• चंदन मध्यम आकार का सदाबहार पौधा होता है जिसकी शाखायें बहुत नीचे तक लटक जाती हैं । इसकी छाल काले वर्ण की होती है और परिपक्व लकड़ी में इसकी वह विशिष्ट सुगंध छिपी होती है जिसके लिये चंदन को जाना जाता है । चंदन को भारत का मूल पौधा माना जाता है और मुख्यतः कर्नाटक और तमिलनाडू में पाया जाता है । बहुत से धर्मों में चंदन की लकड़ी का प्रयोग जलाने और अन्य धार्मिक कार्यों के लिये किया जाता है इन सबके अलावा चंदन का प्रयोग बहुत सी आयुर्वेदिक औषधियों में भी किया जाता है । इस पोस्ट में Allayurvedicके सौजन्य से पढ़िये चंदन के प्रयोग से मिलने वाले कुछ महत्तवपूर्ण स्वास्थय लाभों के बारे में। www.allayurvedic.org

  1. सामान्य लाभ :-स्वयं चंदन की लकड़ी और इससे मिलने वाले तेल का प्रयोग आयुर्वेद चिकित्सा में सदियों से होता आ रहा है । यह कुछ कड़वा, हल्का सा नींद लाने वाला, शीतलता देने वाला और हृदय के लिये एक टॉनिक होता है । यह रक्तस्राव को रोकता है और मूत्र के प्रवाह को बढ़ाता है । चंदन का तेल एक प्रेरक के रूप में प्रयोग होता है और बहुत ही अच्छा एण्टी-सेप्टिक होता है, यह त्वचा के लिये बहुत ही लाभकारी माना जाता है।
  2. मूत्रवह संस्थान के लिये उपयोगी :-चंदन की लकडी के चूर्ण को दूध अथवा चंदन के तेल के साथ पेस्ट बनाकर मटर के दाने के आकार की गोलियाँ बनाकर खाने से मूत्र-प्रमेह में बहुत लाभ मिलता है । इस समस्या में ये गोलियाँ दिन में दो बार दो-दो खानी चाहियें । चंदन के तेल का प्रयोग पेशाब की जलन और दर्द के साथ पेशाब होने की समस्या में किया जाता है साथ ही साथ यह पेशाब की थैली की सूजन में भी लाभकारी होता है । इन समस्याओं में प्रयोग इस प्रकार करें ‌— आधा चम्मच अजवायन को2कप पानी में उबालें जब एक कप पानी बचे तो उतारकर ठण्ड़ा कर छान लें, इस पानी में5बूँद चंदन का तैल मिलाकर पी लेना चाहिये । यह प्रयोग एक सप्ताह तक रोज दो बार करना चाहिये।
  3. पाचन विकार :-पाचन विकार होनें पर भी चंदन का प्रयोग बहुत ही लाभकारी पाया जाता है । पाचन विकार होने पर आधा कप पानी में आधा चम्मच चंदन पाउडर, एक चम्मच शहद और एक चम्मच सेब का सिरका मिलाकर पीने से बहुत ही अच्छी दवा तैयार होती है । हर बार ताजी बनाकर यह दवा दिन में3बार तक पी जा सकती है। www.allayurvedic.org
  4. घमौरियाँ :-चंदन लकडी का पेस्ट घमौरियों के लिये एक विश्व प्रसिद्ध घरेलू इलाज है । यह ज्यादा पसीना आने से रोकता है और झुलसी हुयी त्वचा को राहत प्रदान करता है । घमौरियों की समस्या में आराम पाने के लिये चंदन पाउडर को गुलाब जल के साथ मिलाकर पेस्ट तैयार कर घमौरियों के उपर लेप करना चाहिये।
  5. त्वचा के रोग :-बहुत से त्वचा रोगों में चंदन का प्रयोग निर्दिष्ट किया गया है । पराबैंगनी किरणों से त्वचा झुलस गयी हो या फिर काली पड़ गयी हो ऐसे में चंदन का पानी के साथ मिलाकर तैयार किया गया लेप लगाना चाहिये । चंदन के तेल का प्रयोग स्कैबीज नामक रोग में किया जाता है । मुँहासे होनें पर चंदन के तेल में बराबर मात्रा में सरसों का तेल मिलाकर लगाने से मुँहासे ठीक होते हैं।
  6. बुखार में लाभ :-बुखार में जब दोषों की गर्मी के कारण और दवाओं की गर्मी के कारण शरीर बेचैन सा रहता है तब सिर में दर्द और आँखों से पानी आने की समस्या होने लगती है । इस अवस्था में मस्तक और चेहरे पर एवं जरूरत होने पर सम्पूर्ण शरीर पर भी चंदन का लेप किया जा सकता है । यह तन-मन को शीतलता प्रदान करता है।
  7. गैस की समस्या में राहत :-चंदन का तेल वायु का शमन करने में बहुत ही प्रभावी होता है । पेट में लागातार गैस बनने के कारण रहने वाली मरोड़ में यह बहुत लाभकारी हो सकता है । जिस किसी को गैस ज्यादा बनती हो उनको चौथाई कप गुनगुने पानी में5-10बूँद चंदन का तेल डालकर दिन में दो बार पीना चाहिये। www.allayurvedic.org
  8. सूखा कफ निकाले :-जिन लोगों को खाँसी पुरानी होकर कफ/बलगम सीने में चिपक जाता है और बहुत खाँसने पर भी बहुत मुश्किल से निकलता है उन लोगों के लिये चंदन का तेल एक बहुत अच्छी दवा साबित हो सकता है । इस अवस्था में1मि०ली० चंदन का तेल पीकर थोड़ा तेज गरम पानी पीना चाहिये । पानी की गर्मी से जमा हुआ कफ पिघल जाता है और चंदन तेल से चिकना होकर वह आसानी से खाँसनें पर निकल जाता है । यह प्रयोग रोज दो बार किया जा सकता है ।

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