• प्लेट्सलेट्स हमारे खून का वह महत्तवपूर्ण भाग हैं जो खून का थक्का बनने में मदद करती हैं । ये लाल रक्त कणिकाओं (R.B.C.) और सफेद रक्त कणिकाओं (W.B.C.) दोनों से ही छोटी होती हैं ।
  • प्लेट्सलेट्स महत्तवपूर्ण क्यों हैं ? :- जब भी हमारे शरीर में कही चोट लगने से या अन्य किसी कारण से रक्तवाहिकायें फट जाती हैं और खून निकलना शुरू हो जाता है तो ये प्लेट्सलेट्स आपस में जुड़कर खून निकलने की जगह को ब्लॉक करके खून का थक्का बनने की प्रक्रिया को शुरू करवाती हैं ।
  • सामान्य प्लेट्सलेट्स की सँख्या :- खून में प्लेट्सलेट्स की सँख्या 1,50,000 से 4,50,000 प्रति माइक्रो लीटर होती है । जब किसी के रक्त में प्लेट्सलेट्स की सँख्या 1,50,000 से कम हो जाती है तो उसको प्लेट्सलेट्स का कम होना मान लिया जाता है । प्लेट्सलेट्स की सँख्या का पता लेबोरेट्री में रक्त की जाँच के द्वारा हो जाता है। www.allayurvedic.org
  • प्लेट्सलेट्स किस कारण से कम होती हैं :- रक्त में प्लेट्सलेट्स कम होने के तीन मुख्य कारण होते हैं 
  • 1 :- अस्थि मज्जा में प्लेट्सलेट्स का निर्माण कम हो रहा है ।
  • 2 :- रक्त में आने के बाद प्लेट्सलेट्स अपने आप नष्ट हो जा रही हैं ।
  • 3 :- प्लेट्सलेट्स लीवर अथवा प्लीहा में जाकर नष्ट हो जा रही हैं ।

➡ बनने के बाद प्लेट्सलेट्स क्यों नष्ट हो रही हैं इसके मुख्य कारण ये हो सकते हैं 

  1.  कुछ दवायें ।
  2.  शरीर के रोग प्रतिरोधक तंत्र का सही काम ना करना ।
  3.  कुछ प्रकार के कैंसर ।
  4.  कीमोथैरेपी अथवा कोई अन्य रेड़िएशन ।
  5.  गुर्दों से सम्बंधित कोई रोग ।
  6.  एल्कोहल का अधिक सेवन आदि । www.allayurvedic.org

➡ प्राकृतिक रूप से प्लेट्सलेट्स बढ़ाने के घरेलू प्रयोग :

  • 1 :- पपीते की पत्तियों का रस :- पपीते की पत्तियों के रस का प्रयोग प्लेट्सलेट्स की सँख्या को बढ़ानें के लिये बहुत ही लाभकारी होता है । पपीते की पत्तियों का रस तैयार करने का तरीका निम्न प्रकार है  पपीते की 4-5 ताजी पत्तियॉ लेकर उनको ताजे पानी में अच्छी तरह से धोकर सिल-बट्टे अथवा मिक्सी में चटनी जैसा बना लें । अब इसको साफ सूती कपड़े में ड़ालकर पोटली बाँधकर इसमे से रस निचोड़ लें और किसी साफ बरतन में एकत्रित कर लें । यह रस दिन में दो बार ताजा निकाल कर पीना है ।
  • 2 ‌:- गिलोय का प्रयोग :- प्लेट्सलेट्स की सँख्या बढ़ाने के लिये गिलोय का प्रयोग भी बहुत ही प्रभावकारी होता है । वस्तुतः गिलोय को आयुर्वेद में अमृता कहा जाता है अर्थात जो मरती हुयी प्लेट्सलेट्स को पुनः जिंदा कर दे । प्लेट्सलेट्स बढ़ाने के लिये गिलोय का तना प्रयोग में लाया जाता है । प्रयोग विधी निम्न प्रकार है  5 से०मी० लम्बे गिलोय के तने के पाँच टुकड़े लेकर उनको 2 गिलास ताजे पीने के पानी में रात भर के लिये भिगो दें । अगले दिन सुबह को इस पानी के अंदर तुलसी के पाँच पत्ते और मिलाकर इसको गैस पर रख दें और तब तक उबालें जब तक पानी आधा अर्थात एक गिलास ही शेष रहे । अब इसको ठण्ड़ा होने दें और ठण्ड़ा होने पर पी लें । यह प्रयोग रोज सुबह खाली पेट करना चाहिये। www.allayurvedic.org
  • 3 :- गेंहूँ के ज्वारे का प्रयोग :- गेंहूँ के ज्वारों का जूस का सेवन करने से प्लेट्सलेट्स की सँख्या बहुत ही तेजी से बढ़ती है । इस लाभ को उठाने के लिये विधी निम्न प्रकार है  एक गमले में साफ मिट्टी भरकर उसमें आधी मुठ्ठी गेंहूँ अथवा जौ डालकर रोज सुबह शाम थोड़ा थोड़ा पानी डालिये छः-सात दिन में ही लगभग आठ-दस इंच लम्बे ज्वारे उग जायेंग़ें । इन ज्वारों को नीचे की तरफ से काटकर मिक्सी में ड़ालकर उसमे बहुत थोड़ा सा पानी मिलाकर जूस तैयार कर लीजिये । यह जूस एक गिलास रोज सुबह पीना चाहिये । यह जूस इतना लाभकारी होता है कि इसको हरा रक्त भी कहा जाता है । इस जूस को रोज पी सकने के लिये आपको आठ-दस गमलों में ज्वारें उगाने चाहिये । रोज एक गमले के ज्वारे काटकर उसमे पुनः आधी मुठ्ठी गेंहूँ अथवा जौ तुरंत दोबारा ड़ाल देने चाहिये जिससे बाकी गमलों के ज्वारे समाप्त होते होते इस गमले के ज्वारे पुनः तैयार हो जायें ।
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