से बहुत जल्दी आराम आ जाता है।

23. सिर का दर्द: महुआ का तेल माथे पर लगाने से सिर का दर्द दूर हो जाता है।