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★भोजनान्ते विषं वारि अर्थात भोजन के अन्त में पानी विष समान है ★

      भोजन हमेशा धीरे धीरे, आराम से जमीनपर बैठकर करना चाहिए ताकि सीधे अमाशय में जा सके । यदि पानी पीना हो तो भोजन से आधा घंटा पहले पी ले । भोजन के समय पानी न पियें । यदि प्यास लगती हो या भोजन अटकता हो तो मठ्ठा / छाछ ले सकते हैं या उस मौसम के किसी भी फल का रस पी सकते है (डिब्बा बंद फलों का रस गलती से भी न पियें) । पानी नहीं पीना है क्योंकि जब हम भोजन करते है तो उस भोजन को पचाने के लिए हमारे जठर में अग्नि प्रदीप्त होतीहै । उसी अग्नि से वह खाना पचता है । यदि हम पानी पीते है तो खाना पचाने के लिए पैदा हुई अग्नि मंद पड़ती है और खाना अच्छी तरह से नहीं पचता और वह विष बनता है जो कई तरह की बीमारियां पैदा करता है । भोजन करने के एक घन्टा बाद ही पानी पिए वो भी घूंट घूंट करके ।

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             मोटापा कम करने के लिए यह पद्धति सर्बोत्तम है । पित्त की बीमारियों को कम करने के लिए, अपच, खट्टी डकारें, पेट दर्द, कब्ज, गैस आदि  बीमारियों को इस पद्धति से अच्छी तरह से ठीक किया जा सकता है ।