★ गुदा रोगों, पाइल्स और पौरुष शक्ति के लिए प्रभावी रामबाण अश्विनी 🐎 मुद्रा ★

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➡ एक कहावत है “हींग लगे ना फ़िटकरी” अर्थात कुछ भी व्यय किये बिना जो चाहते है वो मिल जाना, तो आप भी तैयार हो जाइए क्यों की जो मुद्रा हम बता रहे है वो से*क्स से सम्बंधित सभी रोगों, गुदा के सभी रोगों और पाइल्स का प्रभावी रामबाण उपाय है वो भी बिना किसी शुल्क के। जिस प्रकार से 🐎 अश्व (घोडा) 🐴 अपने गुदाद्वार को बार-बार सिकोड़ता एवं ढीला करने की क्रिया करता है उसी प्रकार से अपने गुदाद्वार से यह क्रिया करने से अश्वनी मुद्रा बनती है। इस मुद्रा का नाम भी इसी आधार पर पड़ा है। घोड़े में बल एवं फुर्ती का रहस्य यही मुद्रा है, इस क्रिया के करने के फलस्वरूप घोड़े में इतनी शक्ति आ जाती है कि आज के मशीनी युग में भी इंजन आदि की शक्ति अश्वशक्ति (Horse Power) से ही मापी जाती है।
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➡ अश्विनी 🐎 मुद्रा करने की विधि :
1. कगासन (जैसे शौच के समय टॉयलेट में बैठते हैं) में बैठ जाएँ।
2. अपने गुदाद्वार को जैसे मूलबन्ध के समय या मल-मूत्र के वेग को रोकते समय अंदर खींचते हैं,उसी तरह से खींचकर रखें।
3. कुछ देर इसी स्थिति में रहें फिर गुदा को ढीला छोड़ दें।
4. इस प्रक्रिया को बार-बार यथासंभव दोहराएँ।
➡ अश्विनी 🐎 मुद्रा में सावधानियाँ :
• अश्वनी मुद्रा करते समय यदि मल-मूत्र का वेग हो तो इस वेग को रोकना नही चाहिए बल्कि इससे निवृत्त हो लेना चाहिए।
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➡ अश्विनी 🐎 मुद्रा करने का समय व अवधि :
• सामान्य स्थिति में यह क्रिया लेटकर, बैठकर या चलते-फिरते कभी भी दिन में कई बार कर सकते हैं।
• अश्वनी मुद्रा एक बार में कम-से-कम 50 बार करनी चाहिए।
➡ अश्विनी 🐎 मुद्रा के चिकित्सकीय लाभ :
• अश्वनी मुद्रा के निंरतर अभ्यास से गुदा से सम्बंधित समस्त रोग नष्ट हो जाते हैं।
• इस मुद्रा को करने से शरीर बलवान हो जाता है।
• अश्वनी मुद्रा करने से व्यक्ति की आयु बढती है एवं वह आजीवन निरोग रहता है।
• अश्वनी मुद्रा के अभ्यास से न*पुंसकता दूर हो जाती है। यह मुद्रा शी*घ्रपतन रोकने में अत्यंत प्रभावी है।
• शौच के समय यदि इस क्रिया को बार-बार किया जाये तो शौच खुलकर आता है।
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➡ अश्विनी 🐎 मुद्रा के आध्यात्मिक लाभ :
• अश्वनी मुद्रा से कुण्डलिनी शक्ति का जागरण होता है।